नई दिल्ली: नार्थ ईस्ट दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के हवलदार रतन लाल की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई हुई. इस हत्या से जुड़े सभी 25 अपराधी कोर्ट में हाज़िर हुए थे. जिसमें 17 आरोपी जमानत पर बाहर है. बाकी अन्य आरोपी अभी भी जेल में है. आज सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों पर कोर्ट द्वारा चार्ज (आरोप) लगाया जाना था. उससे पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल ने सभी आरोपियों को अपनी सफाई में दलील पेश करने का मौका दिया था.
सभी आरोपियों ने कोर्ट के आदेश अनुसार अपने अपने लिखित बयान कोर्ट में जमा करवा दिए है. इस मामले पर बहस होने के बाद अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि एक मुख्य डीवीडी की एफएसएल रिपोर्ट अभी आनी बाकी है, जिस वजह से मामले में देर हो रही है. बाकी सभी आरोपियों का इस केस में क्या क्या अभिनय है, वो चार्जशीट में लिखा हुआ है, इसलिए इस मामले को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. वहीं सरकारी वकील ने कहा कि डीवीडी की रिपोर्ट इस केस का अहम हिस्सा है, इसलिए उसका भी होना बहुत आवश्यक है.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने जांच अधिकारी को आदेश दिया है कि अगली तारीख से पहले एफएसएल विभाग से डीवीडी की रिपोर्ट लाकर कोर्ट को सौंपी जाए. ये मामला साल 2020 में उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मारे गए दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़ा हुआ है. पुलिस द्वारा 25 आरोपियों को पकड़ा गया था. अचानक भड़के इन दंगों में एसीपी अनुज कुमार और डीसीपी अमित शर्मा समेत 50 अन्य पुलिसकर्मियों को भी बहुत चोटें आई थीं. क्राइम ब्रांच के डीसीपी रविन्द्र यादव के मुताबिक जनवरी 2020 में चांद बाग इलाके में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे थे.
23 फरवरी 2020 को प्रदर्शनकारियों ने धारा 144 लगे होने के बाद भी अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की यात्रा के दौरान दुनिया भर में मीडिया का ध्यान खींचने के लिए चांद बाग में अपना विरोध जारी रखा. क्षेत्र में अत्यधिक तनाव को देखते हुए दिनांक 24 फरवरी 2020 अमित शर्मा, तत्कालीन डीसीपी शाहदरा और अनुज कुमार, एसीपी गोकुलपुरी को उनके स्टाफ के साथ-साथ चांद बाग इलाके में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया था.
हत्या मामले में 1100 पेज की चार्जशीट: दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या मामले में पुलिस द्वारा करीब 1100 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई थी. चार्जशीट में बताया गया थी कि उपद्रवियों के 40 से 50 लोगों के एक ग्रुप ने 22 फरवरी को इलाके में एक घर के बेसमेंट में मीटिंग की थी, जिसमें हिंसा की साजिश रची गई थी.
पुलिस कर्मियों पर हमला: उसी दौरान दोपहर में आयोजकों के आह्वान पर, डंडा ,लाठी, हथियार, लोहे की छड़ें, तलवारें, पत्थर, पेट्रोल बम और रासायनिक हथियार लेकर प्रदर्शनकारी वजीराबाद रोड की ओर भागने लगे. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सर्विस रोड पर लौटने का निर्देश दिया. हालांकि, प्रदर्शनकारियों की गैरकानूनी सभा ने उनके निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया और प्रदर्शनकारी बेहद हिंसक हो गए और पुलिस कर्मियों पर हमला करना शुरू कर दिया.
50 से अधिक पुलिसकर्मी घायल: प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश में 50 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. इस दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिया. साथ ही अमित शर्मा, तत्कालीन डीसीपी शाहदरा और अनुज कुमार, एसीपी गोकुलपुरी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उस समय हिंसक भीड़ ने सरकारी और निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर जला दिया था.
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थाना दयालपुर में केस दर्ज: इस संबंध में थाना दयालपुर में केस दर्ज किया गया था. मामले में आगे की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की गई थी. क्राइम ब्रांच ने जांच के दौरान घटनास्थल के पास के सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की जांच, सीडीआर की लोकेशन, गवाहों के बयान, आरोपी व्यक्तियों के खुलासे के माध्यम से 25 से ज्यादा आरोपियों की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार भी किया. सभी अपराधियों की पहचान के लिए एम्बेड वीडियो एन्हांस्ड तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.
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