नई दिल्ली: आज किसान नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जयंती है. आज 23 दिसंबर के दिन किसानों के बीच किसान दिवस भी मनाया जाता है. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन को चलते हुए 28 वां दिन है. किसान सरकार से अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं कि किसान विरोधी कानून को रद्द किया जाए. जैसे ही सरकार किसानों की बात मान जाएगी, तभी आंदोलन को स्थगित किया जाएगा. अन्यथा यह आंदोलन यूं ही चलता रहेगा.
सरकार नहीं मानेगी, किसान भी नहीं हटेंगे
ईटीवी भारत की टीम ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान किसानों से किसान दिवस को लेकर बात की. किसानों का कहना है कि अपनी मांग पर अड़े हैं, सरकार किसानों की बात को तवज्जो नहीं दे रही है. सरकार यदि इसी तरह हट पर अड़ी रहेगी तो किसान भी आंदोलन दिल्ली के बॉर्डर पर जारी रखेंगे. भले ही आज आंदोलन का 28 वां दिन है और किसान पूरे जोश के साथ मोर्चे पर सरकार के सामने अपनी मांगों को लेकर खड़े हुए हैं.
मुगलों से लेकर प्रधानंत्री तक ने किया किसानों का शोषण
इस आंदोलन में बुजुर्ग और युवा भारी संख्या में दिल्ली के बॉर्डर पर किसान कानून बिल को रद्द कराने की मांगों के साथ सरकार से लगातार वार्ता कर रहे हैं. लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है. बुजुर्ग किसानों का कहना है कि पहले मुगलों ने किसानों पर अत्याचार किए, फिर अंग्रेजों ने भी किसानों के साथ वही नीति अपनाई और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसानों को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं. जिसके चलते किसान बॉर्डर पर किसान विरोधी कानून बिल को रद्द करने की मांगों को लेकर अड़े हुए हैं.
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किसानों का कहना है कि पंजाब और हरियाणा से किसानों को एकजुट समर्थन मिल रहा है. लेकिन सरकार किसानों की बात पर ध्यान नहीं दे रही है. जरूरत है सरकार किसानों के समस्या का समाधान कर दे, जिससे आंदोलन करने वाले किसान अपने अपने इलाकों में जाकर अपनी बर्बाद हो रही खेती को संभाल सके.