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Thug gang busted: फर्जीवाड़े का शतक लगाने वाले सात ठग बिहार के बेगूसराय से गिरफ्तार, 40 करोड़ रुपये ठग चुके हैं

बड़ी बड़ी कंपनियों की फर्जी पॉलिसी बेचकर सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए दिल्ली पुलिस ने सात ठगों को बिहार के बेगूसराय गिरफ्तार किया है. सभी आरोपी बेगूसराय के रहने वाले हैं.

फर्जीवाड़े का शतक लगाने वाले सात ठग बिहार के बेगूसराय से गिरफ्तार
फर्जीवाड़े का शतक लगाने वाले सात ठग बिहार के बेगूसराय से गिरफ्तार
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Published : Apr 25, 2023, 3:54 PM IST

स्पेशल सेल के डीसीपी प्रशांत पी गौतम

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ठगी में सेंचुरी लगा चुके गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सात ठगों को बिहार के बेगूसराय से गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि इन ठगों ने 100 लोगों से करीब 40 करोड़ रुपए की ठगी की है. ये लोग बड़ी-बड़ी बीमा कंपनियों की फर्जी बीमा पॉलिसी बेचकर लोगों से करोड़ों रुपए वसूल रहे थे.

पुलिस ने आरोपियों से बैंक ऑफ बड़ौदा के 1091 एटीएम, विभिन्न बैंक अकाउंट्स से लिंक 6 मोबाइल, फिनो बैंक के 22 इंस्टॉ डेबिट कार्ड, बैंक ऑफ बड़ौदा के 56 ब्लैंक पासबुक, 58 लोगों के बैंक ऑफ बड़ौदा के पासबुक, पीएनबी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के एक-एक पासबुक बरामद किए हैं.

इन अकाउंट्स से पुलिस को करीब 40 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन की जानकारी मिली है. आरोपियों की पहचान बेगूसराय निवासी दिनेश कुमार दास, बीरेंद्र कुमार, बबलू मालाकर, रोशन कुमार, पवन कुमार, श्याम सुंदर और मिथिलेश कुमार के रूप में हुई है. ठगों ने एक व्यक्ति से 7 साल में 2.80 करोड़, एक व्यक्ति से 3 साल में 85 लाख और एक पीड़ित से एक साल में 19 लाख रुपए वसूल लिए. ये लोग बड़ी बड़ी कंपनियों की फर्जी पॉलिसी बेचकर सालों साल उनका प्रीमियम वसूलते थे. बिहार के बेगूसराय से यह गिरोह ऑपरेट किया जा रहा था.

एक आरोपी चलाता था बैंक ऑफ बड़ौदा का कस्टमर सर्विस सेंटरः स्पेशल सेल के डीसीपी प्रशांत पी गौतम ने बताया कि पिछले साल नौ मई को एक पीड़ित ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि फर्जी पॉलिसी के नाम पर कुछ लोगों ने 8 साल के दौरान उनसे दो करोड़ 80 लाख रुपए वसूल लिए. एक और व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उनसे तीन साल में 85 लाख रुपए और एक अन्य व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि 1 साल के दौरान उसके साथ 19 लाख रुपए की ठगी हुई है.

सभी मामलों में आरोपितों ने पीड़ितों को फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी बेचकर ठगा था. सभी शिकायतों के आधार पर जांच शुरू की गई और पीड़ितों द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट्स की जांच शुरू की गई तो पुलिस बिहार के बेगूसराय पहुंच गई. पुलिस को पता चला कि तीनों पीड़ितों से आरोपियों ने अलग-अलग 35 बैंक खातों में पैसे मंगवाए थे और उसके बाद इनके नंबर ब्लॉक कर दिए. मोबाइल नंबर सर्विलांस के आधार पर पुलिस ने बेगूसराय से वीरेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर अन्य आरोपियों को बेगूसराय से गिरफ्तार किया गया.

जांच में पता चला कि पवन कुमार ही इस फर्जीवाड़े के लिए बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाता था. पता चला कि मिथिलेश बेगूसराय में बैंक ऑफ बड़ौदा का कस्टमर सर्विस प्वाइंट चलाता था और यहीं से उसके पास बैंक ऑफ बड़ौदा के बहुत से एटीएम आते थे. उन एटीएम को रोटेशन के आधार पर इस्तेमाल करता था और फर्जीवाड़े की रकम को निकालता था. वह एटीएम को रोटेशन के आधार पर इस्तेमाल करता था इसलिए ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं हो पाती थी.

चार स्तर पर की जाती थी साजिशः प्रशांत पी गौतम ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा चार स्तर पर किया जाता था. पहले स्तर पर इंश्योरेंस कंपनी के कर्मचारियों से उन कस्टमर्स का डाटा लिया जाता था. जिनकी पॉलिसी लैप्स होने वाली है या मैचोर होने वाली है. उन्हें कॉल करके उनकी पॉलिसी दोबारा चालू कराने की बात की जाती थी. इस बहाने उनसे पैसे ऐंठे जाते थे. वहीं, कुछ ऐसे कस्टमर को भी कॉल किया जाता था जो लोग नई पॉलिसी लेना चाहते थे और जिन्होंने इंश्योरेंस कंपनियों में संपर्क किया था. उनको सस्ती दर पर ज्यादा रिटर्न वाली पॉलिसी देने के बहाने फंसाया जाता था.

दूसरे स्तर का गिरोह फर्जी बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाता था, जिसमें पैसे मंगवाए जाते थे. गिरोह के यही सदस्य फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर मोबाइल नंबर लेते थे. तीसरे स्तर के सदस्य टेक्निकल ट्रेनिंग और संबंधित इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी और उससे मिलते-जुलते नाम वगैरह उपलब्ध कराते थे. इसके आधार पर लोगों को फंसाया जाता था. चौथे लेवल पर वह लोग काम करते थे जो इन सारी डिटेल्स को पाने के बाद कस्टमर को कॉल करके उन्हें बार-बार पॉलिसी समझाते थे. उसके फायदे बताते थे और किसी न किसी तरह से उसे पैसा ऐंठ लेते थे.

ये भी पढ़ें : Admission in Govt School: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं की दाखिला परीक्षा की तारीख जारी

स्पेशल सेल के डीसीपी प्रशांत पी गौतम

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ठगी में सेंचुरी लगा चुके गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सात ठगों को बिहार के बेगूसराय से गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि इन ठगों ने 100 लोगों से करीब 40 करोड़ रुपए की ठगी की है. ये लोग बड़ी-बड़ी बीमा कंपनियों की फर्जी बीमा पॉलिसी बेचकर लोगों से करोड़ों रुपए वसूल रहे थे.

पुलिस ने आरोपियों से बैंक ऑफ बड़ौदा के 1091 एटीएम, विभिन्न बैंक अकाउंट्स से लिंक 6 मोबाइल, फिनो बैंक के 22 इंस्टॉ डेबिट कार्ड, बैंक ऑफ बड़ौदा के 56 ब्लैंक पासबुक, 58 लोगों के बैंक ऑफ बड़ौदा के पासबुक, पीएनबी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के एक-एक पासबुक बरामद किए हैं.

इन अकाउंट्स से पुलिस को करीब 40 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन की जानकारी मिली है. आरोपियों की पहचान बेगूसराय निवासी दिनेश कुमार दास, बीरेंद्र कुमार, बबलू मालाकर, रोशन कुमार, पवन कुमार, श्याम सुंदर और मिथिलेश कुमार के रूप में हुई है. ठगों ने एक व्यक्ति से 7 साल में 2.80 करोड़, एक व्यक्ति से 3 साल में 85 लाख और एक पीड़ित से एक साल में 19 लाख रुपए वसूल लिए. ये लोग बड़ी बड़ी कंपनियों की फर्जी पॉलिसी बेचकर सालों साल उनका प्रीमियम वसूलते थे. बिहार के बेगूसराय से यह गिरोह ऑपरेट किया जा रहा था.

एक आरोपी चलाता था बैंक ऑफ बड़ौदा का कस्टमर सर्विस सेंटरः स्पेशल सेल के डीसीपी प्रशांत पी गौतम ने बताया कि पिछले साल नौ मई को एक पीड़ित ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि फर्जी पॉलिसी के नाम पर कुछ लोगों ने 8 साल के दौरान उनसे दो करोड़ 80 लाख रुपए वसूल लिए. एक और व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उनसे तीन साल में 85 लाख रुपए और एक अन्य व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि 1 साल के दौरान उसके साथ 19 लाख रुपए की ठगी हुई है.

सभी मामलों में आरोपितों ने पीड़ितों को फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी बेचकर ठगा था. सभी शिकायतों के आधार पर जांच शुरू की गई और पीड़ितों द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट्स की जांच शुरू की गई तो पुलिस बिहार के बेगूसराय पहुंच गई. पुलिस को पता चला कि तीनों पीड़ितों से आरोपियों ने अलग-अलग 35 बैंक खातों में पैसे मंगवाए थे और उसके बाद इनके नंबर ब्लॉक कर दिए. मोबाइल नंबर सर्विलांस के आधार पर पुलिस ने बेगूसराय से वीरेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर अन्य आरोपियों को बेगूसराय से गिरफ्तार किया गया.

जांच में पता चला कि पवन कुमार ही इस फर्जीवाड़े के लिए बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाता था. पता चला कि मिथिलेश बेगूसराय में बैंक ऑफ बड़ौदा का कस्टमर सर्विस प्वाइंट चलाता था और यहीं से उसके पास बैंक ऑफ बड़ौदा के बहुत से एटीएम आते थे. उन एटीएम को रोटेशन के आधार पर इस्तेमाल करता था और फर्जीवाड़े की रकम को निकालता था. वह एटीएम को रोटेशन के आधार पर इस्तेमाल करता था इसलिए ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं हो पाती थी.

चार स्तर पर की जाती थी साजिशः प्रशांत पी गौतम ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा चार स्तर पर किया जाता था. पहले स्तर पर इंश्योरेंस कंपनी के कर्मचारियों से उन कस्टमर्स का डाटा लिया जाता था. जिनकी पॉलिसी लैप्स होने वाली है या मैचोर होने वाली है. उन्हें कॉल करके उनकी पॉलिसी दोबारा चालू कराने की बात की जाती थी. इस बहाने उनसे पैसे ऐंठे जाते थे. वहीं, कुछ ऐसे कस्टमर को भी कॉल किया जाता था जो लोग नई पॉलिसी लेना चाहते थे और जिन्होंने इंश्योरेंस कंपनियों में संपर्क किया था. उनको सस्ती दर पर ज्यादा रिटर्न वाली पॉलिसी देने के बहाने फंसाया जाता था.

दूसरे स्तर का गिरोह फर्जी बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाता था, जिसमें पैसे मंगवाए जाते थे. गिरोह के यही सदस्य फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर मोबाइल नंबर लेते थे. तीसरे स्तर के सदस्य टेक्निकल ट्रेनिंग और संबंधित इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी और उससे मिलते-जुलते नाम वगैरह उपलब्ध कराते थे. इसके आधार पर लोगों को फंसाया जाता था. चौथे लेवल पर वह लोग काम करते थे जो इन सारी डिटेल्स को पाने के बाद कस्टमर को कॉल करके उन्हें बार-बार पॉलिसी समझाते थे. उसके फायदे बताते थे और किसी न किसी तरह से उसे पैसा ऐंठ लेते थे.

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