नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के तमाम बड़े अस्पतालों में गुरुवार को एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने हड़ताल की. इसी कड़ी में रोहिणी के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर अस्पताल में इलाज के लिए मरीजों को दर-बदर भटकना पड़ा. मरीज दूर-दूर से इलाज के लिए अस्पताल में आए तो उन्हें पता चला कि आज अस्पताल में हड़ताल है. क्योंकि अस्पताल के अंदर तमाम तरह के उपचार संबंधी विभाग बंद थे. जिसका असर बीमार मरीजों के चेहरे पर दिखाई दिया.
आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से बाधित
बता दें कि रोहिणी के बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल में ओपीडी, फार्मेसी और आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से बाधित थी. वहीं ओपीडी के बाहर कई ऐसे मरीज आए जिनका इलाज पहले से अस्पताल में चल रहा था.
25 किमी दूर से आए थे मरीज
बीमार मरीजों का कहना था कि अब एक हफ्ते बाद उन्हें दोबारा अस्पताल में आना होगा. वे 25 से 30 किमी दूर से इलाज के लिए अस्पताल आए थे ताकि उनका इलाज हो सके. इनमें ज्यादातर मरीज नजफगढ़, बादली, रोहिणी और सिरसपुर इलाके के हैं.
'एनएमसी बिल का खामियाजा सबको उठाना होगा'
यहां गौर करने वाली बात ये है कि डॉक्टर एनएमसी बिल पास होने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह पूरी तरह से डॉक्टर और मरीज विरोधी है. इसकी वजह से नाकाबिल डॉक्टरों को भी मरीजों का इलाज करने की छूट मिल जाएगी और मरीजों के इलाज में लापरवाही होगी. उसका खामियाजा सीनियर डॉक्टर को उठाना पड़ेगा.
इसलिए हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना कि जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती अस्पताल में हड़ताल चलती रहेगी. हालांकि, इस मामले पर अस्पताल के सीनियर डॉक्टर्स का साथ जूनियर डॉक्टर्स भी दे रहे हैं.