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2016 की गैंगरेप की घटना के चार आरोपी बरी, कोर्ट से संदेह का मिला लाभ - दिल्ली पुलिस

4 accused acquitted in gangrape case: तीस हजारी कोर्ट ने गैंगरेप के एक मामले में 4 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने संदेह के आधार पर सबको निर्दोष बताया. घटना 2016 की है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 14, 2023, 10:36 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने गुरुवार को 2016 के एक गैंगरेप के चार आरोपियों को बरी कर दिया. एडिशनल सेशंस जज राजिंदर सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष का केस संदेह के दायरे में है और आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. मामला 25 जनवरी 2016 का है.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पीड़ित महिला एक घर में घरेलू सहायक थी. 25 जनवरी को वह अपने मालिक के घर से किसी से मिलने के लिए निकली. उसके बाद एक आरोपी पीड़िता को अपने पश्चिमी दिल्ली स्थित घर ले गया. आरोपी ने उसके साथ दो बार रेप किया. जिस आरोपी ने पीड़िता को अपने घर ले गया, वहां दूसरे तीन आरोपियों ने भी उसके साथ गैंगरेप किया.

कोर्ट ने पीड़िता के बयान पर गौर किया, जिसमें उसने कहा था कि वो 26 जनवरी 2016 के दिन सुबह 7 बजे तक आरोपियों के साथ थी. अभियोजन पक्ष के एक गवाह ने बयान दिया था कि उसने पीड़िता को एक एनजीओ के पास मदद के लिए लेकर गया. इसके बाद 31 जनवरी 2016 को शिकायत दर्ज की गई.

यह भी पढ़ेंः धर्म और भाषाई पहचान वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने संबंधी याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा - कानून बनाना संसद का काम

कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि पीड़ता ये बताने में असफल रही कि वो 26 जनवरी 2018 से 31 जनवरी 2018 तक कहां थी. इस बात का वो कोर्ट में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी. ऐसे में एफआईआर दर्ज होने में देरी घटना के बारे में संदेह पैदा करता है. कोर्ट ने पाया कि पीड़िता सभी आरोपियों को पहचानने में भी विफल रही. यहां तक कि अभियोजन ने कोई फोरेंसिक या मेडिकल साक्ष्य नहीं जुटाए, जो रेप की घटना की तस्दीक कर सके. ऐसे में आरोपियों के खिलाफ आरोप संदेह के दायरे के बाहर नहीं है.

यह भी पढ़ेंः मनी लॉड्रिंग मामले के सह आरोपी सचिन नारायण को विदेश जाने की अनुमति मिली

नई दिल्लीः दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने गुरुवार को 2016 के एक गैंगरेप के चार आरोपियों को बरी कर दिया. एडिशनल सेशंस जज राजिंदर सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष का केस संदेह के दायरे में है और आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. मामला 25 जनवरी 2016 का है.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पीड़ित महिला एक घर में घरेलू सहायक थी. 25 जनवरी को वह अपने मालिक के घर से किसी से मिलने के लिए निकली. उसके बाद एक आरोपी पीड़िता को अपने पश्चिमी दिल्ली स्थित घर ले गया. आरोपी ने उसके साथ दो बार रेप किया. जिस आरोपी ने पीड़िता को अपने घर ले गया, वहां दूसरे तीन आरोपियों ने भी उसके साथ गैंगरेप किया.

कोर्ट ने पीड़िता के बयान पर गौर किया, जिसमें उसने कहा था कि वो 26 जनवरी 2016 के दिन सुबह 7 बजे तक आरोपियों के साथ थी. अभियोजन पक्ष के एक गवाह ने बयान दिया था कि उसने पीड़िता को एक एनजीओ के पास मदद के लिए लेकर गया. इसके बाद 31 जनवरी 2016 को शिकायत दर्ज की गई.

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कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि पीड़ता ये बताने में असफल रही कि वो 26 जनवरी 2018 से 31 जनवरी 2018 तक कहां थी. इस बात का वो कोर्ट में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी. ऐसे में एफआईआर दर्ज होने में देरी घटना के बारे में संदेह पैदा करता है. कोर्ट ने पाया कि पीड़िता सभी आरोपियों को पहचानने में भी विफल रही. यहां तक कि अभियोजन ने कोई फोरेंसिक या मेडिकल साक्ष्य नहीं जुटाए, जो रेप की घटना की तस्दीक कर सके. ऐसे में आरोपियों के खिलाफ आरोप संदेह के दायरे के बाहर नहीं है.

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