नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित नगर निगम की तरफ से बनाई गईं आधी से ज्यादा बेघर पेंशन फर्जी हैं. बीजेपी पार्षदों ने अपने लोगों की नकली पेंशन बनवा रखी हैं. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में बेघरों की पेंशन में बड़े स्तर पर घोटाले का खुलासा स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में निगम के उच्च अधिकारी ने किया है. दक्षिण दिल्ली नगर निगम के ऊच्च अधिकारी स्टैंडिंग कमेटी में कह रहे हैं कि 50 फीसदी से ज्यादा बेघरों की पेंशन फर्जी हैं, तो इसकी जांच क्यों नहीं कराई जा रही? आम आदमी पार्टी की मांग है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम में बेघर पेंशन की जांच कराई जाए. जिन लोगों-पार्षदों ने फर्जीवाड़ा किया है, उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाए.
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता कर दक्षिण दिल्ली नगर निगम पर एक गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में 2017 से पहले तक दिल्ली नगर निगम की तरफ से वृद्धावस्था पेंशन समेत सभी पेंशन दी जाती थीं. तब लोगों को पेंशन साल-साल भर तक नहीं मिलती थी. निगम की तरफ से एक साल में एक-दो बार ही पेंशन दी जाती थी. पूरे साल भर बुजुर्ग और विधवा महिलाएं पार्षदों के दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते थे कि पेंशन कब आएगी.
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यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंचा तो केजरीवाल सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि नगर निगम पेंशन नहीं दे पा रहा है. जिसकी वजह से लोग बहुत परेशान हैं. इसके बाद दिल्ली सरकार ने नगर निगम की सारी पेंशन देना शुरू की है. उस वक्त एमसीडी को बहुत दिक्कत हुई और पेंशन का डाटा दिल्ली सरकार को देने से इंकार कर दिया. एमसीडी ने बड़ी मशक्कत के बाद यह डाटा केजरीवाल सरकार को दिया. डाटा मिलने के बाद खुलासा हुआ कि हजारों लोग ऐसे थे, जो दिल्ली सरकार और नगर निगम से भी पेंशन ले रहे थे.
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सौरभ भारद्वाज ने बताया कि कुछ दिनों पहले 28 सितंबर 2021 को साउथ दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के दौरान यह मामला उठाया गया. इसमें खुलासा हुआ कि बेघरों की जो पेंशन है, इसके अंदर बड़े स्तर पर घोटाला हो रहा है. यह किसी और ने नहीं बल्कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम के उच्च अधिकारी ने इस बात को स्थाई कमेटी में कहा है. अधिकारी ने कहा है कि लगभग आधी से ज्यादा बेघर पेंशन नकली और फर्जी हैं.
यह वो लोग हैं जो कि ना तो बेघर हैं और ना ही डेस्टिट्यूट है, बल्कि पार्षदों ने अपनी जान पहचान के लोगों की डेस्टिट्यूट पेंशन बनवा रखी है. अपने लोगों को हजार रुपए महीने का फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से अच्छे खासे लोगों को जिनके पास घर, व्यवसाय और नौकरियां भी हैं, उनको डेस्टिट्यूट के नाम पर पेंशन बनवाई गईं. सौरभ ने कहा कि जब दक्षिण दिल्ली नगर निगम के ऊच्च अधिकारियों को यह मालूम है और स्थाई समिति में कह रहे हैं कि 50 फीसदी से ज्यादा बेघरों की पेंशन फर्जी हैं तो इसकी जांच क्यों नहीं कराई जा रही है? हमारी मांग है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम में किस-किस की बेघर पेंशन बनाई गई है, इसकी जांच की कराई जाए। जिन लोगों और पार्षदों ने फर्जीवाड़ा किया है उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाए. उनके ऊपर भ्रष्टाचार के लिए मुकदमा दर्ज किया जाए.