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कोर्ट की अवमानना के मामले में लेखक आनंद रंगनाथन बरी, जज पर की थी टिप्पणी - Writer Anand Ranganathan

contempt of court case: कोर्ट के अवमानना मामले में लेखक आनंद रंगनाथन को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि रंगनाथन इस मामले में असली मानहानिकर्ता नहीं थे, बल्कि उन्होंने ट्वीट करने वाले के पक्ष में केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया था.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 3, 2024, 7:06 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को राहत देने के फैसले के अवमानना मामले में लेखक आनंद रंगनाथन के खिलाफ चल रही कार्रवाई बंद कर दी. बुधवार को जस्टिस सुरेश कैत ने अवमानना कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि इस मामले में तमिल राजनीतिक साप्ताहिक तुगलक, आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को बरी किया जा चुका है.

गुरुमूर्ति को 2019 में बरी किया गया था, जबकि विवेक अग्निहोत्री को 2023 में बरी किया गया. दोनों ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. कोर्ट ने कहा कि रंगनाथन इस मामले में असली मानहानिकर्ता नहीं थे, बल्कि उन्होंने ट्वीट करने वाले के पक्ष में केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया था.

  • We won! I refused to apologise for standing up for free speech.

    Grateful to everyone who stood by me but above all to @jsaideepak. Oh, the way you fought - words fail me, Sai. The feeling overwhelmingly is of pride; pride in the realisation that with you Bharat is in safe hands. pic.twitter.com/2QOXaS27Km

    — Anand Ranganathan (@ARanganathan72) January 3, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रंगनाथन ने अपने हलफनामा में कहा था कि उन्होंने गुरुमूर्ति के ट्वीट का समर्थन नहीं किया था. कोर्ट ने इस मामले में स्वराज्य मैग्जीन को भी बरी कर दिया. मैग्जीन ने भी हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी थी. दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस मुरलीधर की बेंच से गौतम नवलखा को राहत दी थी. इस पर गुरुमूर्ति ने अपने ट्वीट में गौतम नवलखा के ट्रांजिट रिमांड के आदेश को निरस्त करने के जस्टिस मुरलीधर के आदेश का जिक्र किया था.

यह भी पढ़ेंः LG ने दिल्ली सरकार के दो अफसरों के खिलाफ CBI जांच की दी मंजूरी, जानें पूरा मामला

रिश्ते को लेकर पूछा था सवालः उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर का गौतम नवलखा से रिश्ते का खुलासा क्यों नहीं हुआ (‘Why has Delhi High Court Justice Muralidhar’s relationship with Gautam Navlakha not been disclosed?’). गुरुमूर्ति के इस ट्वीट की शिकायत वकील राजशेखर राव ने तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन को पत्र लिखकर की थी. अपने शिकायत में राजशेखर राव ने कहा था कि गुरुमूर्ति का ट्वीट सिटिंग हाईकोर्ट के जज पर जानबूझकर किया गया हमला है.

अग्निहोत्री अप्रैल में हो चुके हैं बरीः वहीं, नवलखा को कोर्ट से राहत मिलने के बाद विवेक अग्निहोत्री ने जस्टिस मुरलीधर पर पक्षपात का आरोप लगाया था. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 को स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. बाद में कोर्ट ने 10 अप्रैल 2023 को फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को बरी कर दिया था. साथ ही अग्निहोत्री को भविष्य में सतर्क रहने का निर्देश दिया था. कहा था कि ट्विटर कई सारे दुखों का स्रोत है.

यह भी पढ़ेंः राम मंदिर के साथ ही रावण मंदिर का होना चाहिए जीर्णोद्धार: महंत रामदास

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को राहत देने के फैसले के अवमानना मामले में लेखक आनंद रंगनाथन के खिलाफ चल रही कार्रवाई बंद कर दी. बुधवार को जस्टिस सुरेश कैत ने अवमानना कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि इस मामले में तमिल राजनीतिक साप्ताहिक तुगलक, आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को बरी किया जा चुका है.

गुरुमूर्ति को 2019 में बरी किया गया था, जबकि विवेक अग्निहोत्री को 2023 में बरी किया गया. दोनों ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. कोर्ट ने कहा कि रंगनाथन इस मामले में असली मानहानिकर्ता नहीं थे, बल्कि उन्होंने ट्वीट करने वाले के पक्ष में केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया था.

  • We won! I refused to apologise for standing up for free speech.

    Grateful to everyone who stood by me but above all to @jsaideepak. Oh, the way you fought - words fail me, Sai. The feeling overwhelmingly is of pride; pride in the realisation that with you Bharat is in safe hands. pic.twitter.com/2QOXaS27Km

    — Anand Ranganathan (@ARanganathan72) January 3, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रंगनाथन ने अपने हलफनामा में कहा था कि उन्होंने गुरुमूर्ति के ट्वीट का समर्थन नहीं किया था. कोर्ट ने इस मामले में स्वराज्य मैग्जीन को भी बरी कर दिया. मैग्जीन ने भी हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी थी. दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस मुरलीधर की बेंच से गौतम नवलखा को राहत दी थी. इस पर गुरुमूर्ति ने अपने ट्वीट में गौतम नवलखा के ट्रांजिट रिमांड के आदेश को निरस्त करने के जस्टिस मुरलीधर के आदेश का जिक्र किया था.

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रिश्ते को लेकर पूछा था सवालः उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर का गौतम नवलखा से रिश्ते का खुलासा क्यों नहीं हुआ (‘Why has Delhi High Court Justice Muralidhar’s relationship with Gautam Navlakha not been disclosed?’). गुरुमूर्ति के इस ट्वीट की शिकायत वकील राजशेखर राव ने तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन को पत्र लिखकर की थी. अपने शिकायत में राजशेखर राव ने कहा था कि गुरुमूर्ति का ट्वीट सिटिंग हाईकोर्ट के जज पर जानबूझकर किया गया हमला है.

अग्निहोत्री अप्रैल में हो चुके हैं बरीः वहीं, नवलखा को कोर्ट से राहत मिलने के बाद विवेक अग्निहोत्री ने जस्टिस मुरलीधर पर पक्षपात का आरोप लगाया था. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 को स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. बाद में कोर्ट ने 10 अप्रैल 2023 को फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को बरी कर दिया था. साथ ही अग्निहोत्री को भविष्य में सतर्क रहने का निर्देश दिया था. कहा था कि ट्विटर कई सारे दुखों का स्रोत है.

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