नई दिल्ली: पूरी दुनिया में 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है और मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों से लोगों को जागरूक किया जाता है. इसी कड़ी में मलेरिया को देखते हुए इस साल डब्ल्यूएचओ ने जीरो मलेरिया डे बनाया है.
भारत में मलेरिया से लड़ने के लिए क्या है इंतजाम और क्या है इसकी जरूरत. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने राम मनोहर लोहिया के डॉक्टर बृजेश कुमार से बातचीत की.
मलेरिया पर काबू न पाने की वजह?
डॉक्टर बृजेश कुमार ने बताया कि भारत में मलेरिया पर काबू न पाने का एकमात्र कारण लोगों के बीच जागरूकता का न होना और साथ ही संबंधित अथॉरिटी की ओर से साफ सफाई ना करना है.
उन्होंने बताया कि आज मलेरिया का उपचार करना बेहद आसान है. लेकिन कई लोग इसकी चपेट में सिर्फ और सिर्फ इस वजह से आते हैं कि उन्हें इसके उपचार की कोई जानकारी नहीं होती. वे समय रहते डॉक्टर के पास नहीं जाते. इसके बाद स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है और वह जानलेवा भी साबित होती है. इसलिए जरूरी है कि समय रहते डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
मच्छर काटने से क्या होती है बीमारी
डॉक्टर ने बताया कि गंदगी और रुके हुए पानी में पनपने वाले मच्छर कई प्रकार के होते हैं. उन्होंने बताया कि मच्छर काटने से मलेरिया, डेंगू, येलो फीवर (अफ्रीकन देशों में पाया जाता है), जीका फीवर, चिकिनगुनिया, वेस्ट नाइल वाइरस शामिल हैं. उन्होंने बताया भारत में अभी सिर्फ चिकिनगुनिया, डेंगू और मलेरिया का प्रकोप है. इससे निपटने के लिए हम सक्षम हैं बस जरूरत है जागरूकता की.
मलेरिया से कैसे बचें
डॉक्टर ने बताया कि मलेरिया जैसी बीमारी से बचने के लिए सबसे आसान तरीका यह है कि आप अपने आसपास गंदगी पनपते हुए दिखे तो उस पानी को जल्द से जल्द साफ कर दें और संबंधित अथॉरिटी को भी इसकी सूचना दें. जिससे कि मलेरिया का लार्वा न पनप पाए. साथ ही इसका असर बरसात के दिनों में ज्यादा होता है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि 20 अगस्त को 1897 में इसका पहला वाइरस पाया गया था.