नई दिल्ली: एनजीटी ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि राजस्थान के तीन शहरों में ये रुल्स दो हफ्ते में लागू हों. एनजीटी ने कहा है कि राज्य के हर जिले के कम से कम तीन पंचायतों में ये नियम लागू हो. साथ ही उन्हें छह महीने में इन रुल्स का पालन करने वाला मॉडल शहर या गांव घोषित करें.
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स हो लागू
एनजीटी ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य से बाकी शहर, और ग्राम पंचायतों में भी एक साल के अंदर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स और बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स को लागू हो. एनजीटी ने राजस्थान सरकार को इस आदेश की पालना रिपोर्ट हर तीन महीने में पेश करने का आदेश दिया है. एनजीटी ने पहली पालना रिपोर्ट 20 जुलाई तक पेश करने का निर्देश दिया.
एनजीटी ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि वो पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करें और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करनेवालों से मुआवजा वसूले. एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव को सभी जिलों के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेटों के साथ महीने में एक बार इसकी मानिटरिंग करने का निर्देश दिया.
सरकार ने नहीं उठाए पर्याप्त कदम
राजस्थान के मुख्य सचिव की ओर से पालना रिपोर्ट को देखने के बाद एनजीटी ने असंतोष जताते हुए कहा कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों लागू करने के लिए सरकार ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं. एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में ये भी स्पष्ट नहीं है कि स्थानीय प्रशासन ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रुल 24 के तहत अपनी रिपोर्ट सौंपी है कि नहीं. रिपोर्ट में ये भी साफ नहीं है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वार्षिक रिपोर्ट सौंपी है कि नहीं.
अनाधिकृत रूप से होता है खनन
एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में प्लास्टिस वेस्ट मैनेजमेंट और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स लागू करने के लिए भी पर्याप्त कदम नहीं उठाए. एनजीटी ने कहा कि राज्य में अनाधिकृत रुप से खनन कार्य जारी है. एनजीटी ने कहा कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में मौजूद अरावली पहाड़ी में भी खनन और निर्माण कार्य जारी है. अलवर जिले के 128 पहाड़ियों में से 31 पहाड़ी लुप्त हो गए हैं.
प्रबंधन की हो समीक्षा
बता दें कि जनवरी में एनजीटी ने देश भर में ठोस कचरों के निस्तारण के लिए बने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून को लागू करने के दिशानिर्देश जारी किए थे. एनजीटी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से ठोस कचरे का निस्तारण नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए निर्देश दिया था, कि इसके प्रबंधन की समीक्षा करें.