नई दिल्ली/नोएडा: कड़ाके की ठंड को देखते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शहरी विकास मंत्री द्वारा पूरे प्रदेश में 'मिशन मोड' अभियान चलाया जा रहा है. इसके अंतर्गत जगह-जगह पर शेल्टर होम और रेन बसेरा बनाए जा रहे हैं. महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग- अलग शेल्टर होम बनाने का आदेश था. सरकार ने फुटपाथ और खुले में सोने वालों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया, पर नोएडा में सरकार के इस मिशन का कहीं पर भी असर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है.
ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि लोग खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं, क्योंकि सरकार और प्रशासन की तरफ से उन्हें किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है. यह हाल नोएडा के कई स्थानों पर देखा जा सकता है. ईटीवी भारत की टीम ने सेक्टर 50 के पास रोड किनारे फुटपाथ पर सो रहे लोगों से बात की. उनका कहना है कि प्रशासन की तरफ से मदद मिली होती तो शायद हम मजबूरी में यहां नहीं सो रहे होते. फुटपाथ पर महिला और पुरुष के साथ ही छोटे-छोटे बच्चे भी खुले आसमान में सो रहे हैं. कड़ाके की ठंड से बचने के लिए लोग आग का सहारा ले रहे हैं.
सर्द रातों में कोई नहीं सोएगा खुले में, सरकार आदेश: कड़ाके की सर्दी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 23 दिसंबर आदेश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया कि सर्द रातों में उत्तर प्रदेश में कोई भी खुले आसमान में न सोने पाए. निर्देश के बाद निराश्रित एवं दुर्बल वर्ग के आश्रयहीन व्यक्तियों के ठहरने, रुकने के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करने का भी आदेश दिया गया था. इस संबंध में रैन बसेरों व शेल्टर होम्स के संचालन को दिशा निर्देश दिए थे.
जरूरतमंद लोगों को मिल रहने की सुविधा: निर्देशों में रैन बसेरों व शेल्टर होम्स के संचालन के विषय में कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा गया. इसके अनुसार, समस्त चिकित्सालयों, मेडिकल कॉलेज, बस स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों, श्रमिकों के कार्य स्थलों एवं बाजारों में अनिवार्य रूप से रैन बसेरे व शेल्टर होम्स संचालित किए जाएं. आवश्यकतानुसार नए अस्थाई रैन बसेरों का निर्माण भी किया जाए. इसके लिए राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं विकास प्राधिकरण आदि द्वारा अपेक्षित सहयोग प्रदान किया जाएगा. रैन बसेरा व शेल्टर होम्स में ऐसे जरूरतमंद व्यक्तियों ठहरने की सुविधा है, जिनके पास रहने की सुविधा नहीं है. ताकि वह खुले में या सड़क या पटरियों पर न सोए.
महिला-पुरुषों के लिए अलग-अलग हो व्यवस्था: रैन बसेरा व शेल्टर होम्स में रुकने वाले व्यक्तियों को ठंड से बचाने एवं आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए समस्त उपाय (साफ-सफाई, स्वच्छ बेड शीट, कंबल, गरम पानी, शौचालय, प्राथमिक चिकित्सा, प्रकाश व्यवस्था तथा सीसीटीवी आदि का प्रबंध किया जाए. बेड शीट, कंबल इत्यादि की सफाई और धुलाई नियमित रूप से की जाए. रैन बसेरा व शेल्टर होम्स में महिलाओं और पुरुषों के सोने व शौचालत आदि की व्यवस्था अलग-अलग की जाए.
जिला प्रशासन के सहयोग से प्रत्येक जरूरतमंद निर्धन व्यक्ति को कंबल आदि उपलब्ध कराए जाएं. समस्त रैन बसेरों में केयर टेकर भी तैनात किए जाएं, जिसका नाम, पदनाम, मोबाइल नंबर रैन बसेरों के गेट पर अवश्य दर्शाया जाए. प्रत्येक रैन बसेरे के लिए एक उपयुक्त वरिष्ठता का नोडल अधिकारी नामित किया जाए, जिस पर रैन बसेरे के संचालन का उत्तरदायित्व होगा. ठंड से राहत देने के लिए सरकार द्वारा इतने सारे आदेश निर्देश जारी किए गए हैं. इस पूरे कार्य को एक मिशन का नाम दिया गया है. पर इस आदेश का पालन कहां तक नोएडा में जमीनी स्तर पर हो रहा है, यह किसी से छुपा नहीं है.
फुटपाथ पर सो रहे लोग: फुटपाथ पर बच्चों के साथ रहने वाले नाथूराम और उनकी पत्नी के साथ ही अन्य लोगों से जब बात की गई, तो उनका कहना है कि प्रशासन अगर मदद करता तो, हम यहां क्यों सोते. फुटपाथ पर हम बच्चों और अपना पेट पालने के लिए इधर-उधर कमा कर सोते हैं. लोगों का यह भी कहना है कि अगर बेहतर जगह सोने की मिल जाए तो वह खुले आसमान के नीचे इस कड़ाके की ठंड में क्यों सोना पसंद करेंगे. आज कोई व्यवस्था उनके पास नहीं है, ठंड से बचने के लिए इसलिए फुटपाथ पर मजबूरी में बच्चों के साथ सो रहे हैं.