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Pragati Maidan tunnel Robbery Case: प्रगति मैदान टनल में हुई लूट मामले में फारवर्ड ट्रेडिंग का पैसा होने की आशंका

प्रगति मैदान टनल में हुई लूट मामले में पुलिस अभी भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. अब तक 8 बदमाश गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन पैसा किसका और कैसा था इसका खुलासा नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है कि यह पैसा फारवर्ड ट्रेडर्स का हो सकता है.

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Published : Jun 30, 2023, 6:56 PM IST

नई दिल्ली: प्रगति मैदान टनल में हुई लूट के मामले में लूटी गई रकम पर अभी भी संशय बना हुआ है. शनिवार को दो बाइक सवार चार बदमाशों ने ओला कैब सवार दो व्यक्तियों से हथियारों के बल पर रुपए लूटे थे. आशंका है कि यह रकम फारवर्ड ट्रेडर्स की थी. दरअसल, लूट के बाद पीड़ित युवकों ने तिलक मार्ग थाना पुलिस को वारदात की सूचना दी थी.

बताया जा रहा है कि पहले वह एफआईआर दर्ज नहीं करवा रहे थे, लेकिन पुलिस के समझाने पर केस दर्ज कराया था. तब उन्होंने दो लाख लूटे जाने की बात कही थी, लेकिन वारदात में शामिल 8 बदमाशों के पकड़े जाने पर उनसे करीब साढ़े नौ लाख रुपए बरामद हो चुके हैं. यह रुपए बदमाशों को अपने अपने हिस्से के रूप में मिले थे. यहीं से पुलिस को आशंका है कि सिर्फ दो लाख की लूट में इतना हिस्सा कैसे मिल गया. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में 50 लाख रुपए तक लूटे जाने की आशंका है. वारदात में शामिल दो बदमाश अभी फरार हैं.

कारोबारियों ने बना रखा है समूहः मध्य और उत्तरी दिल्ली में बड़ी संख्या में कारोबारी रहते हैं, जो अपना पूरा कारोबार कैश ट्रांजेक्शन द्वारा करते हैं. यहां हवाला का धंधा भी खूब चलता है. यहां फारवर्ड ट्रेडिंग भी खूब होती है. दरअसल, बड़े कारोबारी एक समूह बना लेते हैं और सब इसमें पैसे लगाते हैं. जरूरत पड़ने पर ये कारोबारी समूह के किसी भी सदस्य को कभी भी और कहीं भी मोटी रकम कैश उपलब्ध कराते हैं. जरूरत पूरी हो जाने पर कारोबारी इस रकम को समूह में फिर से जमा कर देते हैं. इस तरह से एक से दूसरे व्यापारी तक रोटेट होती रहती है, लेकिन इसका कोई सरकारी हिसाब किताब नहीं होता है.

यह भी पढ़ेंः Robbery in Pragati Maidan Tunnel: हर आरोपी की भूमिका पहले से थी तय, जानें किसे क्या मिली थी जिम्मेदारी

टैक्स चोरी के लिए बना रखा है ग्रुपः बताया जाता है कि बिजनेसमैन इस तरह का धंधा कर चोरी के इरादे से करते हैं. पुरानी दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसे समूह हैं. इस धंधे में विश्वासपात्र लोगों को ही शामिल किया जाता है. ताकि पैसा लेकर भाग जाने का डर न रहे. किसी कारोबारी को मोटी रकम की जरूरत होती है तो वह ट्रेडर को फोन कर पैसे कैश मंगवा लेता है.

पैसा पहुंचाने के लिए ये लोग विश्वासपात्र लड़के रखते हैं. इन्हें पैसे पहुंचने के बदले 300-400 रुपए प्रति लाख कमीशन मिलता है. जिसे पैसा पहुंचाया जाता है, ये उनसे भी कमीशन लेते हैं. यानी दोनों तरफ से उन्हें कमीशन मिलता है. जिगर और साजन पटेल को गुरुग्राम के बैंक्वेट मैनेजर सुनील को रुपए पहुंचाने का काम मिला था. लेकिन रुपए रास्ते में ही लूट लिए गए.

कार्रवाई के डर से नहीं करते शिकायतः पुलिस सूत्रों का कहना है कि हवाला और फारवर्ड ट्रेडिंग अवैध धंधा होने के कारण जब इनके साथ लूटपाट की वारदात होती है तो आयकर विभाग के डर के कारण वे लोग लूटी गई रकम के बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं. ईडी और आयकर विभाग ऐसे मामलों में कार्रवाई करती है.

यह भी पढ़ेंः भारतीय संस्कृति और मॉडर्न आर्किटेक्चर का अनूठा मिश्रण है प्रगति मैदान टनल

नई दिल्ली: प्रगति मैदान टनल में हुई लूट के मामले में लूटी गई रकम पर अभी भी संशय बना हुआ है. शनिवार को दो बाइक सवार चार बदमाशों ने ओला कैब सवार दो व्यक्तियों से हथियारों के बल पर रुपए लूटे थे. आशंका है कि यह रकम फारवर्ड ट्रेडर्स की थी. दरअसल, लूट के बाद पीड़ित युवकों ने तिलक मार्ग थाना पुलिस को वारदात की सूचना दी थी.

बताया जा रहा है कि पहले वह एफआईआर दर्ज नहीं करवा रहे थे, लेकिन पुलिस के समझाने पर केस दर्ज कराया था. तब उन्होंने दो लाख लूटे जाने की बात कही थी, लेकिन वारदात में शामिल 8 बदमाशों के पकड़े जाने पर उनसे करीब साढ़े नौ लाख रुपए बरामद हो चुके हैं. यह रुपए बदमाशों को अपने अपने हिस्से के रूप में मिले थे. यहीं से पुलिस को आशंका है कि सिर्फ दो लाख की लूट में इतना हिस्सा कैसे मिल गया. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में 50 लाख रुपए तक लूटे जाने की आशंका है. वारदात में शामिल दो बदमाश अभी फरार हैं.

कारोबारियों ने बना रखा है समूहः मध्य और उत्तरी दिल्ली में बड़ी संख्या में कारोबारी रहते हैं, जो अपना पूरा कारोबार कैश ट्रांजेक्शन द्वारा करते हैं. यहां हवाला का धंधा भी खूब चलता है. यहां फारवर्ड ट्रेडिंग भी खूब होती है. दरअसल, बड़े कारोबारी एक समूह बना लेते हैं और सब इसमें पैसे लगाते हैं. जरूरत पड़ने पर ये कारोबारी समूह के किसी भी सदस्य को कभी भी और कहीं भी मोटी रकम कैश उपलब्ध कराते हैं. जरूरत पूरी हो जाने पर कारोबारी इस रकम को समूह में फिर से जमा कर देते हैं. इस तरह से एक से दूसरे व्यापारी तक रोटेट होती रहती है, लेकिन इसका कोई सरकारी हिसाब किताब नहीं होता है.

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टैक्स चोरी के लिए बना रखा है ग्रुपः बताया जाता है कि बिजनेसमैन इस तरह का धंधा कर चोरी के इरादे से करते हैं. पुरानी दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसे समूह हैं. इस धंधे में विश्वासपात्र लोगों को ही शामिल किया जाता है. ताकि पैसा लेकर भाग जाने का डर न रहे. किसी कारोबारी को मोटी रकम की जरूरत होती है तो वह ट्रेडर को फोन कर पैसे कैश मंगवा लेता है.

पैसा पहुंचाने के लिए ये लोग विश्वासपात्र लड़के रखते हैं. इन्हें पैसे पहुंचने के बदले 300-400 रुपए प्रति लाख कमीशन मिलता है. जिसे पैसा पहुंचाया जाता है, ये उनसे भी कमीशन लेते हैं. यानी दोनों तरफ से उन्हें कमीशन मिलता है. जिगर और साजन पटेल को गुरुग्राम के बैंक्वेट मैनेजर सुनील को रुपए पहुंचाने का काम मिला था. लेकिन रुपए रास्ते में ही लूट लिए गए.

कार्रवाई के डर से नहीं करते शिकायतः पुलिस सूत्रों का कहना है कि हवाला और फारवर्ड ट्रेडिंग अवैध धंधा होने के कारण जब इनके साथ लूटपाट की वारदात होती है तो आयकर विभाग के डर के कारण वे लोग लूटी गई रकम के बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं. ईडी और आयकर विभाग ऐसे मामलों में कार्रवाई करती है.

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