नई दिल्ली: DU को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के खिलाफ डूटा लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन ने तमाम टीचरों के साथ नॉर्थ कैंपस में वाइस चांसलर के ऑफिस के बाहर 1 दिन की हड़ताल की और जोरदार नारेबाजी के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के फैसले को गलत ठहराया.
VC के साथ हुई डूटा की मीटिंग
इस मामले को लेकर डूटा ने कहा है कि शुक्रवार की सुबह 9 बजे विश्वविद्यालय के VC के साथ हमारी मीटिंग हुई थी. लेकिन मीटिंग के दौरान वीसी ने केवल यूनिवर्सिटी को बेचने जैसे दावों के बारे में बात की जो छात्रों और टीचरों के हित में नहीं है.
'यूनिवर्सिटी का निजीकरण गलत'
विश्वविद्यालय की प्रोफेसर स्वाति चंद्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि एक दर्जा दिया जाना ठीक है, लेकिन जिस तरीके से इसके अंतर्गत यूनिवर्सिटी का निजीकरण किया जा रहा है और जो सरकार की तरफ से यूनिवर्सिटी को फंड मिलता है. उसे बंद किया जाएगा, जिससे इसका सीधे तौर पर छात्रों और टीचरों पर असर पड़ेगा.
'छात्रों की बढ़ेगी फीस'
इसके अलावा एआरएसडीसी कॉलेज के प्रोफेसर अशोक पूनिया ने ईटीवी भारत को बताया कि इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की फीस बढ़ जाएगी. वहीं टीचर्स को भी इसका नुकसान होगा.
क्यों विरोध कर रहा है डूटा?
डूटा के वाइस प्रेसिडेंट आलोक ने बताया कि इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का हम विरोध इसलिये कर रहे हैं. क्योंकि वाइस चांसलर बिना टीचरों से सलाह मशवरा किए ही इसे लागू कर रहा है. यह सरासर टीचरों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों पर थोपा जाने वाला फैसला है. विश्वविद्यालय में इसके अंतर्गत 9 नए इंस्टिट्यूट खोले जाएंगे, जोकि सीधे तौर पर निजीकरण है. जिससे जो गरीब तबके के छात्र यहां पढ़ने के लिए आते हैं, उनकी फीस लाख रुपये तक हो जाएगी.