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फीस नहीं दे पाया तो स्कूल से काटा नाम, डिप्रेशन में 12वीं के छात्र की मौत - ETV Delhi

नई दिल्ली/गाजियाबाद: मोदीनगर इलाके के गोविंद पुरी में रहने वाले 12वीं के छात्र को फीस जमा न कराने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया. जिसके बाद छात्र डिप्रेशन में चला गया. छात्र की हालत इतनी गंभीर हो गई कि उसकी कुछ समय बाद मौत हो गई. पढ़ें ये रिपोर्ट...

डिप्रेशन में 12वीं के छात्र की मौत
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Published : Feb 13, 2019, 6:24 PM IST

छात्र के पिता की माली हालत ठीक नहीं थी जिस कारण वो स्कूल की फीस जमा नहीं कर पा रहे थे. फीस जमा न करने पर पहले स्कूल से फीस के लिए नोटिस आया और बाद में छात्र का स्कूल से नाम काट दिया गया. पिता का कहना है कि बच्चे ने अपने स्तर पर भी काफी प्रयास किया कि स्कूल मान जाए और उसको परीक्षा में बैठने दिया जाए लेकिन उसकी सभी कोशिशें नाकाम हो गई.

डिप्रेशन में 12वीं के छात्र की मौत
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स्कून ने नहीं लिया नाम वापस
आरोप है कि स्कूल ने मैनेजमेंट पॉलिसी होने का हवाला देकर बच्चे का नाम वापस नहीं लिया. बच्चे के माता-पिता का कहना है कि जब एग्जाम आए तो स्कूल के पास जाकर काफी गिड़गिड़ाए कि किसी तरह से बच्चे को एग्जाम देने दिया जाए, लेकिन ऐसा भी मुमकिन नहीं हो पाया.

नहीं दे पाया एग्जाम
स्कूल की दलील थी कि मैनेजमेंट पॉलिसी उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देती. बस इसी बात पर बच्चा काफी ज्यादा डिप्रेशन में आ गया. वह बीमार हो गया और बुखार ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया. जब उसे पता चला कि अब वह एग्जाम नहीं दे पाएगा तो सदमे के कारण उसकी मृत्यु हो गई. परिवार वालों ने बच्चे की मौत का जिम्मेदार स्कूल प्रशासन को ठहराया है.

छात्र के पिता की माली हालत ठीक नहीं थी जिस कारण वो स्कूल की फीस जमा नहीं कर पा रहे थे. फीस जमा न करने पर पहले स्कूल से फीस के लिए नोटिस आया और बाद में छात्र का स्कूल से नाम काट दिया गया. पिता का कहना है कि बच्चे ने अपने स्तर पर भी काफी प्रयास किया कि स्कूल मान जाए और उसको परीक्षा में बैठने दिया जाए लेकिन उसकी सभी कोशिशें नाकाम हो गई.

डिप्रेशन में 12वीं के छात्र की मौत
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स्कून ने नहीं लिया नाम वापस
आरोप है कि स्कूल ने मैनेजमेंट पॉलिसी होने का हवाला देकर बच्चे का नाम वापस नहीं लिया. बच्चे के माता-पिता का कहना है कि जब एग्जाम आए तो स्कूल के पास जाकर काफी गिड़गिड़ाए कि किसी तरह से बच्चे को एग्जाम देने दिया जाए, लेकिन ऐसा भी मुमकिन नहीं हो पाया.

नहीं दे पाया एग्जाम
स्कूल की दलील थी कि मैनेजमेंट पॉलिसी उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देती. बस इसी बात पर बच्चा काफी ज्यादा डिप्रेशन में आ गया. वह बीमार हो गया और बुखार ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया. जब उसे पता चला कि अब वह एग्जाम नहीं दे पाएगा तो सदमे के कारण उसकी मृत्यु हो गई. परिवार वालों ने बच्चे की मौत का जिम्मेदार स्कूल प्रशासन को ठहराया है.

Intro:गाजियाबाद। यह हकीकत उस मासूम की है जिसकी बेबसी ने उसकी जान ले ली। क्योंकि उसके पिता गरीब हैं। और वह उसकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाए।
6 महीने की फीस जब जमा नहीं हुई तो स्कूल में नाम काट दिया। लेकिन बात 12वीं क्लास की थी। ऐसे में उम्मीद थी कि स्कूल शायद उसे एग्जाम तो देने देगा। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। और मासूम इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए चला गया।


Body:मामला गाजियाबाद के मोदीनगर इलाके के गोविंद पुरी का है। जहां पर कुछ महीने पहले 12वीं क्लास के स्टूडेंट का नाम स्कूल से काट दिया गया था। वजह यह थी कि उसके पिता स्कूल की फीस जमा नहीं कर पा रहे थे। काफी कोशिश के बावजूद भी जब फीस जमा नहीं हो पाई तो स्कूल ने पहले नोटिस दिया और बच्चे का नाम काट दिया। बच्चे ने भी अपने स्तर पर काफी प्रयास किया कि स्कूल मान जाए। और किसी तरह से उसे कम से कम 12वीं क्लास पास करने दे। लेकिन आरोप है कि स्कूल ने मैनेजमेंट पॉलिसी होने का हवाला देकर बच्चे का नाम वापस नहीं लिया। बच्चे के माता-पिता का कहना है कि जब एग्जाम आए तो स्कूल के पास जाकर काफी गिड़गिड़ाए कि इसी तरह से बच्चे को एग्जाम देने दिया जाए। लेकिन ऐसा भी मुमकिन नहीं हो पाया। स्कूल की दलील थी कि मैनेजमेंट पॉलिसी उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देती। बस इसी बात पर बच्चा काफी ज्यादा डिप्रेशन में आ गया। उसे उल्टियां होने लगी। वह बीमार हो गया और बुखार ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया। लेकिन इस बीच जब उसे पता चला कि अब भी वह एग्जाम नहीं दे पाएगा तो दुनिया से रुखसत हो गया। गाजियाबाद से लेकर दिल्ली तक के अस्पतालों में उसका इलाज चला। लेकिन इस दुनिया में नहीं है।


Conclusion:बच्चे के परिवार का रो रो कर बुरा हाल है। इंसाफ मांगे भी तो किससे। सवाल यह है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कब इतनी सुदृढ़ हो पाएगी कि यहां पर हर बच्चा आसानी से शिक्षा हासिल कर पाए। और फिर कोई ऐसा मासूम इस दुनिया से ना जाए जिसे ऐसा दर्द हो कि उसे शिक्षा नहीं मिल पाएगी। जिसने भी इस मामले को सुना है उसके पैरो तले की जमीन खिसक गई है।

बाइट पिता
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