नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन द्वारा जारी दिल्ली पब्लिक स्कूल रोहिणी की मान्यता रद्द करने के नोटिस पर रोक लगा दी है. दरअसल, स्कूल द्वारा शिक्षा विभाग के इस आदेश को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था. स्कूल ने याचिका में अमान्यता नोटिस पर कड़ा ऐतराज जताया था. स्कूल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने डीओई द्वारा मान्यता रद्द करने के नोटिस को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इस नोटिस पर स्टे ऑर्डर दिया है. हालांकि, फीस बढ़ोतरी और शुल्क वापस लौटने के मामले पर अभी तक हाईकोर्ट द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया हैं. फिलहाल यह मामला अभी विचाराधीन है.
डीओई के निर्देशानुसार स्कूल की मान्यता के निलंबित होने की स्थिति में छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतारित कर दिया जाएगा. इस निर्देश के खिलाफ अभिभावकों ने अपना विरोध जताया था. इस मामले में सैकड़ों अभिभावकों ने विद्यालय के नियमों का समर्थन किया और विद्यालय को अपना सहयोग जताया था. इस कड़ी में विद्यालय-नियमों का समर्थन करने वाले छात्रों के अभिभावकों द्वारा राज्यपाल, संबंधित अन्य विभाग एवं डी.ओ.ई को भेजे गए अपने ई-मेल में बच्चों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित किए जाने के निर्देश के खिलाफ कड़ा विरोध जताया था.
डीओई के निर्णय में कहा गया था कि डीपीएस रोहिणी में कार्यरत शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों को डीपीएस सोसायटी द्वारा संचालित अन्य स्कूलों में समायोजित किया जाएगा. स्कूल द्वारा कहा गया कि डीओई ने इस आदेश को देने से पहले स्कूल स्टाफ की मूल सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा है. दिल्ली के उपराज्यपाल, संबंधित अन्य विभाग एवं डीओई को भेजे गए ई-मेल में शिक्षिकाओं ने उपर्युक्त बातें लिखकर चिंता जताई है. साथ ही यह निवेदन किया है कि डीपीएस रोहिणी की मान्यता को बहाल रखने के प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू किया जाए. अदालत ने डीओई को ये निर्देश दिए हैं कि वे स्कूल से संबंधित जानकारी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भेजकर उसे अदालत द्वारा प्राप्त स्टे ऑर्डर से अवगत करवाए.
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