ETV Bharat / state

महिला दिवस स्पेशल: इस नृत्यांगना ने बदल दी नृत्य की परंपरा

महिला दिवस की थीम #BalanceForBetter के बारे में मीनू ठाकुर ने कहा कि आज समाज में महिला भी उतना ही सम्मान और हक रखती है, जितना पुरुषों के पास है.

अपने नृत्य से देशभर में मशहूर हैं नृत्यांगना मीनू ठाकुर
author img

By

Published : Mar 8, 2019, 8:00 PM IST

नई दिल्ली:इतिहास गवाह है कि रामायण काल की सीता से लेकर 19वीं सदी की रानी लक्ष्मीबाई तक और आज की मैरीकॉम और सायना नेहवाल तक, महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है. महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं. ऐसी ही एक महिला हैं मीनू ठाकुर. जो भारत की मशहूर कुचिपुड़ी नृत्य प्रतिपादक हैं. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नृत्यरतन मीनू ठाकुर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

'समाज में महिला भी उतना ही सम्मान और हक रखती है, जितना पुरुषों के पास है'

कुचिपुड़ी नृत्यांगना

आंध्र प्रदेश के प्रमुख नृत्य कुचिपुड़ी को कठिन माना जाता है. कुछ समय पहले ये भ्रांति थी कि कुचिपुड़ी नृत्य सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं. पुरुष महिलाओं का लिबास पहनकर ये नृत्य किया करते थे. बाद में मीनू ठाकुर ने इसमें जोर आजमाया और खूब मेहनत की. इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां भी आईं, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया.

'जरूर करें प्रयास'

अपने नृत्य से देशभर में नाम कमाने वाली मशहूर नृत्यांगना मीनू ठाकुर का मानना है कि महिलाओं को ये कहकर हथियार नहीं डाल देने चाहिए कि उनके सामने बहुत सी परेशानियां हैं. वो कहती हैं कि सभी को एक बार प्रयास जरूर करना चाहिए और प्रयास ही सफलता के द्वार की चाबी है. महिला दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि आज के जमाने में महिलाएं किसी भी स्थिति में पुरुषों से नीचे या ऊपर नहीं हैं बल्कि दोनों कंधे से कंधा मिलाकर दुनिया की किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं.

राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सामने कर चुकी हैं परफॉर्म

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पैदा हुई मीनू ठाकुर दक्षिण भारत के सबसे कठिन नृत्यों में से एक कुचिपुड़ी की चैंपियन मानी जाती हैं. तिहाड़ और मंडोली जेल से लेकर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के समक्ष नृत्य प्रदर्शन का सौभाग्य मीनू ठाकुर को प्राप्त है. वो कहती हैं कि इस सब के पीछे उनके पति और बच्चों का विश्वास है जो वो आज भी उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से नृत्य करती हैं.

छोटी उम्र मेंशुरू किया था नृत्य

मीनू बताती हैं कि उन्होंने पांचवी कक्षा से ही नृत्य शुरू कर दिया था. कत्थक से शुरुआत करने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के प्रमुख नृत्य कुचिपुड़ी में जोर आजमाया और खूब मेहनत की. इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां आईं, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया. वो मीनू ठाकुर ही हैं जिन्होंने इस भ्रांति को तोड़ा कुचिपुड़ी नृत्य सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं. इससे पहले पुरुष ये नृत्यमहिलाओं का लिबास पहनकर करते थे.

#BalanceForBetter

महिला दिवस की थीम #BalanceForBetterके बारेमें मीनू कहती हैं कि महिला भी उतना ही सम्मान और हक रखती है जितना पुरुषों के पास है. इसके पीछे की सकारात्मक सोच को आगे रखते हुए वो बताती हैं कि समाज में ये देखने को मिलता भी है. मीनू ठाकुर कहती हैं कि जिन महिलाओं को आज भी अपनी मंजिल का इंतजार है उन्हेंएक बार प्रयास जरूर करना चाहिए. एक बार अपने परिवार में पिता, पति या भाई से बात करके देखें और इसके बाद सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

नई दिल्ली:इतिहास गवाह है कि रामायण काल की सीता से लेकर 19वीं सदी की रानी लक्ष्मीबाई तक और आज की मैरीकॉम और सायना नेहवाल तक, महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है. महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं. ऐसी ही एक महिला हैं मीनू ठाकुर. जो भारत की मशहूर कुचिपुड़ी नृत्य प्रतिपादक हैं. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नृत्यरतन मीनू ठाकुर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

'समाज में महिला भी उतना ही सम्मान और हक रखती है, जितना पुरुषों के पास है'

कुचिपुड़ी नृत्यांगना

आंध्र प्रदेश के प्रमुख नृत्य कुचिपुड़ी को कठिन माना जाता है. कुछ समय पहले ये भ्रांति थी कि कुचिपुड़ी नृत्य सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं. पुरुष महिलाओं का लिबास पहनकर ये नृत्य किया करते थे. बाद में मीनू ठाकुर ने इसमें जोर आजमाया और खूब मेहनत की. इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां भी आईं, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया.

'जरूर करें प्रयास'

अपने नृत्य से देशभर में नाम कमाने वाली मशहूर नृत्यांगना मीनू ठाकुर का मानना है कि महिलाओं को ये कहकर हथियार नहीं डाल देने चाहिए कि उनके सामने बहुत सी परेशानियां हैं. वो कहती हैं कि सभी को एक बार प्रयास जरूर करना चाहिए और प्रयास ही सफलता के द्वार की चाबी है. महिला दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि आज के जमाने में महिलाएं किसी भी स्थिति में पुरुषों से नीचे या ऊपर नहीं हैं बल्कि दोनों कंधे से कंधा मिलाकर दुनिया की किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं.

राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सामने कर चुकी हैं परफॉर्म

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पैदा हुई मीनू ठाकुर दक्षिण भारत के सबसे कठिन नृत्यों में से एक कुचिपुड़ी की चैंपियन मानी जाती हैं. तिहाड़ और मंडोली जेल से लेकर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के समक्ष नृत्य प्रदर्शन का सौभाग्य मीनू ठाकुर को प्राप्त है. वो कहती हैं कि इस सब के पीछे उनके पति और बच्चों का विश्वास है जो वो आज भी उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से नृत्य करती हैं.

छोटी उम्र मेंशुरू किया था नृत्य

मीनू बताती हैं कि उन्होंने पांचवी कक्षा से ही नृत्य शुरू कर दिया था. कत्थक से शुरुआत करने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के प्रमुख नृत्य कुचिपुड़ी में जोर आजमाया और खूब मेहनत की. इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां आईं, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया. वो मीनू ठाकुर ही हैं जिन्होंने इस भ्रांति को तोड़ा कुचिपुड़ी नृत्य सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं. इससे पहले पुरुष ये नृत्यमहिलाओं का लिबास पहनकर करते थे.

#BalanceForBetter

महिला दिवस की थीम #BalanceForBetterके बारेमें मीनू कहती हैं कि महिला भी उतना ही सम्मान और हक रखती है जितना पुरुषों के पास है. इसके पीछे की सकारात्मक सोच को आगे रखते हुए वो बताती हैं कि समाज में ये देखने को मिलता भी है. मीनू ठाकुर कहती हैं कि जिन महिलाओं को आज भी अपनी मंजिल का इंतजार है उन्हेंएक बार प्रयास जरूर करना चाहिए. एक बार अपने परिवार में पिता, पति या भाई से बात करके देखें और इसके बाद सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

Intro:नई दिल्ली:

इतिहास गवाह है कि रामायण काल की सीता से लेकर 18वीं सदी की रानी लक्ष्मीबाई तक और रानी लक्ष्मीबाई से लेकर आज की मैरीकॉम और सायना नेहवाल तक, महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है. आज के समय में महिलाएं किसी भी चीज में पुरुषों से कम नहीं हैं. ऐसी ही एक महिला हैं मीनू ठाकुर जो भारत की मशहूर कुचिपुड़ी नृत्य प्रतिपादक है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नृत्यरतन मीनू ठाकुर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपने जीवन की महत्वपूर्ण स्मृतियां साझा कीं. यहीं नहीं, उन्होंने अपने जैसी हजारों महिलाओं को इस विषय में सीख भी दी.




Body:अपने नृत्य से देशभर में नाम कमाने वाली मशहूर नृत्यांगना मीनू ठाकुर का मानना है कि महिलाओं को सिर्फ ये कहकर हथियार नहीं डाल देने चाहिए कि उनके सामने बहुत सी परेशानियां हैं. वो कहती हैं कि सभी को एक बार प्रयास जरूर करना चाहिए और प्रयास ही सफलता के द्वार की चाबी है. महिला दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि आज के जमाने में महिलाएं किसी भी स्थिति में पुरुषों से नीचे या ऊपर नहीं हैं बल्कि दोनों कंधे-से-कंधा मिलाकर दुनिया की किसी भी चुनौती से निपटने में संक्षम हैं.

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पैदा हुई मीनू ठाकुर दक्षिण भारत के सबसे कठिन नृत्यों में से एक कुचिपुड़ी की चैंपियन मानी जाती है. तिहाड़ और मंडोली जेल से लेकर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के समक्ष नृत्य प्रदर्शन का सौभाग्य मीनू ठाकुर को प्राप्त है. वो कहती हैं कि इस सब के पीछे उनके पति और बच्चों का साथ और विश्वास है जो वो आज भी उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से नृत्य करती हैं.

मीनू बताती हैं कि उन्होंने पांचवी कक्षा से ही नृत्य शुरू कर दिया था. कत्थक से शुरुवात करने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के प्रमुख नृत्य कुचिपुड़ी में जोर आजमाया और खूब मेहनत की. इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां आईं जिनका उन्होंने डटकर सामना किया. वो मीनू ठाकुर ही हैं जिन्होंने इस भ्रांति को तोड़ा कुचिपुड़ी नृत्य सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं. इससे पहले पुरुष इसे महिलाओं का लिबास पहनकर करते थे.

महिला दिवस की थीम #बैलेंसफ़ॉरबैटर के विषय में बात करते हुए मीनू कहती हैं कि आज के समय में महिलाओं को ऊपर से नीचे जाने की जरूरत नहीं है. समाज में आज महिला भी उतना ही सम्मान और हक रखती है जितना पुरुषों के पास है. इसके पीछे की सकारात्मक सोच को आगे रखते हुए वो बताती हैं कि समाज में ये देखने को मिलता भी है.

मीनू ठाकुर कहती हैं कि जिन महिलाओं को आज भी अपनी मंजिल का इंतजार है उन्है। एक बार प्रयास जरूर करना चाहिए. एक बार अपने परिवार में पिता, पति या भाई से बात करके देखें और इसके बाद सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.