नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के आरोप में एक रजिस्ट्रार और दो मेल स्टाफ को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. रजिस्ट्रार जनरल ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम से 21 अक्टूबर को यह आदेश जारी किया है. इसमें लिखा है कि इस अदालत की दो महिला कर्मचारियों से 9 अक्टूबर और 12 अक्टूबर को दो शिकायतें मिलीं. इसके बाद विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया गया है.
महिला कर्मचारियों ने रजिस्ट्रार और उनके अधीन काम करने वाले दो स्टाफ मेंबर पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है. आदेश के मुताबिक आरोपी रजिस्ट्रार को को तत्काल प्रभाव सस्पेंड कर दिया गया है.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नवंबर को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक पब्लिक नोटिस जारी किया. इसमें जानकारी के लिए केवल द सेक्सुअल हैरेसमेंट आफ वूमेन एट वर्कप्लेस प्रीवेंशन प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल एक्ट 2013 के बारे में लिखा था. बता दें कि पहले भी दिल्ली में सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले सामने आते रहे हैं. इन्हें रोकने के लिए 2013 में कानून बनाया गया था.
यौन उत्पीड़न पर भारतीय कानून
भारत हो या दुनिया का कोई भी देश. आए दिन यौन शोषण के अनेकों मामले सामने आते है. सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले लड़के और लड़कियां दोनों के साथ होते है. लेकिन ज्यादातर मामले महिलाओं के साथ होते है. कार्यस्थल पर बॉस से या कलीग से इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. तो कभी कॉलेज और स्कूल में दोस्तों से भी परेशानी होती है. यहां तक की रिश्तेदारों से लेकर बस और ट्रेन में अनजान लोगों से भी इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है.
ग्रामीण परिवेश वाले इलाकों में ज्यादातर लोगों को यही नहीं पता होता है कि आखिर कौन कौन सी बातें यौन शोषण यानि सेक्सुअल हैरेसमेंट के दायरे में आएगी. सेक्सुअल हैरेसमेंट का मतलब हर उस यौन गतिविधि यानि सेस्सुअल एक्टिविटी से होता है जो लड़के या लड़की की बिना मर्जी से होता है.