शिक्षकों ने इस दौरान सोशल जस्टिस मंच के तत्वाधान में यूजीसी मुख्यालय से लेकर एचआरडी मंत्रालय तक रैली निकालने की कोशिश की. हालांकि उन्हें पुलिस ने बीच में ही रोक लिया.
सामाजिक न्याय के लिए खतरा
रोस्टर के मुद्दे को लेकर शिक्षकों का कहना है कि 200 प्वाइंट रोस्टर में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को प्रतिनिधित्व मिल जाता था लेकिन अब जो ये तेरा 13 प्वाइंट रोस्टर आया है इसके चलते 95 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के शिक्षक अपने अवसर गंवा रहे हैं. सामाजिक न्याय के विचार पर सीधे तौर पर खतरा है .
क्या है 13 पॉइंट रोस्टर का मुद्दा
तेरह पॉइंट रोस्टर और 200 पॉइंट रोस्टर के बीच बुनियादी फर्क ये है कि 13 पॉइंट रोस्टर में विभाग को एक यूनिट मानकर आरक्षण का रोस्टर तैयार किया जाता है वहीं 200 पॉइंट रोस्टर में यूनिवर्सिटी और कॉलेज को एक इकाई मानकर आरक्षण का रोस्टर तैयार किया जाता है. दरअसल 13 पॉइंट रोस्टर में एससी, एसटी, ओबीसी की सीटें कम हो रही हैं.
बता दें कि मौजूदा यूजीसी के 13 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से सिर्फ चौथे नंबर की सीट ओबीसी, सातवीं सीट एससी, आठवीं सीट ओबीसी और 12वीं सीट ओबीसी को मिलती है. इस 13 पॉइंट रोस्टर में एसटी के लिए 14 वां स्थान है.
घट जाएगा इन वर्गों के लिए मौके
मान लीजिए अगर किसी विभाग में सिर्फ 3 वैकेंसी तो 13 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से वे वो सिर्फ अनारक्षित सीटें होंगी. उन सीटों पर आरक्षण लागू नहीं होगा. अगर एक विभाग में 14 वैकेंसी एक साथ आती है तब जाकर ही अनुसूचित जनजाति के लिए सीट आ पाएगी.
इसी तरह ओबीसी की सीटें तब आएगी जब 4 वैकेंसी है इसी तरह एससी की सीट भी तब आएगी जब 7 वैकेंसी आए. बता दें कि कि किसी विभाग में पहले से ही शिक्षक कार्यरत रहते हैं जो समय-समय पर रिटायर होते हैं. ऐसे में किसी विभाग में वैकेंसी की संख्या भी मुश्किल से कुछ होती.
दो फीसदी रह गया है प्रतिनिधित्व
बता दें कि हाल ही में जो अलग-अलग विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए उनमें एससी एसटी ओबीसी शिक्षकों का प्रतिनिधित्व दो से तीन फीसदी ही रह गया जबकि पहले 200 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से संविधान के हिसाब से 49 फीसदी प्रतिनिधित्व रहता था. इसलिए शिक्षक मांग कर रहे हैं कि सरकार 200 पॉइंट रोस्टर के लिए अध्यादेश या विधेयक लाए.
सरकार की कोई मंशा नहीं झलकती
शिक्षकों का कहना है कि सरकार की 200 पॉइंट रोस्टर लाने की कोई मंशा नहीं है. सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कह रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार-बार 200 रोस्टर को खारिज कर चुका है. शिक्षकों ने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसे में सरकार क्यों सुप्रीम कोर्ट जाना चाहती है जबकि वो खुद अध्यादेश या विधेयक ला सकती है?
सरकार खुद मान चुकी है कि 13 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से आरक्षण लागू नहीं हो पा रहा है. शिक्षकों का कहना है कि सरकार 200 पॉइंट रोस्टर ना लाने के लिए बहानेबाजी कर रही है .