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मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से जमीन पर बैठ सकेंगे हिप रिप्लेसमेंट के मरीज - Delhi Apollo Spectra Hospital Hip Replacement

हिप रिप्लेसमेंट को लेकर अभी तक मरीजों के साथ सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि रिप्लेसमेंट के बाद वे जमीन पर ही नहीं, बल्कि अपने पैरों पर भी नहीं बैठ सकते थे, लेकिन अब नई तकनीक से कम उम्र के मरीज रिप्लेसमेंट के बाद ये सब कर सकेंगे.

Minimal Invasive Technique to Hip Replacement
मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से हिप रिप्लेसमेंट
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Published : Nov 14, 2020, 6:56 PM IST

नई दिल्ली: देश में कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से अव्वल तो अधिकांश मरीजों को पता ही नहीं होता कि उन्हें हिप की परेशानी है. वे या तो रीढ़ की या फिर न्यूरो के डॉक्टर्स का चक्कर लगाते रहते हैं. जब तक सही जगह पहुंचते हैं, तब तक परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि मामला हिप रिप्लेसमेंट तक आ जाता है, लेकिन ऑपरेशन के बाद जमीन पर नहीं बैठ पाने या चौकड़ी मार कर नहीं बैठ सकने की वजह से मरीज रिप्लेसमेंट नहीं करवाता है.

मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से हिप रिप्लेसमेंट.

मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से संभव

अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ अश्विनी बताते हैं कि मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से अब एक छोटे चीरे से ऑपरेशन किया जाता है और इससे कम उम्र वाले मरीज जल्द ही ये सब कुछ कर सकते हैं.

डॉ अश्विनी बताते हैं कि इस बीमारी में मरीज के हिप में ब्लड सप्लाई रुक जाती है, जिसका एकमात्र इलाज हिप रिप्लेसमेंट ही है. उनके पास हर महीने इस बीमारी के 50 से 60 मरीज आते हैं. उनका ये भी दावा है कि एम् आई एस तकनीक की सफलता 99 प्रतिशत तक की है.

हर महीने आते हैं 50 से 60 मरीज

डॉ अश्विनी बताते हैं कि इस बीमारी में मरीज के हिप में ब्लड सप्लाई रुक जाती है, जिसका एकमात्र इलाज हिप रिप्लेसमेंट ही है. उनके पास हर महीने इस बीमारी के 50 से 60 मरीज आते हैं. उनका ये भी दावा है कि एम् आई एस तकनीक की सफलता 99 प्रतिशत तक की है.

नई दिल्ली: देश में कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से अव्वल तो अधिकांश मरीजों को पता ही नहीं होता कि उन्हें हिप की परेशानी है. वे या तो रीढ़ की या फिर न्यूरो के डॉक्टर्स का चक्कर लगाते रहते हैं. जब तक सही जगह पहुंचते हैं, तब तक परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि मामला हिप रिप्लेसमेंट तक आ जाता है, लेकिन ऑपरेशन के बाद जमीन पर नहीं बैठ पाने या चौकड़ी मार कर नहीं बैठ सकने की वजह से मरीज रिप्लेसमेंट नहीं करवाता है.

मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से हिप रिप्लेसमेंट.

मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से संभव

अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ अश्विनी बताते हैं कि मिनिमल इनवेसिव टेक्नीक से अब एक छोटे चीरे से ऑपरेशन किया जाता है और इससे कम उम्र वाले मरीज जल्द ही ये सब कुछ कर सकते हैं.

डॉ अश्विनी बताते हैं कि इस बीमारी में मरीज के हिप में ब्लड सप्लाई रुक जाती है, जिसका एकमात्र इलाज हिप रिप्लेसमेंट ही है. उनके पास हर महीने इस बीमारी के 50 से 60 मरीज आते हैं. उनका ये भी दावा है कि एम् आई एस तकनीक की सफलता 99 प्रतिशत तक की है.

हर महीने आते हैं 50 से 60 मरीज

डॉ अश्विनी बताते हैं कि इस बीमारी में मरीज के हिप में ब्लड सप्लाई रुक जाती है, जिसका एकमात्र इलाज हिप रिप्लेसमेंट ही है. उनके पास हर महीने इस बीमारी के 50 से 60 मरीज आते हैं. उनका ये भी दावा है कि एम् आई एस तकनीक की सफलता 99 प्रतिशत तक की है.

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