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डूटा में एनडीटीएफ की जीत दर्शाती है कि विवि का स्वरूप बदल रहा है और राष्ट्रवादी ताकतें जीत रही हैंः वीरेंद्र सचदेवा

दिल्ली विवि में यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के चुनाव में प्रोफेसर एके भागी के दूसरे बार जीत हासिल करने पर दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें बधाई दी है. भागी ने कहा कि 1 सप्ताह की तैयारी में जीत मिली है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 29, 2023, 6:22 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. मीडिया से बात करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के चुनाव में अध्यक्ष के रूप में नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के प्रोफेसर एके भागी के चुने जाने का स्वागत किया. उन्होंने इसे कांग्रेस, आप और कम्युनिस्टों सहित अन्य लोगों द्वारा प्रचारित की जा रही नकारात्मकता पर राष्ट्रवादी सकारात्मकता की जीत बताया.

1 सप्ताह की तैयारी में मिली जीत: सचदेवा ने कहा कि कल के डूटा चुनाव परिणाम में भाजपा समर्थित एनडीटीएफ की जीत हुई है. एक सप्ताह के भीतर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने अपनी यूनियन बनाने के लिए मतदान किया और दोनों चुनावों में राष्ट्रवादी ताकतों ने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में भारी अंतर से जीत हासिल की.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले हफ्ते के डूसू चुनाव में हमने देखा कि कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई और दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की छात्र शाखा सीवाईएसएस एक साथ आए, फिर भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों संघ चुनाव में एबीवीपी के हाथों बुरी तरह से चुनाव हार गए. भाजपा ने एबीवीपी का समर्थन किया था.

ये भी पढ़ें: दिल्ली सरकार का विंटर एक्शन प्लान लोगों के लिए छलावा, पिछले साल जैसे इस साल भी नहीं मिल पाएगी राहत- वीरेन्द्र सचदेवा

बदला है डीयू का स्वरूप: वीएस नेगी ने कहा कि प्रोफेसर एके भागी लगातार दूसरी बार डूटा के अध्यक्ष बने हैं. 9600 शिक्षकों के बीच 8300 शिक्षकों ने मतदान किया और प्रो भागी ने 4200 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के हर क्षेत्र में वामपंथ का जो एक शिकंजा कसा था, वह अब बदल चुका है. युवा और महिलाओं को फंसाकर जिस तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था उस पर भी रोक लगाई गई है और दिल्ली विश्वविद्यलाय का स्वरुप बदल गया है.

एनडीटीएफ के महासचिव वीएस नेगी संचालन और भाजपा प्रवक्ता प्रोफेसर राजकुमार फुलवारिया ने भी पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया. फुलवरिया ने कहा कि राष्ट्रवादी प्रोफेसर एके भागी के पुनः चुने जाने से दिल्ली विश्वविद्यालय में कम्युनिस्ट मानसिकता का अंत हुआ है. इन कम्युनिस्टों ने कभी भी अध्यापक कल्याण के लिए काम नहीं किया था.

ये भी पढ़ें: Delhi University: पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान में सहयोग करेगा दिल्ली विश्वविद्यालय

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. मीडिया से बात करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के चुनाव में अध्यक्ष के रूप में नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के प्रोफेसर एके भागी के चुने जाने का स्वागत किया. उन्होंने इसे कांग्रेस, आप और कम्युनिस्टों सहित अन्य लोगों द्वारा प्रचारित की जा रही नकारात्मकता पर राष्ट्रवादी सकारात्मकता की जीत बताया.

1 सप्ताह की तैयारी में मिली जीत: सचदेवा ने कहा कि कल के डूटा चुनाव परिणाम में भाजपा समर्थित एनडीटीएफ की जीत हुई है. एक सप्ताह के भीतर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने अपनी यूनियन बनाने के लिए मतदान किया और दोनों चुनावों में राष्ट्रवादी ताकतों ने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में भारी अंतर से जीत हासिल की.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले हफ्ते के डूसू चुनाव में हमने देखा कि कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई और दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की छात्र शाखा सीवाईएसएस एक साथ आए, फिर भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों संघ चुनाव में एबीवीपी के हाथों बुरी तरह से चुनाव हार गए. भाजपा ने एबीवीपी का समर्थन किया था.

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बदला है डीयू का स्वरूप: वीएस नेगी ने कहा कि प्रोफेसर एके भागी लगातार दूसरी बार डूटा के अध्यक्ष बने हैं. 9600 शिक्षकों के बीच 8300 शिक्षकों ने मतदान किया और प्रो भागी ने 4200 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के हर क्षेत्र में वामपंथ का जो एक शिकंजा कसा था, वह अब बदल चुका है. युवा और महिलाओं को फंसाकर जिस तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था उस पर भी रोक लगाई गई है और दिल्ली विश्वविद्यलाय का स्वरुप बदल गया है.

एनडीटीएफ के महासचिव वीएस नेगी संचालन और भाजपा प्रवक्ता प्रोफेसर राजकुमार फुलवारिया ने भी पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया. फुलवरिया ने कहा कि राष्ट्रवादी प्रोफेसर एके भागी के पुनः चुने जाने से दिल्ली विश्वविद्यालय में कम्युनिस्ट मानसिकता का अंत हुआ है. इन कम्युनिस्टों ने कभी भी अध्यापक कल्याण के लिए काम नहीं किया था.

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