नई दिल्लीः दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले के आरोपी और वीवो के मैनेजिंग डायरेक्टर हरि ओम राय की जमानत याचिका खारिज कर दी. एडिशनल सेशंस जज किरण गुप्ता ने कहा कि हरिओम राय की मेडिकल रिपोर्ट से यह नहीं पता चलता है कि उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है और उनका जीवन खतरे में है.
जमानत याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पाया गया है कि हरि ओम राय को उनकी बीमारी के मुताबिक जीबी पंत अस्पताल ले जाया गया था जहां उन्हें हरसंभव इलाज मुहैया कराई गई. ऐसे में आरोपी मनी लॉड्रिंग एक्ट की धारा 45(1) के तहत बीमार या कमजोर की श्रेणी में नहीं आता है. ऐसे में जमानत नहीं दी जा सकती है.
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इससे पहले कोर्ट ने 8 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील मनीष जैन ने राय की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि केस के गुण-दोषों और याचिकाकर्ता की बीमारी को अलग-अलग देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि जांच के दौरान वीवो के खिलाफ फर्जीवाड़े की शिकायतें पता चली. कंपनी के शेयरहोल्डर झांग जी ने डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन के लिए फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल किया. फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के जरिये उसने बैंक खाता भी खुलवाया.
सुनवाई के दौरान हरिओम राय की ओर से पेश वकील नीतेश राणा ने कहा था कि राय के खिलाफ लगे आरोप झूठे और बेतुके हैं. आरोपी का वीवो कंपनी के व्यवसाय से परोक्ष या अपरोक्ष कोई नाता नहीं है. आरोपी को वीवो कंपनी या उससे जुड़ी कोई दूसरी कंपनी से कोई वित्तीय लाभ नहीं हुआ है. पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 नवंबर 2023 को ईडी को नोटिस जारी किया था. इस मामले में हरि ओम राय समेत चार आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. याचिका में कहा गया था कि कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और आरोपी की अब हिरासत की कोई जरूरत नहीं है.
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