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छोटे-छोटे बच्चों के साथ रेलवे ट्रैक पर चलते हुए दिल्ली पहुंचे प्रवासी मजदूर - delhi migrants

प्रवासी मजदूर सिर पर सामान उठाकर और हाथ में बच्चों कों लेकर पैदल अपने घरों के लिए निकल पड़े है. ऐसे ही कुछ मजदूर जब दिल्ली की सीमा में घुसे और बाहरी रिंग रोड के पास पहुंचे तो मुकुंदपुर से आप निगम पार्षद अजय शर्मा को अपनी व्यथा बताई. इन लोगों के पास ना तो खाने के लिए खाना है और ना ही घर जाने के लिए जेब मे पैसे.

Migrant laborers reach Delhi walking on railway track
रेलवे ट्रैक पर चलते हुए दिल्ली पहुंचे प्रवासी मजदूर
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Published : May 21, 2020, 10:34 AM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब और मजबूर लोगों पर पड़ा है. गरीब लोग अपने-अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही निकल चुके हैं. छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर ये लोग अपने घर जाने के लिए निकल चुके हैं. ऐसे ही कुछ मजदूर दिल्ली की सीमा में घुसे और बाहरी रिंग रोड के पास पहुंचे. जब मुकुंदपुर से AAP निगम पार्षद को इस बारे में पता चला तो उन्होंने इन लोगों के लिए खाना खिलाया और उसके बाद इन लोगों साथ छोटे-छोटे बच्चों को खाने का सामान दिया ताकि बच्चे भूख लगने पर खा सकें.

रेलवे ट्रैक पर चलते हुए दिल्ली पहुंचे प्रवासी मजदूर

पलायन को मजबूर मजदूर

दिल्ली ही नहीं देश के बाकी राज्यों की सड़कों पर भी पैदल जा रहे प्रवासी मजदूर देखने को मिल रहे हैं. अपने-अपने परिवार को लेकर कोई राजस्थान, कोई पंजाब, तो कोई हरियाणा से अपने घर एक से डेढ़ हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करने के लिए सिर पर सामान उठाकर और हाथ में बच्चों के लेकर निकल पड़े हैं. इन लोगों के पास ना तो खाने के लिए खाना है और ना ही घर जाने के लिए जेब में पैसे. बस अगर कुछ है तो हिम्मत जिसके अपने घर जा रहे हैं.

रेलवे ट्रैक पर चलते हुए दिल्ली पहुंचे

जब ऐसे ही कुछ प्रवासी दिल्ली की सीमा में घुसे और बाहरी रिंग रोड के पास पहुंचे तो मुकुंदपुर से 'आप' निगम पार्षद को अपनी व्यथा बताई कि सरकार की बेरुखी के कारण हम लोग अपने गांव जाने के लिए निकल चुके हैं. जब उनसे पूछा गया कि आप लोग यहां तक कैसे आए, तो उन्होंने बताया कि हम रेलवे ट्रैक पर पटरी के सहारे चलते-चलते जान जोखिम में डालकर दिल्ली तक आ पहुंचे हैं. उन लोगों का कहना है कि वो बस अब किसी तरह अपने गांव जाना है. किसी को बरेली जाना है, तो किसी को गोरखपुर तो किसी को बिहार जाना है. बस सभी ने मन में ठाना हुआ है कि जल्द से जल्द घर पहुंचना है. उसके लिए चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों ना हो.



पार्षद ने खाना खिलाया

आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद अजय शर्मा ने इन लोगों को पहले एक जगह पर एकत्रित कर खाना खिलाया और उसके बाद इन लोगों साथ छोटे-छोटे बच्चों को खाने का सामान दिया ताकि बच्चे भूख लगने पर खा सकें.


सरकार के दावों में कितनी सच्चाई

ये नजारा दिल्ली ही नहीं देश के ज्यादातर राज्यों का है, मजदूर अपने अपने घरों के लिए पलायन करने को मजबूर हैं. लेकिन राज्य सरकार दावा करती है कि उन्हें भरपेट खाना और रहने के लिए जगह दी जा रही है. यदि इन दावों में सच्चाई है तो देश का मजदूर सड़कों पर क्यों निकल कर अपने घर जाने की जल्दी मचा रहा है.

नई दिल्ली: लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब और मजबूर लोगों पर पड़ा है. गरीब लोग अपने-अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही निकल चुके हैं. छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर ये लोग अपने घर जाने के लिए निकल चुके हैं. ऐसे ही कुछ मजदूर दिल्ली की सीमा में घुसे और बाहरी रिंग रोड के पास पहुंचे. जब मुकुंदपुर से AAP निगम पार्षद को इस बारे में पता चला तो उन्होंने इन लोगों के लिए खाना खिलाया और उसके बाद इन लोगों साथ छोटे-छोटे बच्चों को खाने का सामान दिया ताकि बच्चे भूख लगने पर खा सकें.

रेलवे ट्रैक पर चलते हुए दिल्ली पहुंचे प्रवासी मजदूर

पलायन को मजबूर मजदूर

दिल्ली ही नहीं देश के बाकी राज्यों की सड़कों पर भी पैदल जा रहे प्रवासी मजदूर देखने को मिल रहे हैं. अपने-अपने परिवार को लेकर कोई राजस्थान, कोई पंजाब, तो कोई हरियाणा से अपने घर एक से डेढ़ हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करने के लिए सिर पर सामान उठाकर और हाथ में बच्चों के लेकर निकल पड़े हैं. इन लोगों के पास ना तो खाने के लिए खाना है और ना ही घर जाने के लिए जेब में पैसे. बस अगर कुछ है तो हिम्मत जिसके अपने घर जा रहे हैं.

रेलवे ट्रैक पर चलते हुए दिल्ली पहुंचे

जब ऐसे ही कुछ प्रवासी दिल्ली की सीमा में घुसे और बाहरी रिंग रोड के पास पहुंचे तो मुकुंदपुर से 'आप' निगम पार्षद को अपनी व्यथा बताई कि सरकार की बेरुखी के कारण हम लोग अपने गांव जाने के लिए निकल चुके हैं. जब उनसे पूछा गया कि आप लोग यहां तक कैसे आए, तो उन्होंने बताया कि हम रेलवे ट्रैक पर पटरी के सहारे चलते-चलते जान जोखिम में डालकर दिल्ली तक आ पहुंचे हैं. उन लोगों का कहना है कि वो बस अब किसी तरह अपने गांव जाना है. किसी को बरेली जाना है, तो किसी को गोरखपुर तो किसी को बिहार जाना है. बस सभी ने मन में ठाना हुआ है कि जल्द से जल्द घर पहुंचना है. उसके लिए चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों ना हो.



पार्षद ने खाना खिलाया

आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद अजय शर्मा ने इन लोगों को पहले एक जगह पर एकत्रित कर खाना खिलाया और उसके बाद इन लोगों साथ छोटे-छोटे बच्चों को खाने का सामान दिया ताकि बच्चे भूख लगने पर खा सकें.


सरकार के दावों में कितनी सच्चाई

ये नजारा दिल्ली ही नहीं देश के ज्यादातर राज्यों का है, मजदूर अपने अपने घरों के लिए पलायन करने को मजबूर हैं. लेकिन राज्य सरकार दावा करती है कि उन्हें भरपेट खाना और रहने के लिए जगह दी जा रही है. यदि इन दावों में सच्चाई है तो देश का मजदूर सड़कों पर क्यों निकल कर अपने घर जाने की जल्दी मचा रहा है.

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