नई दिल्ली: गंगा की सहायक नदी यमुना यमुनोत्री से निकलती है और विभिन्न राज्यों से होते प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा नदी में मिल जाती है. यमुना सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करती है. इस दौरान नदी प्रदूषण और गंदगी का शिकार हो जाती है.
राजधानी में सबसे प्रदूषित यमुना
यमुना नदी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल से प्रयागराज तक 1326 किलोमीटर का सफर 7 राज्यों से गुजर कर तय करती है. यमुना नदी दिल्ली में लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करती है. यहां आकर यमुना नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित हो जाती है.
काला पड़ गया है पानी का रंग
दिल्ली से 22 किलोमीटर का सफर तय करना यमुना नदी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल भरा होता है. यमुना में पूरी दिल्ली के नाले आकर गिरते हैं जिसमें भारी मात्रा में कचरा होता है. इसी विषैले पानी के कारण दिल्ली में यमुना नदी के पानी का रंग काला पड़ जाता है.
आस्था के नाम पर नदी से खिलवाड़
दिल्ली सचिवालय से लगभग 200 मीटर दूर स्थित यमुना नदी के हाथी घाट पहुंचकर ईटीवी भारत ने वहां की स्थिति का जायजा लिया. हमने पाया कि, एक तरफ जहां नालों का गंदा पानी और कूड़ा यमुना को प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी तरफ आस्था भी यमुना को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभा रही है.
श्रद्धालु पूजा-पाठ का सामान हाथी घाट पर छोड़ जाते हैं. ये सारा सामान पॉलीथिन में भरा होता है जो धीरे-धीरे यमुना नदी में चला जाता है.
पूजा-पाठ के बाद कचरा फेंक जाते हैं
हमने ये भी पाया कि हाथी घाट में मंदिर भी जहां लोग पूजा-पाठ करते हैं लेकिन मंदिर के आस-पास काफी मात्रा में गंदा कचरा फैला हुआ था. लोग यहां आते हैं.
अपनी आस्था प्रदर्शित करते हैं लेकिन साफ-सफाई का ध्यान रखना भूल जाते हैं. जिसका नतीजा है कि कभी राजधानी की प्यास बुझाने वाली नदी आज मर रही है.