नई दिल्ली: दिल्ली के एम्स में मोटापे से निपटने के लिए कई सर्जन इकट्ठा हुए और अलग-अलग डॉक्टरों ने इस विषय पर अपनी राय रखी. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शिरकत की. साथ ही साथ एम्स में जितेंद्र सिंह ने एक नेता ना होकर बल्कि एक डॉक्टर के रूप में सलाह दी. रोगी बनाने वाले मोटापे और इससे संबंधित मेटाबॉलिक सिंड्रोम ने भारत में महामारी का रूप ले लिया है. इस समस्या के स्थाई समाधान को खोजने के लिए दिल्ली के एम्स में बेरियाट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी के 3 दिवसीय सर्जरी कोर्स का आयोजन किया गया. इसमें कई सर्जन ने हिस्सा लिया.
चौथे फेलोशिप कोर्स का आयोजन किया
आयोजन के चेयरमैन डॉक्टर दीप गोयल ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रोगियों को बेरियाट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी की पेशकश करने से पहले रोगी बनाने वाले मोटापे और इसके प्रबंध की पूरी जानकारी आवश्यक है. इसे ध्यान में रखते हुए हमने आईएजीईएस के तत्वाधान में नई दिल्ली में बेरियाट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी में चौथे फेलोशिप कोर्स का आयोजन किया है. ये तीन दिवसीय पाठ्यक्रम बेरियाट्रिक सर्जरी के कई पहलुओं पर आधारित है.
खाने की आदत से प्रभावित है मोटापा
डॉक्टर संदीप अग्रवाल डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकल डिसिप्लिन ने कार्यक्रम में बताया कि इस कोर्स में हमने खाने के बारे में ही बात की है. जैसे कुछ लोगों को अधिक खाने की आदत है, कुछ लोग कम खाते हैं. उनका कहना है कि ये आपके पेट के आकार पर निर्भर करता है. यदि पेट का आकार बड़ा है तो हार्मोन अधिक खाने की मांग करता है. लेकिन, सर्जरी के बाद ये बदल जाता है और पेट का आकार कम हो जाता है. जिससे की अधिक खाने के लिए जगह नहीं बचती. लेकिन इसके बावजूद दिमाग का प्रशिक्षण बहुत जरूरी है.
स्वस्थ भोजन की आदत विकसित करें
साथ ही उन्होंने कहा कि सर्जरी के बाद 90 फीसदी भूख कम हो जाती है. 6 से 12 महीने तक उनकी भूख कम होती है, लेकिन सर्जरी के कुछ साल के बाद फिर से बढ़ जाती है. इसलिए पूरी तरह प्रशिक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. लोगों को भूख को नियंत्रित करने के लिए कहा जाता हैं और स्वस्थ भोजन की आदत विकसित करनी होती हैं.
अंतिम इलाज नहीं बल्कि सर्जरी पहला इलाज
फिलहाल एम्स के डॉक्टर मोटापे से होने वाले रोग का परमानेंट उपाय सर्जरी बता रहे हैं. मीडिया से बातचीत करते हुए डॉक्टर ने बताया कि सर्जरी मोटापे को कम करने के लिए या मोटापे से होने वाली बीमारियों के लिए अंतिम इलाज नहीं बल्कि सर्जरी पहला इलाज है और आम लोगों को इसे समझना चाहिए.
वहीं सर्जरी के प्रति लोगों का रुझान भी रहना चाहिए. जिससे मोटापे से होने वाली बीमारियों के प्रति जनता जागरूक हो सके और सर्जरी के जरिए जनता ठीक हो सके. हालांकि, हमारे समाज में अभी भी लोगों में भ्रांतियां हैं कि सर्जरी अंतिम विकल्प हैं और वो दवाओं के चक्कर में अपना पैसा और समय दोनों बर्बाद करते हैं. फिलहाल देखना होगा कि एम्स की मुहिम क्या रंग लाएगी.