नई दिल्लीः कोरोना मैनेजमेंट को लेकर अब तक तो जुबानी जंग का दायरा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच ही था, लेकिन अब इसमें पहली बार डॉक्टर भी घसीट लिए गए हैं. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने खुले तौर पर कोरोना को लेकर विशेषज्ञों द्वारा की जा रही भविष्यवाणियों पर सवाल उठा दिया है. एन 95 मास्क और टेस्टिंग कीट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही जानकारियां लोगों को जागरूक करने के बजाय भ्रमित ज्यादा कर रही हैं.
डॉक्टरों पर लगाया राजनीति करने का आरोप
राम निवास गोयल ने डॉक्टरों पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया. उनका कहना है कि कोरोना से लड़ाई में दिल्ली सरकार द्वारा अपनाई गई होम आइसोलेशन की दुनिया भर में तारीफ हुई, लेकिन दिल्ली सरकार जब इसे लागू करना चाह रही थी, तब कोई भी विशेषज्ञ इसके समर्थन में नहीं बोला.
'पूरी तरह से फेल रही केंद्र सरकार'
कोरोना मैनेजमेंट को लेकर राम निवास गोयल ने केंद्र पर पूरी तरह से फेल होने का तोहमत जड़ दिया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर केंद्र सरकार मार्च की शुरुआत से ही विदेश से आने वालों को क्वारंटाइन करती, तो वायरस पूरे देश में नहीं फैलता.
उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने पहले घोषणा की थी कि 15 अगस्त तक टीका उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन अब अगले साल जुलाई की बात कह रहे हैं. वहीं जब दिल्ली सरकार कोरोना योद्धाओं के निधन पर एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है, तब केंद्र केवल फूल बरसा रही है. जो मृतकों के परिजनों के आंसू पोछने और भरोसा दिलाने के लिए काफी नहीं है.
बीजेपी ने राजनीति नहीं करने की दी सलाह
विधानसभा अध्यक्ष के इस बयान को भाजपा ने राजनीति से प्रेरित बताते हुए उन्हें, राजनीति नहीं करने की सलाह दी है. दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि अगर गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा नहीं संभाला होता, तो दिल्ली श्मशान बन चुकी होती.