नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने राजधानी में किसानों की जमीनों के दाम, सर्किल रेट के आधार पर 10 गुना तक बढ़ाने की नीति पर काम करते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास फाइल भेजी है. इस पर किसान दिल्ली सरकार से ही जवाब मांग रहे हैं. उनका कहना है कि जब दिल्ली में किसानों को किसानी का दर्जा ही नहीं है, तो फिर यहां के किसानों की जमीनों के दाम सर्किल रेट के हिसाब से बढ़ाने का लॉलीपॉप क्यों दिया जा रहा है. यह महज दिल्ली सरकार द्वारा आगामी वर्षों में लोकसभा व विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को खुश करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन असल में किसानों को इससे किसी तरह का फायदा नहीं होगा.
बातचीत के दौरान एक किसान ने कहा कि किसान अब दिल्ली सरकार की इस नीति के झांसे में नहीं आएंगे. जमीनों के दाम सर्किल रेट के आधार पर बढ़ाने से केवल सरकार के राजस्व बढ़ेगा, लेकिन किसानों को उनकी जमीनों के खरीददार नहीं मिलेंगे क्योंकि दिल्ली में भूमि अधिग्रहण प्रणाली ही नहीं है, जिसके तहत दिल्ली सरकार किसानों की जमीनों का अधिग्रहण कर सके. जब किसान अपनी निजी जरुरतों को पूरा करने के लिए बाजार में अपनी जमीन सर्किल रेट के आधार पर बेचने जाएगा, तो उसे बढ़े हुए दामों के अनुरूप पहले से चार गुना अधिक तक स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी.
वहीं झंगोला इलाके की महिला किसान सुखबीर कौर ने कहा कि उनके पास काफी कृषि भूमि है. जब किसान अपनी भूमि नए रेट पर खरीद और बेच नहीं सकता तो इससे किसानों को क्या फायदा होगा. यदि सरकार को किसानों के बारे में कुछ सोचना है तो वह मास्टर प्लान और लैंड पूलिंग पॉलिसी पर विचार करे. इससे देहात के किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा. सर्किल रेट बढ़ाना केवल चुनावी स्टंट है. जमीन के दाम बढ़ने से किसान खुश तो होगा, लेकिन अपनी निजी जरूरत को पूरा नहीं कर पाएगा.
वहीं, दिल्ली देहात विकास मंच के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बजाड़ ने कहा कि दिल्ली सरकार किसानों में भ्रम फैला रही है कि उनकी जमीन के रेट बढ़ेंगे. 2007 से लेकर 2023 तक दिल्ली की सरकारों ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया. अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे किसानों को केवल नुकसान ही होगा. केंद्र सरकार लैंड पूलिंग पॉलिसी पर काम कर रही है, जिसके जल्द लागू होने से किसानों को फायदा होगा. दिल्ली सरकार ने केवल सर्किल रेट के आधार पर किसानों की जमीनों के रेट तय किए हैं, जिसकी फाइल अभी एलजी के पास भेजी गई है. हालांकि लगता नहीं वह पास होगी.
उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों को मिलकर दिल्ली के किसानों के हित में लैंड पूलिंग पॉलिसी पर काम करना चाहिए. इससे दिल्ली के सभी किसानों को फायदा होगा और लैंड पूलिंग पॉलिसी के आधार पर उनकी जमीनों के दाम बढ़ेंगे. यदि दिल्ली सरकार को दिल्ली के किसानों के बारे में सोचना है तो हरियाणा और राजस्थान के गांव के सर्किल रेट के आधार पर दिल्ली में भी हर गांव की जमीन की गुणवत्ता के आधार पर सर्किल रेट तय करें.
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भूपेंद्र सिंह बजाड़ ने दिल्ली और केंद्र सरकार को कहा कि बीते कई सालों से लैंड पूलिंग पॉलिसी का काम केवल कागजों पर है. इसे धरातल पर नहीं लाया जा रहा है. दिल्ली देहात के ज्यादातर किसानों ने अपनी जमीन लैंड पूलिंग पालिसी के तहत रजिस्टर्ड भी करवा दी, लेकिन उसपर भी काम होता नजर नहीं आ रहा है. अब किसान दिल्ली और केंद्र सरकार के खिलाफ 15 अगस्त के बाद जल्द ही मोर्चा खोलने वाले हैं, क्योंकि किसानों की मांगे पूरी नहीं हो रही है.
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