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दिल्ली में पुराने वाहनों से छुटकारा पाने की योजना बना रहा परिवहन विभाग - vehicle scrapping policy in delhi

बजट 2023 में पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पॉलिसी को बढ़ावा देने की बात कही गई है. वहीं दिल्ली में यह पॉलिसी पहले से ही लागू है, मगर इसके बावजूद दिल्ली की सड़कों पर पुराने वाहन घूम रहे हैं, जिनकी मान्यता रद्द कर दी गई है. दिल्ली परिवहन विभाग यह विचार कर रहा है कि कैसे प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहन को स्क्रैप किया जाए.

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Published : Feb 3, 2023, 4:04 PM IST

नई दिल्ली: संसद में पेश आम बजट में पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पॉलिसी को और सुगम बनाने और बढ़ावा देने की योजना पर जोर देने की बात कही गई है. इससे शहरों में पुराने वाहन का निस्तारण होगा और उनकी जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियों व अन्य कम प्रदूषण फैलाने वाली नई गाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा. दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने गत वर्ष 24 अगस्त को ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुराने वाहनों को खत्म करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया था. यह लागू भी हो हो गया है, लेकिन इसकी स्क्रैपिंग की सुविधा बेहतर नहीं होने से आज भी धड़ल्ले से पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रही है.

दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग भी विचार कर रहा है कि स्क्रैपिंग को लेकर पहले से एनजीटी के दिशा निर्देशों को दिल्ली में किस तरह से सख्ती से लागू किया जाए. दरअसल, दिल्ली में वाहनों की स्क्रैपिंग को प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां घोषित किया गया है. इस कारण परिवहन विभाग के अधिसूचित एक भी अधिकृत स्क्रैप डीलर की दिल्ली में वर्कशॉप नहीं है. विभाग ने अधिकृत आठ डीलर में से सभी ने दिल्ली से सटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के शहरों में सेंटर खोल रखा है. इसके चलते अपनी मर्जी से पुराने वाहन मालिक वहां जाकर स्क्रैप कराने नहीं जाते. ट्रैफिक पुलिस या परिवहन विभाग की जांच में कोई पुरानी गाड़ियां पकड़ी जाती है, तो उसे वहां स्क्रैपिंग के लिए भेजा जाता है. नतीजा है कि दिल्ली में पंजीकृत 3 लाख से अधिक डीजल गाड़ियों को विभाग ने भले ही अवैध कर दिया है, लेकिन कुल 20 हजार गाड़ियां भी स्क्रैप नहीं हो पाई है.

दिल्ली में मोटर वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए दिशा-निर्देश वर्ष 2018 में एनजीटी के आदेश के बाद लागू है. इसमें 15 साल से पुराने सभी पेट्रोल वाहन, 10 साल से पुराने सभी डीजल वाहनों और दुर्घटनाएं व अन्य किसी भी वाहन को निष्क्रिय करने के लिए लागू है. दिल्ली सरकार ने सूचीबद्ध स्क्रैप पर कंपनियों में से एक पाइनव्यू टेक्नोलॉजी के प्रमुख एस अरोरा कहते हैं कि हमें रोजाना करीब 70 से 80 डीजल और पेट्रोल वाहन स्कैपिंग के लिए मिलते हैं.

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स्कैपिंग का पैसा वाहन मालिक को दिया जाता है, लेकिन जिस तादात में दिल्ली एनसीआर में पुरानी गाड़ियां रजिस्टर्ड है और परिवहन विभाग ने उनकी वैलिडिटी खत्म होने पर रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया है, उतनी गाड़ियां स्कैपिंग के लिए नहीं आ रही है. इस पर सरकार को भी कदम उठाना होगा. साथ ही लोगों को भी जागरूक करना होगा कि वह अपने व शहर के हित में पुरानी गाड़ियों को स्कैप कराएं. यही वजह है कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग सोच विचार कर रहा है कि केंद्र की गाइडलाइंस को दिल्ली में किस तरह से लागू किया जाए.

बता दें, दिल्ली के कुल वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाला प्रदूषण 22-26 फीसदी है. इसी के चलते पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के साथ-साथ ईवी पॉलिसी के तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर है.

इसे भी पढ़ें: Manish Sisodia के अमेरिका दौरे को LG विनय सक्सेना ने दी अनुमति

नई दिल्ली: संसद में पेश आम बजट में पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पॉलिसी को और सुगम बनाने और बढ़ावा देने की योजना पर जोर देने की बात कही गई है. इससे शहरों में पुराने वाहन का निस्तारण होगा और उनकी जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियों व अन्य कम प्रदूषण फैलाने वाली नई गाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा. दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने गत वर्ष 24 अगस्त को ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुराने वाहनों को खत्म करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया था. यह लागू भी हो हो गया है, लेकिन इसकी स्क्रैपिंग की सुविधा बेहतर नहीं होने से आज भी धड़ल्ले से पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रही है.

दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग भी विचार कर रहा है कि स्क्रैपिंग को लेकर पहले से एनजीटी के दिशा निर्देशों को दिल्ली में किस तरह से सख्ती से लागू किया जाए. दरअसल, दिल्ली में वाहनों की स्क्रैपिंग को प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां घोषित किया गया है. इस कारण परिवहन विभाग के अधिसूचित एक भी अधिकृत स्क्रैप डीलर की दिल्ली में वर्कशॉप नहीं है. विभाग ने अधिकृत आठ डीलर में से सभी ने दिल्ली से सटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के शहरों में सेंटर खोल रखा है. इसके चलते अपनी मर्जी से पुराने वाहन मालिक वहां जाकर स्क्रैप कराने नहीं जाते. ट्रैफिक पुलिस या परिवहन विभाग की जांच में कोई पुरानी गाड़ियां पकड़ी जाती है, तो उसे वहां स्क्रैपिंग के लिए भेजा जाता है. नतीजा है कि दिल्ली में पंजीकृत 3 लाख से अधिक डीजल गाड़ियों को विभाग ने भले ही अवैध कर दिया है, लेकिन कुल 20 हजार गाड़ियां भी स्क्रैप नहीं हो पाई है.

दिल्ली में मोटर वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए दिशा-निर्देश वर्ष 2018 में एनजीटी के आदेश के बाद लागू है. इसमें 15 साल से पुराने सभी पेट्रोल वाहन, 10 साल से पुराने सभी डीजल वाहनों और दुर्घटनाएं व अन्य किसी भी वाहन को निष्क्रिय करने के लिए लागू है. दिल्ली सरकार ने सूचीबद्ध स्क्रैप पर कंपनियों में से एक पाइनव्यू टेक्नोलॉजी के प्रमुख एस अरोरा कहते हैं कि हमें रोजाना करीब 70 से 80 डीजल और पेट्रोल वाहन स्कैपिंग के लिए मिलते हैं.

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स्कैपिंग का पैसा वाहन मालिक को दिया जाता है, लेकिन जिस तादात में दिल्ली एनसीआर में पुरानी गाड़ियां रजिस्टर्ड है और परिवहन विभाग ने उनकी वैलिडिटी खत्म होने पर रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया है, उतनी गाड़ियां स्कैपिंग के लिए नहीं आ रही है. इस पर सरकार को भी कदम उठाना होगा. साथ ही लोगों को भी जागरूक करना होगा कि वह अपने व शहर के हित में पुरानी गाड़ियों को स्कैप कराएं. यही वजह है कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग सोच विचार कर रहा है कि केंद्र की गाइडलाइंस को दिल्ली में किस तरह से लागू किया जाए.

बता दें, दिल्ली के कुल वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाला प्रदूषण 22-26 फीसदी है. इसी के चलते पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के साथ-साथ ईवी पॉलिसी के तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर है.

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