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आस्था के नाम पर मैली हो रही यमुना नदी, पूजा सामग्री से हो रहा नुकसान

यमुना नदी की हालत बहुत खराब है. प्रदूषण की वजह से इसका पानी काला पड़ चुका है. छठ के समय झाग वाले पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते लोगों की तस्वीरें धुंधली नहीं हुई है. आस्था ने यमुना को बहुत नुकसान पहुंचाया है.

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Published : May 16, 2019, 5:30 AM IST

Updated : May 16, 2019, 1:00 PM IST

मैली हो रही यमुना

नई दिल्ली: गंगा की सहायक नदी यमुना यमुनोत्री से निकलती है और विभिन्न राज्यों से होते प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा नदी में मिल जाती है. यमुना सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करती है. इस दौरान नदी प्रदूषण और गंदगी का शिकार हो जाती है.

आस्था के नाम पर मैली हो रही यमुना नदी,

राजधानी में सबसे प्रदूषित यमुना
यमुना नदी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल से प्रयागराज तक 1326 किलोमीटर का सफर 7 राज्यों से गुजर कर तय करती है. यमुना नदी दिल्ली में लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करती है. यहां आकर यमुना नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित हो जाती है.

काला पड़ गया है पानी का रंग
दिल्ली से 22 किलोमीटर का सफर तय करना यमुना नदी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल भरा होता है. यमुना में पूरी दिल्ली के नाले आकर गिरते हैं जिसमें भारी मात्रा में कचरा होता है. इसी विषैले पानी के कारण दिल्ली में यमुना नदी के पानी का रंग काला पड़ जाता है.

आस्था के नाम पर नदी से खिलवाड़
दिल्ली सचिवालय से लगभग 200 मीटर दूर स्थित यमुना नदी के हाथी घाट पहुंचकर ईटीवी भारत ने वहां की स्थिति का जायजा लिया. हमने पाया कि, एक तरफ जहां नालों का गंदा पानी और कूड़ा यमुना को प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी तरफ आस्था भी यमुना को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभा रही है.

Dirt on the pier
घाट पर पसरी गंदगी

श्रद्धालु पूजा-पाठ का सामान हाथी घाट पर छोड़ जाते हैं. ये सारा सामान पॉलीथिन में भरा होता है जो धीरे-धीरे यमुना नदी में चला जाता है.

पूजा-पाठ के बाद कचरा फेंक जाते हैं
हमने ये भी पाया कि हाथी घाट में मंदिर भी जहां लोग पूजा-पाठ करते हैं लेकिन मंदिर के आस-पास काफी मात्रा में गंदा कचरा फैला हुआ था. लोग यहां आते हैं.
अपनी आस्था प्रदर्शित करते हैं लेकिन साफ-सफाई का ध्यान रखना भूल जाते हैं. जिसका नतीजा है कि कभी राजधानी की प्यास बुझाने वाली नदी आज मर रही है.

नई दिल्ली: गंगा की सहायक नदी यमुना यमुनोत्री से निकलती है और विभिन्न राज्यों से होते प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा नदी में मिल जाती है. यमुना सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करती है. इस दौरान नदी प्रदूषण और गंदगी का शिकार हो जाती है.

आस्था के नाम पर मैली हो रही यमुना नदी,

राजधानी में सबसे प्रदूषित यमुना
यमुना नदी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल से प्रयागराज तक 1326 किलोमीटर का सफर 7 राज्यों से गुजर कर तय करती है. यमुना नदी दिल्ली में लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करती है. यहां आकर यमुना नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित हो जाती है.

काला पड़ गया है पानी का रंग
दिल्ली से 22 किलोमीटर का सफर तय करना यमुना नदी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल भरा होता है. यमुना में पूरी दिल्ली के नाले आकर गिरते हैं जिसमें भारी मात्रा में कचरा होता है. इसी विषैले पानी के कारण दिल्ली में यमुना नदी के पानी का रंग काला पड़ जाता है.

आस्था के नाम पर नदी से खिलवाड़
दिल्ली सचिवालय से लगभग 200 मीटर दूर स्थित यमुना नदी के हाथी घाट पहुंचकर ईटीवी भारत ने वहां की स्थिति का जायजा लिया. हमने पाया कि, एक तरफ जहां नालों का गंदा पानी और कूड़ा यमुना को प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी तरफ आस्था भी यमुना को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभा रही है.

Dirt on the pier
घाट पर पसरी गंदगी

श्रद्धालु पूजा-पाठ का सामान हाथी घाट पर छोड़ जाते हैं. ये सारा सामान पॉलीथिन में भरा होता है जो धीरे-धीरे यमुना नदी में चला जाता है.

पूजा-पाठ के बाद कचरा फेंक जाते हैं
हमने ये भी पाया कि हाथी घाट में मंदिर भी जहां लोग पूजा-पाठ करते हैं लेकिन मंदिर के आस-पास काफी मात्रा में गंदा कचरा फैला हुआ था. लोग यहां आते हैं.
अपनी आस्था प्रदर्शित करते हैं लेकिन साफ-सफाई का ध्यान रखना भूल जाते हैं. जिसका नतीजा है कि कभी राजधानी की प्यास बुझाने वाली नदी आज मर रही है.

Intro:गंगा की सहायक नदी यमुना यमुनोत्री से निकलती है और विभिन्न राज्यों से होते प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा नदी में मिल जाती है. इस दौरान यमुना सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करती है साथ ही प्रदूषण और गंदगी का शिकार हो जाती है.
जानते हैं कि इस दौरान जब दिल्ली यमुना से निकलती है तो किस तरह से यमुना के पानी का रंग काला हो जाता है.


Body:यमुना नदी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल से प्रयागराज तक 1326 किलोमीटर का सफर 7 राज्यों से गुजर कर तय करती है. यमुना नदी दिल्ली में लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करती है जोकि जमुना को सबसे ज्यादा प्रदूषित और गंदा कर देता है.

दिल्ली से 22 किलोमीटर का सफर तय करना यमुना नदी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल भरा होता है इस बीच जमुना में नालों का गंदा पानी कूड़ा मिल जाता है, जिसके कारण दिल्ली से गुजरने के बाद यमुना का प्रदूषण इस स्तर बढ़ जाता है और पानी का रंग काला दिखाई देता है.

दिल्ली सचिवालय से लगभग 200 मीटर दूर स्थित यमुना नदी के हाथी घाट पहुंचकर ईटीवी भारत ने वहां की स्थिति का जायजा लिया, एक तरफ नालों का गंदा पानी और कूड़ा यमुना को प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी तरफ आस्था भी यमुना को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभा रही है.

श्रद्धालु आस्था का सामान हाथी घाट पर छोड़ जाते हैं जिसमें से अधिकतर आस्था की सग्रामी में पन्नियों में बंद होती है, धीरे-धीरे यह सग्रामी फिसल कर यमुना में प्रवेश कर लेती है.

हालांकि हाथी घाट पर मंदिर भी है लेकिन फिर भी यहां पर साफ-सुथरा ई का कोई इंतजाम नहीं है देखने पर ऐसा लगता है कि श्रद्धालु जो आस्था का सामान नदी किनारे छोड़ जाते न तो उस पर प्रशासन कोई पाबंदी लगाता है और नहीं उसको उठाकर किसी और स्थान पर पहुंचाता है.

आमतौर पर यह आस्था का सामान नदी में तैरता हुआ नजर आ जाता है. सचिवालय से सटे होने के बावजूद भी यहां पर किसी अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है.


Conclusion:यमुना के पानी पर नजर डालें तो उसका रंग बदलकर काला हो चुका है ऐसा लगता है जैसे यमुना अपनी जिंदगी की आखिरी सांसे ले रही है अगर सरकार और प्रशासन ने यमुना की मौजूदा स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले समय में यमुना की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है.

एक वक्त ऐसा भी था जब यमुना का पानी दिल्लीवासी खानपान में इस्तेमाल किया करते थे लेकिन आज के समय की बात करें तो दिल्ली में पीने के पानी की भारी कमी नजर आती है हालांकि अगर जमुना प्रदूषित ना होती तो शायद आज दिल्लीवासियों को पानी की समस्या से जूझना नहीं पड़ता.
Last Updated : May 16, 2019, 1:00 PM IST
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