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दुनिया की सबसे कम उम्र की ऑर्गन डोनर बनी धनिष्ठा, 5 को दी नई जिंदगी - गंगाराम हॉस्पिटल ऑर्गन डोनर

20 महीने की धनिष्ठा 5 लोगों को नई जिंदगी देने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर बन गई है. गंगाराम हॉस्पिटल में उसके हार्ट, दो किडनी और दो कॉर्निया निकाल कर दूसरे जरूरतमंद बच्चों को ट्रांसप्लांट कर उन्हें नई जिंदगी दी.

dhanishtha
धनिष्ठा
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Published : Jan 14, 2021, 5:32 PM IST

नई दिल्लीः रोहिणी दिल्ली की धनिष्ठा ने मौत के बाद भी समाज के लिए एक बड़ी मिसाल कायम की है. 20 महीने की बच्ची दुनिया की सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर बन गई है. धनिष्ठा ने मरणोपरांत 5 मरीजों को अपने अंग दे कर नया जीवन दिया है. उसका हृदय, लिवर, दोनों किडनी एवं दोनों कॉर्निया सर गंगा राम अस्पताल ने 5 रोगियों में प्रत्यारोपित किया.

पांच लोगों को नई जिंदगी दे गई दिल्ली की धनिष्ठा

अपने घर की पहली मंजिल से गिर गई थी गुड़िया

8 जनवरी की शाम को धनिष्ठा अपने घर की पहली मंजिल पर खेलते हुए नीचे गिरकर बेहोश हो गई. तुरंत उसे सर गंगाराम अस्पताल लाया गया. डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद भी बच्ची को बचाया नहीं जा सका. 11 जनवरी को डॉक्टरों ने बच्ची को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. मस्तिष्क के अलावा उसके सारे अंग अच्छे से काम कर रहे थे.

दुख के बावजूद माता-पिता ने लिया साहसिक फैसला

शोकाकुल होने के बावजूद भी बच्ची के माता-पिता, आशीष कुमार एवं बबिता ने अस्पताल अधिकारियों से अपनी बच्ची के अंग दान की इच्छा जाहिर की. पिता आशीष कुमार ने कहा कि हमने अस्पताल में रहते हुए कई ऐसे मरीज देखे, जिन्हें अंगों की सख्त आवश्यकता है. हालांकि हम अपनी धनिष्ठा को खो चुके हैं, लेकिन हमने सोचा कि अंग दान से उसके अंग न ही सिर्फ मरीजों में जिन्दा रहेंगे, बल्कि उनकी जान बचाने में भी मददगार सिद्ध होंगे.

20 months old baby became the youngest organ donor while giving 5 patients a new lease of life when her parents donated her organs
घर की पहली मंजिल से गिर गई थी गुड़िया

'हर साल औसतन 5 लाख लोग मरते हैं'

डॉ. डीएस राणा, चेयरमैन (बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट) सर गंगा राम अस्पताल ने बताया कि परिवार का यह नेक कार्य वास्तव में प्रशंसनीय है और इसे दूसरों को प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने बताया कि 0.26 प्रति मिलियन की दर से भारत में अंग दान की सबसे कम दर है. अंगों की कमी के कारण भारत में हर साल औसतन 5 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

20 months old baby became the youngest organ donor while giving 5 patients a new lease of life when her parents donated her organs
माता-पिता ने लिया साहसिक फैसला

यह भी पढ़ेंः-मौत के बाद भी जीना सिखा गईं 41 वर्षीय परवीन, अंगदान से रौशन हुए कई जीवन

नई दिल्लीः रोहिणी दिल्ली की धनिष्ठा ने मौत के बाद भी समाज के लिए एक बड़ी मिसाल कायम की है. 20 महीने की बच्ची दुनिया की सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर बन गई है. धनिष्ठा ने मरणोपरांत 5 मरीजों को अपने अंग दे कर नया जीवन दिया है. उसका हृदय, लिवर, दोनों किडनी एवं दोनों कॉर्निया सर गंगा राम अस्पताल ने 5 रोगियों में प्रत्यारोपित किया.

पांच लोगों को नई जिंदगी दे गई दिल्ली की धनिष्ठा

अपने घर की पहली मंजिल से गिर गई थी गुड़िया

8 जनवरी की शाम को धनिष्ठा अपने घर की पहली मंजिल पर खेलते हुए नीचे गिरकर बेहोश हो गई. तुरंत उसे सर गंगाराम अस्पताल लाया गया. डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद भी बच्ची को बचाया नहीं जा सका. 11 जनवरी को डॉक्टरों ने बच्ची को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. मस्तिष्क के अलावा उसके सारे अंग अच्छे से काम कर रहे थे.

दुख के बावजूद माता-पिता ने लिया साहसिक फैसला

शोकाकुल होने के बावजूद भी बच्ची के माता-पिता, आशीष कुमार एवं बबिता ने अस्पताल अधिकारियों से अपनी बच्ची के अंग दान की इच्छा जाहिर की. पिता आशीष कुमार ने कहा कि हमने अस्पताल में रहते हुए कई ऐसे मरीज देखे, जिन्हें अंगों की सख्त आवश्यकता है. हालांकि हम अपनी धनिष्ठा को खो चुके हैं, लेकिन हमने सोचा कि अंग दान से उसके अंग न ही सिर्फ मरीजों में जिन्दा रहेंगे, बल्कि उनकी जान बचाने में भी मददगार सिद्ध होंगे.

20 months old baby became the youngest organ donor while giving 5 patients a new lease of life when her parents donated her organs
घर की पहली मंजिल से गिर गई थी गुड़िया

'हर साल औसतन 5 लाख लोग मरते हैं'

डॉ. डीएस राणा, चेयरमैन (बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट) सर गंगा राम अस्पताल ने बताया कि परिवार का यह नेक कार्य वास्तव में प्रशंसनीय है और इसे दूसरों को प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने बताया कि 0.26 प्रति मिलियन की दर से भारत में अंग दान की सबसे कम दर है. अंगों की कमी के कारण भारत में हर साल औसतन 5 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

20 months old baby became the youngest organ donor while giving 5 patients a new lease of life when her parents donated her organs
माता-पिता ने लिया साहसिक फैसला

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