नई दिल्ली: राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में नए चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) अजय शुक्ला की मनमानी से ऑर्थोपेडिक विभाग की तीसरी यूनिट के डॉक्टर परेशान हैं. दरअसल ऑर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष रहे डॉ. अजय शुक्ला ने एमएस बनते ही ऑर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष को ऑर्थोपेडिक की तीसरी यूनिट से 20 बेड और कुछ सीनियर व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर को हटाने के निर्देश दिए थे.
साथ ही इन बेड और डॉक्टरों का आवंटन पहली और दूसरी यूनिट को कर दिया गया. तीसरी यूनिट के डॉक्टरों को सिर्फ एक दिन की ओपीडी और आधे दिन के लिए ऑपरेशन थिएटर का भी आवंटन किया गया. एमएस द्वारा कराए गए इस फेरबदल से तीसरी यूनिट में कार्यरत डॉक्टर सतीश कुमार, डॉ. राहुल खरे और डॉ. सुखविंदर परेशान हैं. इस फेरबदल पर आपत्ति दर्ज कराते हुए तीसरी यूनिट के प्रमुख डॉ. सतीश कुमार ने एमएस को पत्र लिखकर तीनों यूनिट में समान रूप से बेड व डॉक्टरों का आवंटन करने की मांग की.
इस पर एमएस ने कोई सुनवाई नहीं की. जिससे परेशान होकर फिर डॉ. सतीश ने महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं भारत सरकार को पत्र लिखकर शिकायत की, इसके बाद ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. आर्या ने फिर से पुराना ड्यूटी रोस्टर और नियम लागू करने का आदेश जारी कर दिया, लेकिन एमएस डॉक्टर अजय शुक्ला ने आर्या के इस आदेश पर फिर से एक नया आदेश जारी कर रोक लगा दी.साथ ही तीसरी यूनिट में बेड और डॉक्टरों की संख्या फिर से बढ़ने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश जारी कर दिया. आदेश में यह भी कहा गया है कि जब तक समिति रिपोर्ट नहीं सौंप देती है, तब तक तीसरी यूनिट में बेड और डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी. जिससे तीसरी यूनिट के तीनों डॉक्टर परेशान हैं.
डॉक्टर सतीश का कहना है कि इस फेरबदल से उनका ही नहीं, उनके व यूनिट के अन्य दो डॉक्टरों के अंडर में पीजी की पढ़ाई कर रहे छात्रों का भी नुकसान होगा. यूनिट में कम बेड के कारण पर्याप्त मरीज भर्ती न होने से पीजी के छात्रों को प्रैक्टिस करने के साथ अपनी थीसिस तैयार करने का पूरा मौका नहीं मिल पाएगा. साथ ही सर्जरी के लिए सिर्फ आधा दिन मिलने से छात्र सर्जरी करना भी ठीक से नहीं सिख पाएंगे.
इस फेरबदल से परेशान होकर डॉक्टर राहुल खरे ने एमएस को पत्र लिखकर अपना ट्रांसफर करने की भी मांग की है. वहीं, जब इस मामले में एमएस डॉ. अजय शुक्ला से बात की गई तो, उन्होंने एनएमसी की गाइडलाइन का बहाना बनाकर मामले को टालते हुए समिति द्वारा जांच कराने की बात कही. वहीं, डॉक्टर सतीश का कहना है कि इस मामले में एनएमसी की कोई गाइडलाइन नहीं है. यह सब डॉक्टर शुक्ला अपनी मनमानी और जिद के चलते उन्हें और उनकी यूनिट के डॉक्टरों को परेशान करने के लिए कर रहे हैं.
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