नई दिल्ली: दिल्ली देहात के इलाकों में 45 साल बाद बाढ़ के हालात बनते नजर आ रहे हैं, जिसको लेकर बुराड़ी गांव और आसपास के इलाके के लोग चिंता में है. लोगों ने बताया कि साल 1978 में 45 साल पहले दिल्ली देहात के इलाकों में बाढ़ आई थी. इलाकों में कई फीट तक पानी 10 दिन से ज्यादा तक भरा रहा. उस समय लोगों के पास खाने और पीने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं थे. सरकार की मदद के ऊपर ही लोगों को आश्रित रहना पड़ा था. लोग अपने घरों के छत पर सरकारी खाने का इंतजार करते थे. इस समय यमुना में जलस्तर 207 मीटर को पार कर चुका था.
आज भी हालात उससे जुदा नहीं है. बारिश की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है. उस समय भी लोगों की फसल बाढ़ में बह गई थी, लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचाई वाले इलाकों पर मवेशियीं के साथ चले गए थे. यदि बाढ़ के हालात बनते हैं तो हालात उस समय से भी ज्यादा बदतर होंगे.
बुराड़ी गांव के लोगों ने 45 साल पहले बाढ़ के मंजर को याद करते हुए कहा कि आज के हालात 45 साल पहले आई बाढ़ जैसे हैं. इलाके में एक बार पानी घुस गया, तो लंबे समय तक निकलने का रास्ता नहीं है. गांव के लोगों ने उस समय अपने परिवार के लोगों को बचाने के लिए बुराड़ी पुस्ते पर दस्तक दी थी. 1978 में अलीपुर की तरफ से पुस्ते को तोड़ा गया था, जिससे अलीपुर, पल्ला, बख्तावरपुर, बुराड़ी, मॉडल टाउन, जहांगीरपुरी, धीरपुर, किंग्सवे कैम्प सहित करीब 12 से 15 किलोमीटर के इलाके में पानी कई फीट तक भरा रहा.
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लोगों का कहना है कि साल 1978 में पानी के बहाव के सामने पुस्ता कमजोर था, लेकिन आज ऊंचा और मजबूत है. अगर अब पानी घुसा तो उसे निकालना मुश्किल हो जाएगा. उस समय लोगों के मकान छोटे व कच्चे थे, जिस कारण लोग एक दूसरे की छतों पर रुके थे, लेकिन आज लोगों के कई कई मंजिला ऊंचे मकान हैं. लोग खुद को बाढ़ के पानी से तो बचा सकते हैं, लेकिन खाने-पीने की चीजें कहां से लाएंगे? उस समय भी मदद के लिए सरकार से उम्मीद थी और आज भी सरकार से ही उम्मीद है. सरकारी संसाधनों द्वारा ही लाखों की आबादी को खाना उपलब्ध कराया जा सकता है.
बता दें, 45 साल पहले साल 1978 में बुराड़ी गांव की आबादी महज चार से पांच हजार थी. 45 साल बाद बुराड़ी विधानसभा बन चुकी है, लाखों की आबादी यहां पर रहती है. अब बाढ़ का असर हजारों नहीं लाखों लोगों पर पड़ेगा, साथ ही लोगों का आरोप है कि बुराड़ी इलाके में दिल्ली सरकार की ओर से किसी प्रकार की मदद मिलती नजर नहीं आ रही है, जबकि दूसरे इलाकों में दिल्ली के मंत्री और नेता लोगों के बीच जाकर लोगों का भरोसा दे रहे हैं.
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