नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना किनारे खेती करने वाले किसानों ने दिल्ली सरकार पर किसानों के साथ राजनीति करने का आरोप लगाते हुए नाराजगी दिखाकर नारेबाजी की. किसानों का कहना है कि उनकी बाढ़ में लाखों रुपये की फसल खराब हो गई, साथ ही उनकी गाय भैंस भी बाढ़ में बह गई. बाढ़ के कारण किसान बर्बाद हो गए. सरकार का किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं है. किसानों की फसल पहले ओलावृष्टि में खराब हो गई, उसका सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिला. अब बाढ़ आने के बाद यमुना खादर में खेती करने वाले किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. दिल्ली में 22 किलोमीटर की यमुना है और खादर में लाखों किसान खेती करते हैं. किसानों को उम्मीद नहीं थी कि बाढ़ का इतना पानी आएगा और फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे.
वहीं, किसान यूनियन ने कहा कि किसानों के मुआवजे को लेकर धरना प्रदर्शन करेंगे. किसानों की मांग है कि बर्बाद फसलों का मुआवजा दिया जाए. यदि बाढ़ में ही मुआवजा नहीं मिला तो कब मिलेगा. किसानों का कहना है कि उन्होंने ब्याज और उधार पर इंतजाम करके अपनी फसलें तैयार की थी और सारी फसलें पानी में बह गई. अब आगे की फसलों की बुवाई भी नहीं कर पाएंगे. क्योंकि उनके पास पैसे भी नहीं बचे.
ऐसे किसान भी है जो ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं. मजदूरी के रूप में खेती करने वाले किसानों ने इन फसलों के लिए पूरे साल का पैसा भी जमीन के मालिकों को दे दिया था और कर्ज व उधार से इन्होंने फसलें तैयार की थी. अब इनकी अनाज व सब्जी की फसलें पूरी तरह से खत्म हो गई है. पशुओं के लिए भी चारे का इंतजाम नहीं है. अब ये यमुना किनारे बांध पर लगाए गए टेंट में रह रहे हैं. इनका आरोप है कि इन टेंटों में न बिजली की व्यवस्था है और न ही खाने-पीने की उचित व्यवस्था मिल रही है.
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