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Shakurpur: बचपन बचाओ आंदोलन की टीम बनी फरिश्ता, 2 साल बाद केरल में मिला मासूम

दिल्ली के शकुरपुर (Shakurpur) में एक लापता बच्चा दो साल के बाद जब अपने घर वापस लौटा तो परिवारवालों की खुशी देखने वाली थी. मानसिक तौर पर दिव्यांग (mentally handicapped) बच्च, बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) की टीम को केरल (Kerala) के एक गांव से मिला. बच्चे की पहचान उसके हाथ में लिखे नाम और पते से हुई.

Mentally handicapped missing child from Shakurpur Delhi found in Kerala
लापता बच्चा
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Published : Jun 18, 2021, 4:21 PM IST

Updated : Jun 18, 2021, 10:55 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के शकुरपुर (Shakurpur) निवासी पूर्णचंद आज इतने खुश हैं कि वह इसका बयान तक नहीं कर पा रहे हैं. उनका खोया हुआ बच्चा (जिसके वापस लौटने की उम्मीद भी ना हो) इनको मिल गया है. दरअसल शकुरपुर निवासी पूर्णचंद का 16 वर्षीय बेटा मोन्टी करीब दो वर्ष पहले घूमते-घूमते घर से लापता हो गया था.

नहीं मिला था कोई सुराग

परिवार ने घर के आस-पास बच्चे को खूब ढूंढने का प्रयास किया लेकिन बच्चे का कहीं पता नहीं चला. परिवार ने आखिरकार पुलिस को इस घटना से अवगत कराया. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बच्चे को जगह जगह तलाश किया लेकिन बच्चे का कहीं भी कोई सुराग नहीं मिला.

दिल्ली के शकुरपुर में एक लापता बच्चा दो साल के बाद अपने घर वापस लौटा.



फरिश्ता बनकर आई बचपन बचाओ आंदोलन की टीम

गौरतलब है कि मोन्टी मानसिक तौर पर दिव्यांग है. परिवार की मानें तो वह अक्सर ही खेलते हुए इधर-उधर गायब हो जाता था. लेकिन इस बार वह ऐसा गायब हुआ कि ट्रेन पकड़कर केरल पहुंच गया. परिजनों की मानें तो पिछले दो साल से लगातार तलाशने पर भी वह नहीं मिला तो परिवार ने उसके वापसी की उम्मीद ही खो दी थी. इस बीच बचपन बचाओ आंदोलन की टीम एक फरिश्ते की तरह उनके पास आई. जगह-जगह तलाशने के बाद केरल के एक गांव में बच्चे का पता चला.


ये भी पढ़ें-MILAP: ग्रेटर कैलाश पुलिस ने लापता हुए दो नाबालिग बच्चों को सकुशल परिजनों को सौंपा

हाथ में नाम और पता गुदवा रखा था

परिवार वालों ने मोन्टी के मानसिक तौर पर दिव्यांग होने के कारण हाथ में उसका नाम और पता गुदवा रखा था. यही निशानी बच्चे के लिए एक संजीवनी बनकर काम करती हुई नजर आई. इसी पहचान से इस गुमशुदा बच्चे की तलाश कर पाने में बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) की टीम सफल हो पाई.

माता- पिता ने वापसी की उम्मीद खो दी थी

आज इस परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है. मां के आंखों से निकलता हुआ आंसू और पिता का दर्द इस बात को खुद साबित कर रहे हैं कि वो अपने इस बच्चे की याद में किस तरह तड़प रहे थे. आलम यह हो गया था कि परिवार ने अपने बच्चे की वापसी की उम्मीद तक खो दी थी.

ये भी पढ़ें-डाबड़ी पुलिस ने 17 साल का गुमशुदा नाबालिग उत्तराखंड से किया बरामद


ये भी पढ़ें-8 दिन से लापता रैपर जबलपुर में मिला, मां बोली Thanks Delhi Police

नई दिल्ली: दिल्ली के शकुरपुर (Shakurpur) निवासी पूर्णचंद आज इतने खुश हैं कि वह इसका बयान तक नहीं कर पा रहे हैं. उनका खोया हुआ बच्चा (जिसके वापस लौटने की उम्मीद भी ना हो) इनको मिल गया है. दरअसल शकुरपुर निवासी पूर्णचंद का 16 वर्षीय बेटा मोन्टी करीब दो वर्ष पहले घूमते-घूमते घर से लापता हो गया था.

नहीं मिला था कोई सुराग

परिवार ने घर के आस-पास बच्चे को खूब ढूंढने का प्रयास किया लेकिन बच्चे का कहीं पता नहीं चला. परिवार ने आखिरकार पुलिस को इस घटना से अवगत कराया. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बच्चे को जगह जगह तलाश किया लेकिन बच्चे का कहीं भी कोई सुराग नहीं मिला.

दिल्ली के शकुरपुर में एक लापता बच्चा दो साल के बाद अपने घर वापस लौटा.



फरिश्ता बनकर आई बचपन बचाओ आंदोलन की टीम

गौरतलब है कि मोन्टी मानसिक तौर पर दिव्यांग है. परिवार की मानें तो वह अक्सर ही खेलते हुए इधर-उधर गायब हो जाता था. लेकिन इस बार वह ऐसा गायब हुआ कि ट्रेन पकड़कर केरल पहुंच गया. परिजनों की मानें तो पिछले दो साल से लगातार तलाशने पर भी वह नहीं मिला तो परिवार ने उसके वापसी की उम्मीद ही खो दी थी. इस बीच बचपन बचाओ आंदोलन की टीम एक फरिश्ते की तरह उनके पास आई. जगह-जगह तलाशने के बाद केरल के एक गांव में बच्चे का पता चला.


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हाथ में नाम और पता गुदवा रखा था

परिवार वालों ने मोन्टी के मानसिक तौर पर दिव्यांग होने के कारण हाथ में उसका नाम और पता गुदवा रखा था. यही निशानी बच्चे के लिए एक संजीवनी बनकर काम करती हुई नजर आई. इसी पहचान से इस गुमशुदा बच्चे की तलाश कर पाने में बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) की टीम सफल हो पाई.

माता- पिता ने वापसी की उम्मीद खो दी थी

आज इस परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है. मां के आंखों से निकलता हुआ आंसू और पिता का दर्द इस बात को खुद साबित कर रहे हैं कि वो अपने इस बच्चे की याद में किस तरह तड़प रहे थे. आलम यह हो गया था कि परिवार ने अपने बच्चे की वापसी की उम्मीद तक खो दी थी.

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Last Updated : Jun 18, 2021, 10:55 PM IST
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