नई दिल्ली: एमएसपी और कृषि मंडी के नाम पर दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 23 दिनों से महाभारत छिड़ा है और जिसके समर्थन में विधानसभा में कानून की प्रतियां फाड़कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभिमन्यु बनने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी इसे किसानों के लिए अमृत समान बता कर लागू करने पर तुले हैं. उसी दिल्ली में किसानों को फसल पर एमएसपी नहीं मिल पाती. जिसका फायदा उठाकर व्यापारी किसानों से औने-पौने भाव पर फसल खरीद लेते हैं. लेकिन इसकी शिकायत पर केंद्र और राज्य सरकर अभी भी केवल टालमटोल करती दिख रही है.
नरेला मंडी में नहीं मिल रही एमएसपी
किसानों के प्रदर्शन की जिस प्रमुख मांग एमएसपी को लेकर दिल्ली सरकार विधानसभा में कानून की कॉपी फाड़ रही है. उसी दिल्ली में स्थिति ये है कि यहां किसानों के नाम पर राज्य सरकार 9 स्कीम तो चलाती है, लेकिन यहां मंडी में सरकार नाम मात्र की ही खरीद करती है. इसकी वजह से किसानों को मजबूरी में व्यापारी को ही फसल बेचनी पड़ती है. मोहम्मदपुर गांव के किसान रवि बताते हैं कि इस साल सरकार ने धान के लिए 1900 रुपए से भी ज्यादा समर्थन मूल्य तय किया था, लेकिन उनकी बासमती धान को भी नरेला मंडी में 1500 और 1700 का मूल्य मिला. वहीं मूली की स्थिति ऐसी है कि खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाना पड़ा.
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शिकायत पर सरकार लापरवाह
आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल राणा बताते हैं कि इस बाबत उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को शिकायत भेजी. इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि वे इसे लेकर चिंतित हैं. तो वहीं दिल्ली के उप राज्यपाल ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कृपया मामले को देखें और नियमानुसार जरूरतमंदों की मदद करें. जबकि दिल्ली सरकार की तरफ से अब तक इस शिकायत को दिल्ली एग्रीकल्चर एंड मार्केटिंग बोर्ड, एग्रीकल्चर एंड मार्केटिंग विभाग, डीसी नॉर्थ और रेवेन्यू विभाग को फॉरवर्ड किया जा चुका है, लेकिन जवाब किसी का नहीं आया. वहीं नरेला मंडी प्रशासन का कहना है कि किसान अब कहीं भी फसल बेचने को फ्री है. ऐसे में एमएसपी के लिए किसान मंडी आने के लिए बाध्य नहीं है.