छात्र के पिता की माली हालत ठीक नहीं थी जिस कारण वो स्कूल की फीस जमा नहीं कर पा रहे थे. फीस जमा न करने पर पहले स्कूल से फीस के लिए नोटिस आया और बाद में छात्र का स्कूल से नाम काट दिया गया. पिता का कहना है कि बच्चे ने अपने स्तर पर भी काफी प्रयास किया कि स्कूल मान जाए और उसको परीक्षा में बैठने दिया जाए लेकिन उसकी सभी कोशिशें नाकाम हो गई.
स्कून ने नहीं लिया नाम वापस
आरोप है कि स्कूल ने मैनेजमेंट पॉलिसी होने का हवाला देकर बच्चे का नाम वापस नहीं लिया. बच्चे के माता-पिता का कहना है कि जब एग्जाम आए तो स्कूल के पास जाकर काफी गिड़गिड़ाए कि किसी तरह से बच्चे को एग्जाम देने दिया जाए, लेकिन ऐसा भी मुमकिन नहीं हो पाया.
नहीं दे पाया एग्जाम
स्कूल की दलील थी कि मैनेजमेंट पॉलिसी उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देती. बस इसी बात पर बच्चा काफी ज्यादा डिप्रेशन में आ गया. वह बीमार हो गया और बुखार ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया. जब उसे पता चला कि अब वह एग्जाम नहीं दे पाएगा तो सदमे के कारण उसकी मृत्यु हो गई. परिवार वालों ने बच्चे की मौत का जिम्मेदार स्कूल प्रशासन को ठहराया है.