नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में अंतत: छात्र संघ चुनाव की तारीख सामने आ गई, जिससे छात्र संगठनों में उत्साह का माहौल है. गुरुवार को इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया. तीन साल बाद हो रहे छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने चुनाव की रणनीति बनाने के साथ उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में जुट गए हैं.
हालांकि, छात्र संगठन अभी इस बात का खुलासा नहीं करना चाहते हैं कि चुनाव में किन उम्मीदवारों को टिकट मिलेगा, लेकिन इसकी घोषणा जल्द हो सकती है. एबीवीपी का कहना है कि 2019 की तरह ही वह एक बार फिर विजयी होगी और चारों सीट अपने नाम करेगी. वहीं, एनएसयूआई, एबीवीपी को टक्कर देने की बात तो कह रही है, लेकिन वे कितनी सीट जीतेंगे, इस बात पर उन्होंने कुछ नहीं कहा है. एबीवीपी ने नए छात्रों को जोड़ना भी शुरू कर दिया है.
क्या है एबीवीपी की रणनीति: एबीवीपी दिल्ली के प्रांत मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा चुनाव की घोषणा अभिनंदनीय कदम है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के छात्रसंघ चुनाव की तारीख की घोषणा करने के फैसले का छात्र समुदाय की ओर से स्वागत है. नामांकन के लिए आखिरी तारीख 12 सितंबर और चुनाव की तारीख 22 सितंबर घोषित की गई है. हम विश्वविद्यालय को एक बार फिर नवीन सकारात्मक नेतृत्व प्रदान करेंगे. पिछले तीन वर्षों में एबीवीपी के नेतृत्व वाले छात्र संघ ने विश्वविद्यालय परिसर में कई महत्वपूर्ण काम किए हैं और अपने सकारात्मक एवं रचनात्मक कार्यों के दम पर हम फिर से भारी बहुमत से विजयी होंगे.
एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष ने कही ये बात: वहीं, एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष कुणाल सेहरावत ने कहा कि हम चार सीट जीतने का दावा नहीं करते हैं, लेकिन अगर जीते तो छात्र हित में काम जरूर कराएंगे. उन्होंने कहा कि साल 2017 में मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी का वाइस प्रेसिडेंट बना था. अगर एनएसयूआई चुनाव जीतती है तो हम तीन मुद्दों पर काम करेंगे.
- दिल्ली यूनिवर्सिटी यह सुनिश्चित करे कि एक साल के भीतर सभी कॉलेज में हॉस्टल बनाने का काम शुरू किया जाए.
- पहले कॉलेज कैंपस में बस चला करती थी, हम उसे दोबारा शुरू कराएंगे.
- दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को मेट्रो टिकट में छूट दिलाने की पहल की जाएगी.
उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, महिलाओं को बस से यात्रा की सुविधा मुफ्त दे सकते हैं तो छात्रों को दिल्ली मेट्रो में रियायत क्यों नहीं दी जा सकती. हमारा प्रयास रहेगा कि छात्रों को मेट्रो और बसों में छूट दिलाई जाए.
एसएफआई-आइसा करेंगे गठबंधन: स्टूडेंट्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कन्वीनर अमन ने बताया कि डीयू के चुनाव में हमने तय किया है कि हम एबीवीपी और एनएसयूआई के खिलाफ मैदान में उतरेंगे. एसएफआई और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) गठबंधन कर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार सकते हैं और इस पर बैठक चल रही है. हालांकि, एनएसयूआई के साथ अभी गठबंधन पर किसी तरह की कोई बात नहीं हुई है.
आइसा ने असली यूनियन का काम संभाला: इस मामले में आइसा के प्रदेश अध्यक्ष अभिज्ञान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि चुनाव में एसएफआई के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है. इस चुनाव को आइसा पूरी ताकत से लड़ेगा. यह एक ऐतिहासिक चुनाव होने वाला है क्योंकि पिछले चुनाव को तीन साल हो चुके हैं.
पिछले तीन सालों में जहां मौजूदा दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (डीयूएसयू) ने अपना कार्यकाल बढ़ाते हुए डीयू के छात्रों के सभी वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया. वहीं, आइसा ने असली यूनियन का काम संभाल लिया था. जब लॉकडाउन हुआ तो आइसा ने ऑनलाइन परीक्षाओं के खिलाफ और कैंपस को फिर से खोलने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया.
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चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम को किया खारिज: उन्होंने कहा कि यह आइसा की 56 दिवसीय हड़ताल थी, जिसके परिणामस्वरूप फरवरी 2022 में दिल्ली विश्वविद्यालय फिर से खुला. तब से आइसा ने गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा के मुद्दे को उठाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया है.
उन्होंने कहा कि 87 फीसदी छात्रों ने चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम को खारिज कर दिया. आइसा दिल्ली विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक राजनीति का अग्रदूत रहा है, इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमन (आईपीसीडब्ल्यू) में यौन उत्पीड़न विरोधी आंदोलन से लेकर डीयू में एबीवीपी की हिंसा और गुंडागर्दी के खिलाफ आंदोलन तक, आइसा अत्यधिक धन और शक्ति और विशेषाधिकार की राजनीति के खिलाफ खड़ा हुआ है.
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