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दिल्ली: रविंद्र कुमार ने बचाई मांझे में फंसे बेजुबान की जान - Shahdara kite flying

दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस पर पतंगबाजी से हजारों पक्षी घायल हो जाते हैं. पतंग की डोर से घायल हुए कई पक्षी तो ऐसे होते हैं, जो हमेशा हमेशा के लिए अपनी उड़ान खो देते हैं. लेकिन लोगों पर इसका कोई असर नहीं होता है. इसी बीच शाहदरा में एक कबूतर की जान रविंद्र कुमार ने बचा लिया.

ravindra kumar saved the life of a pigeon
घायल पक्षी
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Published : Aug 16, 2020, 9:37 PM IST

नई दिल्लीः स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में होने वाली पतंगबाजी जहां लोगों के लिए मनोरंजन का साधन होती है, वहीं कई लोगों के लिए ये परेशानी का सबब भी बन जाती है. खास कर बेजुबान परिदों के लिए जो अक्सर मांझे में उलझकर घायल हो जाते हैं या दम तोड़ देते हैं.

रविंद्र कुमार ने बचाई मांझे में फंसे बेजुबान की जान

इसी बीच स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शाहदरा में एक कबूतर की जान आफत में पड़ गई. जिसे भोलानाथ नगर निवासी रविंद्र कुमार ने बचा लिया. रविंद्र कुमार ने बताया कि सुबह जब उनकी नींद खुली, तो उन्होंने कबूतर को बिजली के तारों से लटकते हुए पाया. तब बारिश भी हो रही थी. लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने कबूतर को बिजली के तारों से आजाद करवाया.

नहीं हो रहा लोगों पर असर

यूं तो सरकार कई सालों से कम धार वाले मांझे का इस्तेमाल करने की अपील कर रही है. लेकिन लोगों पर इसका शायद ही असर हो रहा है. दूसरों के पतंग काटने के चक्कर में लोग जिस तरह के मांझे का प्रयोग करते हैं, उसका परिणाम क्या होता है ये इस कबूतर के पैरों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है. गनीमत रही कि रविंदर ने इसे समय से उतार कर इसकी मरहम पट्टी कर दी.

नई दिल्लीः स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में होने वाली पतंगबाजी जहां लोगों के लिए मनोरंजन का साधन होती है, वहीं कई लोगों के लिए ये परेशानी का सबब भी बन जाती है. खास कर बेजुबान परिदों के लिए जो अक्सर मांझे में उलझकर घायल हो जाते हैं या दम तोड़ देते हैं.

रविंद्र कुमार ने बचाई मांझे में फंसे बेजुबान की जान

इसी बीच स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शाहदरा में एक कबूतर की जान आफत में पड़ गई. जिसे भोलानाथ नगर निवासी रविंद्र कुमार ने बचा लिया. रविंद्र कुमार ने बताया कि सुबह जब उनकी नींद खुली, तो उन्होंने कबूतर को बिजली के तारों से लटकते हुए पाया. तब बारिश भी हो रही थी. लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने कबूतर को बिजली के तारों से आजाद करवाया.

नहीं हो रहा लोगों पर असर

यूं तो सरकार कई सालों से कम धार वाले मांझे का इस्तेमाल करने की अपील कर रही है. लेकिन लोगों पर इसका शायद ही असर हो रहा है. दूसरों के पतंग काटने के चक्कर में लोग जिस तरह के मांझे का प्रयोग करते हैं, उसका परिणाम क्या होता है ये इस कबूतर के पैरों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है. गनीमत रही कि रविंदर ने इसे समय से उतार कर इसकी मरहम पट्टी कर दी.

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