नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उच्च न्यायालय ने DCW की नियुक्ति में आरोप तय करने के आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल, स्वाति मालीवाल ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची थी, जिसमें उन पर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप तय करने का आदेश दिया गया था. आरोप है कि अगस्त 2015 से लेकर 2016 के बीच दिल्ली महिला आयोग में आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां की गई. मालीवाल के अधिवक्ता चिराग मदान ने हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. याचिका में ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है.
DCW की नियुक्तियों में गड़बड़ी मामले में आरोप तय: 8 दिसंबर को राउस एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विनय सिंह की अदालत ने मालीवाल, प्रमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और प्रवीण मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (2) और 13(1)( 1) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सभी आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप तय करने की पर्याप्त सामग्री है, इसके तहत उनके खिलाफ आरोप तय किए जाए.
कोर्ट ने कहा कि डीसीडब्ल्यू सरकार से खाली पदों को भरने के लिए कह रही थी, जिसका सरकार के द्वारा अनुपालन नहीं किया गया. ऐसे में डीसीडब्ल्यू को मनमानी नियुक्तियां करने का कोई अधिकार नहीं है. यह तथ्य आरोपियों को संदेह के घेरे में लाते हैं, जिनमें विवादित कार्यकाल के दौरान मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गई और सरकारी खजाने से पारिश्रमिक दिया गया.
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बता दें कि पूर्व विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर 11 अगस्त, 2016 को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में मामला दर्ज किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि सभी नियमों और विनियमों का उल्लंघन करते हुए DCW में आप के नेताओं, सदस्यों को फिर से नियुक्त किया . रिक्तियों के प्रकाशन के बिना और इस तरह उन्हें आर्थिक लाभ देना गलत है, जिसके बाद प्रारंभिक जांच की गई और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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