नई दिल्ली: दिल्ली में खड़ा कूड़े का पहाड़ अब नहीं रहेगा. इनका इस्तेमाल सड़कें बनाने के लिए किया जाएगा (Garbage used to make road). केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट्स से अधिक से अधिक कूड़े का इस्तेमाल सड़क बनाने के निर्देश दिए हैं. हालांकि कूड़े को निर्माण साइट पर लाने की कीमत बढ़ जाएगी, लेकिन इसकी वजह से दिल्ली को कूड़े के इन पहाड़ों से निजात मिल जाएगी.
दिल्ली में संपन्न हुए एमसीडी चुनाव में कूड़े का पहाड़ बड़ा मुद्दा बना और 15 साल से एमसीडी की सत्ता में काबिज बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी. कूड़े को लेकर राजनीति बहुत हुई लेकिन अब इसका कुछ हद तक समाधान निकलता दिख रहा है. इस संबंध में गत दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Delhi LG Vinay Kumar Saxena) और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Road and Transport Highways Minister Nitin Gadkari) के बीच हुई बैठक में तय किया गया कि सेंट्रल रोड फंड (Central Road Fund) से दिल्ली को 700 करोड़ रुपये मिलेंगे और एनएचएआई (National Highway Authority of India) दिल्ली के तीनों कूड़े के पहाड़ से 20 लाख टन कूड़ा उठाएगा, जिसका इस्तेमाल रोड बनाने में किया जाएगा. सरकार के इस फैसले से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के कई प्रोजेक्ट्स का काम अब दिल्ली में तेजी से पकड़ सकता है.
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इन योजनाओं को मिलेगी गति: दिल्ली के बाहरी हिस्से में अर्बन एक्सटेंशन रोड, द्वारका एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-देहरादून हाईवे, समेत कई परियोजनाओं से जुड़े लंबे समय से लटके विभिन्न कामों के लिए मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ हुई मीटिंग में नितिन गडकरी ने साफ कहा कि कूड़े के निस्तारण के लिए उसका इस्तेमाल सड़कें बनाने में किया जाए. इन प्रोजेक्ट से जुड़े मुद्दे जैसे पेड़ों की कटाई, पेड़ों का ट्रांसप्लांट करने, जमीन का अलॉटमेंट और अधिग्रहण, कूड़ा हटाने, बिजली का ट्रांसमिशन लाइनों को शिफ्ट करने जैसे काम डीडीए, एमसीडी और दिल्ली सरकार की तरफ से पूरे हो चुके हैं. अब हाईवे से जुड़े सभी प्रोजेक्ट बनाने के रास्ते साफ हो गया है. इसके अलावा नितिन गडकरी ने एनएचएआई को निर्देश दिया है कि वह सड़कों की मरम्मत और सुंदरीकरण की लागत उठाएं इन सड़कों में महिपालपुर और धौलाकुआं के बीच सड़क को अपग्रेड किए जाने का काम भी शामिल है.
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कूड़े का ऐसे होगा इस्तेमाल: दिल्ली के ओखला, भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट जहां कूड़े का पहाड़ बना हुआ है वहां कूड़े के निस्तारण करने के दौरान मशीनों से निकलने वाली मिट्टी का इस्तेमाल हाइवे निर्माण के लिए किया जाएगा. सबसे पहले दिल्ली में एनएचएआई के तत्कालीन चैयरमेन राघव चंद्रा ने गाजीपुर स्थित कूड़े के पहाड़ से राष्ट्रीय राजमार्ग 24 (दिल्ली-मेरठ) को चौड़ा करने का प्रस्ताव दिया था. उनका कहना है कि जमा कचरे से सड़क बनाने के लिए मिट्टी निकालने पर लागत अधिक आती, अब सभी लैंडफिल साइट पर कूड़ा निस्तारण के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. जिससे वैसे ही मिट्टी जमा हो रहा है. बस उसी मिट्टी को प्रोजेक्ट साइट पर ढुलाई कर लाने में अतिरिक्त लागत आएगी. सड़कों की गुणवत्ता पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हां कूड़ा खत्म हो जाएगा.
बता दें कि कूड़े से सड़क बनाने की योजना से 80 लाख टन कूड़ा खत्म हो जाएगा. दिल्ली की तीनों बड़े लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन आठ से दस हज़ार मीट्रिक टन कूड़ा फेंका जाता है. प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कूड़े में 32 फीसदी खाद बनाने योग्य सामग्री होती है. अन्य रिसाइक्लिंग होने वाले पदार्थ में 6.6 फीसदी कागज, 1.5 फीसदी प्लास्टिक, 2.5 फीसदी धातु व अन्य भवन निर्माण में प्रयुक्त मेटेरियल होता है. विरासत में मिले ओखला, गाजीपुर तथा भलस्वा लैंडफिल साइट पर पहले से ही कूड़ा ठसाठस भरा है. कूड़ा निस्तारण के लिए व्यापक स्तर पर कवायद वर्ष 2008 में शुरू हुई, लेकिन अन्य विकसित देश के जिन शहरों में कूड़ा निस्तारण के लिए वर्षों पहले जिस तकनीक का सहारा लिया, उस तकनीक का दिल्ली में अब इस्तेमाल हो रहा है.
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