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DU: IOE के विरोध में वीसी ऑफिस के बाहर DUTA का प्रदर्शन

डूटा ने कहा है कि शुक्रवार की सुबह 9 बजे विश्वविद्यालय के VC के साथ हमारी मीटिंग हुई थी. लेकिन मीटिंग के दौरान वीसी ने केवल यूनिवर्सिटी को बेचने जैसे दावों के बारे में बात की जो छात्रों और टीचरों के हित में नहीं है.

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Published : Oct 26, 2019, 7:38 AM IST

DUTA का प्रदर्शन

नई दिल्ली: DU को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के खिलाफ डूटा लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन ने तमाम टीचरों के साथ नॉर्थ कैंपस में वाइस चांसलर के ऑफिस के बाहर 1 दिन की हड़ताल की और जोरदार नारेबाजी के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के फैसले को गलत ठहराया.

IOE के विरोध में वीसी ऑफिस के बाहर DUTA का प्रदर्शन

VC के साथ हुई डूटा की मीटिंग

इस मामले को लेकर डूटा ने कहा है कि शुक्रवार की सुबह 9 बजे विश्वविद्यालय के VC के साथ हमारी मीटिंग हुई थी. लेकिन मीटिंग के दौरान वीसी ने केवल यूनिवर्सिटी को बेचने जैसे दावों के बारे में बात की जो छात्रों और टीचरों के हित में नहीं है.

'यूनिवर्सिटी का निजीकरण गलत'

विश्वविद्यालय की प्रोफेसर स्वाति चंद्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि एक दर्जा दिया जाना ठीक है, लेकिन जिस तरीके से इसके अंतर्गत यूनिवर्सिटी का निजीकरण किया जा रहा है और जो सरकार की तरफ से यूनिवर्सिटी को फंड मिलता है. उसे बंद किया जाएगा, जिससे इसका सीधे तौर पर छात्रों और टीचरों पर असर पड़ेगा.

'छात्रों की बढ़ेगी फीस'

इसके अलावा एआरएसडीसी कॉलेज के प्रोफेसर अशोक पूनिया ने ईटीवी भारत को बताया कि इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की फीस बढ़ जाएगी. वहीं टीचर्स को भी इसका नुकसान होगा.

क्यों विरोध कर रहा है डूटा?

डूटा के वाइस प्रेसिडेंट आलोक ने बताया कि इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का हम विरोध इसलिये कर रहे हैं. क्योंकि वाइस चांसलर बिना टीचरों से सलाह मशवरा किए ही इसे लागू कर रहा है. यह सरासर टीचरों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों पर थोपा जाने वाला फैसला है. विश्वविद्यालय में इसके अंतर्गत 9 नए इंस्टिट्यूट खोले जाएंगे, जोकि सीधे तौर पर निजीकरण है. जिससे जो गरीब तबके के छात्र यहां पढ़ने के लिए आते हैं, उनकी फीस लाख रुपये तक हो जाएगी.

नई दिल्ली: DU को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के खिलाफ डूटा लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन ने तमाम टीचरों के साथ नॉर्थ कैंपस में वाइस चांसलर के ऑफिस के बाहर 1 दिन की हड़ताल की और जोरदार नारेबाजी के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के फैसले को गलत ठहराया.

IOE के विरोध में वीसी ऑफिस के बाहर DUTA का प्रदर्शन

VC के साथ हुई डूटा की मीटिंग

इस मामले को लेकर डूटा ने कहा है कि शुक्रवार की सुबह 9 बजे विश्वविद्यालय के VC के साथ हमारी मीटिंग हुई थी. लेकिन मीटिंग के दौरान वीसी ने केवल यूनिवर्सिटी को बेचने जैसे दावों के बारे में बात की जो छात्रों और टीचरों के हित में नहीं है.

'यूनिवर्सिटी का निजीकरण गलत'

विश्वविद्यालय की प्रोफेसर स्वाति चंद्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि एक दर्जा दिया जाना ठीक है, लेकिन जिस तरीके से इसके अंतर्गत यूनिवर्सिटी का निजीकरण किया जा रहा है और जो सरकार की तरफ से यूनिवर्सिटी को फंड मिलता है. उसे बंद किया जाएगा, जिससे इसका सीधे तौर पर छात्रों और टीचरों पर असर पड़ेगा.

'छात्रों की बढ़ेगी फीस'

इसके अलावा एआरएसडीसी कॉलेज के प्रोफेसर अशोक पूनिया ने ईटीवी भारत को बताया कि इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिए जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की फीस बढ़ जाएगी. वहीं टीचर्स को भी इसका नुकसान होगा.

क्यों विरोध कर रहा है डूटा?

डूटा के वाइस प्रेसिडेंट आलोक ने बताया कि इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का हम विरोध इसलिये कर रहे हैं. क्योंकि वाइस चांसलर बिना टीचरों से सलाह मशवरा किए ही इसे लागू कर रहा है. यह सरासर टीचरों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों पर थोपा जाने वाला फैसला है. विश्वविद्यालय में इसके अंतर्गत 9 नए इंस्टिट्यूट खोले जाएंगे, जोकि सीधे तौर पर निजीकरण है. जिससे जो गरीब तबके के छात्र यहां पढ़ने के लिए आते हैं, उनकी फीस लाख रुपये तक हो जाएगी.

Intro:दिल्ली विश्वविद्यालय को इंस्टिट्यूट ऑफ़ एमेनेंस का दर्जा दिए जाने के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है, इसी कड़ी में आज दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन ने तमाम टीचरों के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस में वाइस चांसलर के ऑफिस के बाहर 1 दिन की हड़ताल की, और जोरदार नारेबाजी के साथ इंस्टीट्यूट आफ एमेनेंस का दर्जा दिए जाने के फैसले को गलत ठहराया.


Body:वाइस चांसलर के साथ हुई टूटा टीम की मीटिंग
दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन के प्रेसिडेंस ने कहा कि कि आज वाइस चांसलर ने पूरे 1 साल बाद डूटा टीम को 9:00 बजे मीटिंग के लिए बुलाया, और हमारी मीटिंग 9:00 से 12:00 बजे तक चली. इस दौरान उन्होंने केवल और केवल यूनिवर्सिटी को बेचने जैसे दावों के बारे में बात की, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय को इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिया जाए, जबकि यह छात्रों और टीचरों के हित में नहीं है.

यूनिवर्सिटी का निजीकरण गलत
प्रदर्शन में शामिल हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर स्वाति चंद्रा ने बताया कि एक दर्जा दिया जाना ठीक है, लेकिन जिस तरीके से इसके अंतर्गत यूनिवर्सिटी का निजीकरण किया जा रहा है, और जो सरकार की तरफ से यूनिवर्सिटी को फंड मिलता है. उसे बंद किया जाएगा, जिससे कि इसका सीधे तौर पर छात्रों और टीचरों पर असर पड़ेगा.

IOE लागू होने के बाद छात्रों की बढ़ेगी फीस
इसके अलावा एआरएसडीसी कॉलेज के प्रोफेसर अशोक पूनिया ने ईटीवी भारत को बताया, कि इंस्टिट्यूट ऑफ एमेनेंस का दर्जा दिए जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की फीस बढ़ जाएगी वही टीचर्स को भी इसका नुकसान होगा.


Conclusion:क्यों विरोध कर रहे इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंट का?
वही डूटा के वाइस प्रेसिडेंट आलोक ने ईटीवी भारत को बताया कि इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का हम विरोध इसलिये कर रहे हैं क्योंकि वाइस चांसलर बिना टीचरों से सलाह मशवरा किए इसे लागू कर रहा है, यह सरासर टीचरों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों पर थोपा जाने वाला फैसला है, क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय में इसके अंतर्गत 9 नए इंस्टिट्यूट खोले जाएंगे. जोकि सीधे तौर पर निजीकरण है. जिससे जो गरीब तबके के छात्र यहां पढ़ने के लिए आते हैं, उनकी फीस लाख रुपए तक हो जाएगी, जिससे कि छात्र फिर कहां जाएंगे यह सवाल बना हुआ है,
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