नई दिल्ली: दिल्ली में लगातार चाइनीज मांझे की बिक्री को लेकर दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड में है. पुलिस चाइनीज मांझे बेचने वाले दुकानदारों पर लगातार कार्रवाई कर रही है. अब तक पुलिस ने 300 मामले दर्ज किए हैं. स्वतंत्रता दिवस पर जहां देश भर में तिरंगे को फहरा कर आजादी का जश्न मनाया जाता है तो वहीं इस दौरान पतंजगबाजी भी खूब की जाती है. अभी तक पंतगबाजी के लिए चाइनीज मांझे का बहुत इस्तेमाल होता था, जो पतंग तो पतंग जिंदगी की डोर भी कट सकती है.
पतंग बेच रहे एक दुकानदार का कहना है कि वह अपने पतंगबाजी के शौक के चलते पतंग बेच रहे हैं. उनका मकसद किसी की जान लेना नहीं है. चाइनीज मांझा देसी मांझे के मुकाबले मजबूत और धारदार है. इस करण बड़ी जल्दी लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाई. कुछ सालों में ही पतंगबाजी का शौक रखने वाले हर किसी की पसंद बन गया. वहीं, बुराड़ी इलाके में सालों से पतंग बेच रहे दुकानदार अमित जैन ने बताया कि उन्होंने बचपन में चाइनीज मांझे से बहुत पतंग उड़ाई है. चाइनीस मांझे का आसमान में एक छत्र राज हुआ करता था.
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बुराड़ी इलाके में रहने वाले दिल्ली पुलिस के जवान मनोज कुमार का कहना है कि 2018 से पहले 15 अगस्त के दौरान ड्यूटी पर बाइक से जा रहा था. कश्मीरी गेट इलाके में चाइनीज मांझे से उनकी गर्दन पर गहरा घाव हुआ. इसके चलते उन्हें काफी चोट आई और मुश्किल से उनकी जान बचाई थी. ऐसे कितने लोग और पशु-पक्षी हैं, जो चाइनीज मांझे की वजह से घायल हुए और अपनी जान गंवा दी.
जानलेवा है चाइनीज मांझाः चाइनीज मांझा नायलॉन, शीशा समेत कई केमिकल से बना होता है. यह टूटता नहीं और जितना कसता जाता है उतना ही धारधार होता जाता है. जब कोई पतंग कटती है या गिरती है तो दोपहिया सवार इसकी चपेट में आ जाते हैं. अब तक इसकी चपेट में आने से दोपहिया वाहन सवार ही घायल हुए हैं या फिर उनकी मौत हो गई है. देसी मांझे में भी शीशे या केमिकल के इस्तेमाल के कारण वे चाइनीज मांझे के जैसे ही खतरनाक हो गए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट का आदेशः दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 सितम्बर 2022, 10 फरवरी 2023 और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT ने 21 जनवरी 2020 में दिए अपने आदेशों में कहा था कि पतंगबाज केवल सूत से बने मांझो से ही पतंग उड़ा सकते हैं. इसके लिए सूत में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता है. जबकि चाइनीज मांझे की बिक्री और स्टोरेज पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.