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SOL में क्लासेज़ बढ़ाने की मांग, छात्रों को सहनी पड़ रही स्कूल-कॉलेज की मनमानी !

छात्र-छात्राएं कई साल से मांग कर रहे हैं, कि SOL में लगने वाली कक्षाओं की संख्या को बढ़ाया जाए. जिससे छात्र अच्छे से अपनी शिक्षा पूरी कर सके.

SOL,डीयू
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Published : Jul 8, 2019, 11:46 AM IST

नई दिल्ली: डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (SOL) के जरिए छात्र डिस्टेंस के साथ अपनी एजुकेशन पूरी कर सकते हैं. जिसमें हर 1 साल में छात्रों को करीब 20 क्लास दी जाती है. यह क्लास शनिवार-रविवार के दिन लगती हैं. लेकिन छात्रों का ये कहना है कि एक कोर्स को अच्छे से पास करने के लिए कक्षाओं की संख्या पर्याप्त नहीं है. इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है.

छात्रों कई साल से अपनी मांग उठा रहे हैं कि SOL में लगने वाली कक्षाओं की संख्या को 20 से बढ़ाकर ज्यादा किया जाए. जिससे छात्र अच्छे से नियम के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके.

SOL छात्रों की मांग का करे ख्याल

कुछ विषय किताबों से पढ़ कर नहीं समझ आते
इस विषय पर ईटीवी भारत ने SOL में पढ़ रहे छात्रों से बात की. छात्रों ने बताया कि जो क्लास लगती है वह नियमित रूप से नहीं होती. केवल रविवार की क्लास एक कोर्स को पास करने के लिए पर्याप्त नहीं होती. छात्रों का कहना है कि कई विषय होते हैं जो कि केवल किताबों से पढ़कर नहीं समझे जा सकते. इनके लिए क्लास आना जरूरी होता है.

कक्षाओं के सेंटर होते हैं काफी दूर
कुछ छात्रों का कहना है कि क्लास के लिए सेंटर काफी दूरदराज लगाए जाते हैं. ऐसे में छात्रों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस तरीके की सुविधा की जानी चाहिए कि जो छात्र जिस इलाके में रह रहा है. उसके आस-पास के ही स्कूल या कॉलेज में उसका सेंटर रखा जाए. जिससे वह दूर जाने के लिए बाध्य ना हो.
SOL से छात्रों की मांग -

  • नियमित हो SOL क्लासेज
  • क्लासेज की बढ़ाई जाए संख्या
  • क्लास के सेंटर नजदीक हो

कक्षाओं के लिए सेंटर को ठेका
बच्चों की शिकायत पर ईटीवी भारत ने SOL के स्टाफ काउंसिल के सेक्रेटरी प्रोफेसर जे. खूंटियां से बात की. सेक्रेटरी ने बताया कि ही कुछ सालों से कक्षाओं को लेकर नियम बदले गए हैं.
अब SOL की जो क्लासेज लगती हैं. उसके लिए सेंटर स्कूल या कॉलेज के प्रिंसिपल को प्रशासन की तरफ से एक तय रकम दे दी जाती है. जिसके बाद वह अपने अनुसार क्लास लगाते हैं. जिससे ना तो छात्रों को दी जा रही क्लास और ना शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में पता चल पाता है.

डीयू के टीचर नहीं लेते क्लास
प्रोफेसर ने बताया कि पहले SOL में टीचरों की संख्या अधिक थी. हर विषय के टीचर हुआ करते थे. जो छात्रों को दी जा रही कक्षाओं के बारे में जानकारी रखते थे. छात्रों को दी जाने वाली क्लास और उनके बारे में जांच करते थें.
इसी के साथ छात्रों को पढ़ाने के लिए SOL या डीयू के ही टीचर जाते थे. लेकिन अब जो सेंटर है वह अपने मुताबिक टीचरों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं.

SOL की तरफ से बदले गए नियमों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. कक्षाएं नियम के अनुसार नहीं लग रही है. साथ ही जो उन्हें शिक्षा दी जानी चाहिए वह भी SOL के अनुसार नहीं है.

नई दिल्ली: डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (SOL) के जरिए छात्र डिस्टेंस के साथ अपनी एजुकेशन पूरी कर सकते हैं. जिसमें हर 1 साल में छात्रों को करीब 20 क्लास दी जाती है. यह क्लास शनिवार-रविवार के दिन लगती हैं. लेकिन छात्रों का ये कहना है कि एक कोर्स को अच्छे से पास करने के लिए कक्षाओं की संख्या पर्याप्त नहीं है. इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है.

छात्रों कई साल से अपनी मांग उठा रहे हैं कि SOL में लगने वाली कक्षाओं की संख्या को 20 से बढ़ाकर ज्यादा किया जाए. जिससे छात्र अच्छे से नियम के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके.

SOL छात्रों की मांग का करे ख्याल

कुछ विषय किताबों से पढ़ कर नहीं समझ आते
इस विषय पर ईटीवी भारत ने SOL में पढ़ रहे छात्रों से बात की. छात्रों ने बताया कि जो क्लास लगती है वह नियमित रूप से नहीं होती. केवल रविवार की क्लास एक कोर्स को पास करने के लिए पर्याप्त नहीं होती. छात्रों का कहना है कि कई विषय होते हैं जो कि केवल किताबों से पढ़कर नहीं समझे जा सकते. इनके लिए क्लास आना जरूरी होता है.

कक्षाओं के सेंटर होते हैं काफी दूर
कुछ छात्रों का कहना है कि क्लास के लिए सेंटर काफी दूरदराज लगाए जाते हैं. ऐसे में छात्रों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस तरीके की सुविधा की जानी चाहिए कि जो छात्र जिस इलाके में रह रहा है. उसके आस-पास के ही स्कूल या कॉलेज में उसका सेंटर रखा जाए. जिससे वह दूर जाने के लिए बाध्य ना हो.
SOL से छात्रों की मांग -

  • नियमित हो SOL क्लासेज
  • क्लासेज की बढ़ाई जाए संख्या
  • क्लास के सेंटर नजदीक हो

कक्षाओं के लिए सेंटर को ठेका
बच्चों की शिकायत पर ईटीवी भारत ने SOL के स्टाफ काउंसिल के सेक्रेटरी प्रोफेसर जे. खूंटियां से बात की. सेक्रेटरी ने बताया कि ही कुछ सालों से कक्षाओं को लेकर नियम बदले गए हैं.
अब SOL की जो क्लासेज लगती हैं. उसके लिए सेंटर स्कूल या कॉलेज के प्रिंसिपल को प्रशासन की तरफ से एक तय रकम दे दी जाती है. जिसके बाद वह अपने अनुसार क्लास लगाते हैं. जिससे ना तो छात्रों को दी जा रही क्लास और ना शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में पता चल पाता है.

डीयू के टीचर नहीं लेते क्लास
प्रोफेसर ने बताया कि पहले SOL में टीचरों की संख्या अधिक थी. हर विषय के टीचर हुआ करते थे. जो छात्रों को दी जा रही कक्षाओं के बारे में जानकारी रखते थे. छात्रों को दी जाने वाली क्लास और उनके बारे में जांच करते थें.
इसी के साथ छात्रों को पढ़ाने के लिए SOL या डीयू के ही टीचर जाते थे. लेकिन अब जो सेंटर है वह अपने मुताबिक टीचरों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं.

SOL की तरफ से बदले गए नियमों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. कक्षाएं नियम के अनुसार नहीं लग रही है. साथ ही जो उन्हें शिक्षा दी जानी चाहिए वह भी SOL के अनुसार नहीं है.

Intro:दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के जरिए छात्र डिस्टेंस के साथ अपनी एजुकेशन पूरी कर सकते हैं जिसमें हर 1 वर्ष छात्रों को करीब 20 क्लास दी जाती है यह क्लास संडे यानी रविवार के दिन लगती हैं लेकिन छात्रों का यह कहना है की एक कोर्स को अच्छे से पास करने के लिए इन कक्षाओं की संख्या पर्याप्त नहीं है इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है छात्रों द्वारा कई सालों से यह मांग उठाई गई है की एस ओ एल में लगने वाली कक्षाओं की संख्या को 20 से बढ़ाकर ज्यादा किया जाए जिससे छात्र अच्छे से नियम के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके,


Body:नियमित रूप से लगे कक्षा
इस विषय पर हमने एस ओ एल में पढ़ रहे छात्रों से बात की, जिनका कहना था कि जो क्लास लगती है वह नियमित रूप से नहीं होती केवल रविवार की क्लास एक कोर्स को पास करने के लिए पर्याप्त नहीं होती इन क्लास की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए जिससे छात्र अच्छे से अपनी शिक्षा पूरी कर सके, कई विषय होते हैं जो कि केवल किताबों से पढ़कर नहीं समझे जा सकते जिसके लिए क्लास आना जरूरी होता है

कक्षाओं के सेंटर होते हैं काफी दूर
वहीं कुछ छात्रों का कहना था जो क्लास के लिए सेंटर लगाए जाते हैं वह काफी दूरदराज होते हैं ऐसे में छात्रों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो इस तरीके की सुविधा की जानी चाहिए जिससे कि जो छात्र जिस इलाके में रह रहा है उसके आस पास के ही स्कूल या कॉलेज में उसका सेंटर रखा जाए जिससे वह दूर जाने के लिए बाध्य ना हो

कक्षाओं के लिए सेंटर को ठेका
बच्चों की शिकायत पर हमने एस ओ एल के स्टाफ काउंसिल के सेक्रेटरी प्रोसेसर जे खूंटियां से बात की, जिन्होंने बताया ही कुछ सालों से कक्षाओं के लेकर नियम बदले गए हैं जिसमें अब जो क्लास लगती हैं उसके लिए जो सेंटर जिस कॉलेज या स्कूल में लगता है उसी कॉलेज के प्रिंसिपल को प्रशासन की तरफ से एक तय रकम दे दि जाती है जिसके बाद वह अपने अनुसार क्लास लगाते हैं जिससे ना तो छात्रों को दी जा रही क्लास और शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में पता चल पाता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के टीचर नहीं लेते क्लास
प्रोफेसर ने बताया कि पहले एस ओ एल में टीचरों की संख्या अधिक थी और हर विषय के टीचर हुआ करते थे जो छात्रों को दी जा रही कक्षाओं के बारे में जानकारी रखते हुए छात्रों को दी जाने वाली क्लास और उनके बारे में जांच करते थें, इसी के साथ जो उन छात्रों को पढ़ाने के लिए टीचर जाते थे वह भी एस ओ एल या दिल्ली विश्वविद्यालय के ही हुआ करते थे लेकिन अब जो सेंटर है वह अपने मुताबिक टीचरों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं,


Conclusion:स्टाफ काउंसिल के सेक्रेट्री प्रोफेसर जे खूंटियां का कहना था कि एसओएल की तरफ से जो नियम बदले गए हैं उसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है क्योंकि कक्षाएं नियम के अनुसार नहीं लग रही है साथ ही जो उन्हें शिक्षा दी जानी चाहिए वह भी एसओएल के अनुसार नहीं है क्योंकि s.o.l. के छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा और सिलेबस का ज्ञान केवल एस ओ एल के टीचरों को होता है ऐसे में कोई बाहर का उनको उस प्रकार की शिक्षा नहीं दे पा रहा.
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