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आज़म खान सरेआम महिलाओं का कर रहे हैं अपमान और मायावती जी चुप: शाजिया इल्मी

प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी ने कहा कि आजम खान ने हमेशा की तरह चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है. लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने बयान में 'खाकी' शब्द का प्रयोग घिनौने संदर्भ में प्रयोग किया, यह बर्दाश्त करने के लायक नहीं है.

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Published : Apr 15, 2019, 5:29 PM IST

आज़म खान सरेआम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और मायावती जी चुप: शाजिया इल्मी

नई दिल्ली: चुनाव के दौरान अक्सर नेताओं के बोल बिगड़ जाते हैं. लेकिन सपा के वरिष्ठ नेता व रामपुर से लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी आज़म खान ने रविवार को एक जनसभा में जिस तरह अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी की ओर इशारा करते हुए अमर्यादित टिप्पणी की, इसकी निंदा चौतरफा हो रही है.

अब इस मामले पर ईटीवी भारत ने दिल्ली भाजपा की उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी से प्रतिक्रिया ली. प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी ने कहा कि आजम खान ने हमेशा की तरह चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है. लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने बयान में 'खाकी' शब्द का प्रयोग घिनौने संदर्भ में प्रयोग किया, यह बर्दाश्त करने के लायक नहीं है.

मेरा मानना है कि हर एक राजनीतिक दल में कुछ लोग ऐसे हैं जो महिलाओं के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग करते हैं, लेकिन आजम खान ने अपनी प्रतिद्वंद्वी जयाप्रदा पर टिप्पणी की है वह अमर्यादित है और उन्होंने सभी सीमाओं को लांघ दिया है. आज सवाल उठता है यह सिर्फ आजम खान से पूछने का नहीं बल्कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, मुलायम सिंह, जया बच्चन, डिंपल यादव से पूछने का है कि वह अपने पार्टी के नेता के इस मर्यादित बोल को किस तरह देखते हैं? मैं उन सभी लोगों से मांग करती हूं कि जो अपने आप को बुद्धिजीवी कहते हैं, वह सामने आए और आजम खान को पार्टी से निकालने के लिए आवाज़ उठाएं.

आज़म खान सरेआम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और मायावती जी चुप: शाजिया इल्मी

बसपा सुप्रीमो मायावती जो सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है, उनका क्या कहना है? आज़म खान सरेआम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और मायावती जी चुप हैं. आजम खान ने कितनी गंदी और भद्दी बात कही है, जिसे हम कह भी नहीं सकते. जिसका जिक्र नहीं कर सकते. अगर यही बात भाजपा के किसी नेता ने समाजवादी और बसपा के किसी महिला नेता के लिए कहा होता तो सोच कर देखिए कि तब क्या होता.

उन्होंने आगे कहा कि आजम खान की जुबान फिसली हुई है. खाकी शब्द का इस्तेमाल आजम खान ने जिस तरह बेहूदा संदर्भ में किया है, इसे एक सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है. उन्होंने एक महिला का इतना ज्यादा अपमान कर दिया है कि कोई भी शरीफ इंसान इस बात का जिक्र नहीं कर सकता.

शाजिया इल्मी से यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव आयोग से मांग करेंगी कि ऐसे बिगड़े बोल वाले प्रत्याशियों का अयोग्य करार दे दिया जाए? उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से. राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें नोटिस भेज दिया है और वे सभी वर्ग के लोगों से आज़म खान को बहिष्कार करने की मांग करती हैं. उन्हें इस बात की हैरानी है कि आजम खान के इस बेहूदा बयान पर उनकी पार्टी सपा, बसपा या अजीत सिंह व महागठबंधन के अन्य दलों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई है. ना ही कांग्रेस ने और ना ही आम आदमी पार्टी की मुखिया अरविंद केजरीवाल जो गाहे-बगाहे ट्वीट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं आजम खान के इस बिगड़े बोल पर चुप्पी साधे हुए हैं.

नई दिल्ली: चुनाव के दौरान अक्सर नेताओं के बोल बिगड़ जाते हैं. लेकिन सपा के वरिष्ठ नेता व रामपुर से लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी आज़म खान ने रविवार को एक जनसभा में जिस तरह अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी की ओर इशारा करते हुए अमर्यादित टिप्पणी की, इसकी निंदा चौतरफा हो रही है.

अब इस मामले पर ईटीवी भारत ने दिल्ली भाजपा की उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी से प्रतिक्रिया ली. प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी ने कहा कि आजम खान ने हमेशा की तरह चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है. लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने बयान में 'खाकी' शब्द का प्रयोग घिनौने संदर्भ में प्रयोग किया, यह बर्दाश्त करने के लायक नहीं है.

मेरा मानना है कि हर एक राजनीतिक दल में कुछ लोग ऐसे हैं जो महिलाओं के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग करते हैं, लेकिन आजम खान ने अपनी प्रतिद्वंद्वी जयाप्रदा पर टिप्पणी की है वह अमर्यादित है और उन्होंने सभी सीमाओं को लांघ दिया है. आज सवाल उठता है यह सिर्फ आजम खान से पूछने का नहीं बल्कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, मुलायम सिंह, जया बच्चन, डिंपल यादव से पूछने का है कि वह अपने पार्टी के नेता के इस मर्यादित बोल को किस तरह देखते हैं? मैं उन सभी लोगों से मांग करती हूं कि जो अपने आप को बुद्धिजीवी कहते हैं, वह सामने आए और आजम खान को पार्टी से निकालने के लिए आवाज़ उठाएं.

आज़म खान सरेआम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और मायावती जी चुप: शाजिया इल्मी

बसपा सुप्रीमो मायावती जो सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है, उनका क्या कहना है? आज़म खान सरेआम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और मायावती जी चुप हैं. आजम खान ने कितनी गंदी और भद्दी बात कही है, जिसे हम कह भी नहीं सकते. जिसका जिक्र नहीं कर सकते. अगर यही बात भाजपा के किसी नेता ने समाजवादी और बसपा के किसी महिला नेता के लिए कहा होता तो सोच कर देखिए कि तब क्या होता.

उन्होंने आगे कहा कि आजम खान की जुबान फिसली हुई है. खाकी शब्द का इस्तेमाल आजम खान ने जिस तरह बेहूदा संदर्भ में किया है, इसे एक सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है. उन्होंने एक महिला का इतना ज्यादा अपमान कर दिया है कि कोई भी शरीफ इंसान इस बात का जिक्र नहीं कर सकता.

शाजिया इल्मी से यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव आयोग से मांग करेंगी कि ऐसे बिगड़े बोल वाले प्रत्याशियों का अयोग्य करार दे दिया जाए? उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से. राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें नोटिस भेज दिया है और वे सभी वर्ग के लोगों से आज़म खान को बहिष्कार करने की मांग करती हैं. उन्हें इस बात की हैरानी है कि आजम खान के इस बेहूदा बयान पर उनकी पार्टी सपा, बसपा या अजीत सिंह व महागठबंधन के अन्य दलों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई है. ना ही कांग्रेस ने और ना ही आम आदमी पार्टी की मुखिया अरविंद केजरीवाल जो गाहे-बगाहे ट्वीट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं आजम खान के इस बिगड़े बोल पर चुप्पी साधे हुए हैं.

Intro:नई दिल्ली. चुनाव के दौरान अक्सर नेताओं के बोल बिगड़ जाते हैं. लेकिन सपा के वरिष्ठ नेता व रामपुर से लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी आज़म खान ने कल एक जनसभा में जिस तरह अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी की ओर ईशारा करते हुए अमर्यादित टिप्पणी की, इसकी चौतरफा निंदा हो रही है. जिम्मेदार मीडिया होने के नाते आज़म खान की इस टिप्पणी को हम लिखना व बोलना भी उचित नहीं समझते.

इस बारे में ईटीवी भारत ने दिल्ली भाजपा की उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी से प्रतिक्रिया ली.


Body:प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शाज़िया इल्मी ने कहा कि आजम खान ने हमेशा की तरह चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है. लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने बयान में खाकी शब्द का प्रयोग घिनौने संदर्भ में प्रयोग किया यह बर्दाश्त करने के लायक नहीं है.

मेरा मानना है कि हर एक राजनीतिक दल में कुछ लोग ऐसे हैं जो महिलाओं के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग करते हैं, लेकिन आजम खान ने अपनी प्रतिद्वंद्वी जयाप्रदा पर टिप्पणी की है वह अमर्यादित है और उन्होंने सभी सीमाओं को लांघ दिया है. आज सवाल उठता है यह सिर्फ आजम खान से पूछने का नहीं बल्कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, मुलायम सिंह, जया बच्चन, डिंपल यादव से पूछने का, कि वह अपने पार्टी के नेता के इस मर्यादित बोल को किस तरह देखते हैं? मैं उन सभी लोगों से मांग करती हूं कि जो अपने आप को बुद्धिजीवी कहते हैं, वह सामने आए और आजम खान को पार्टी से निकालने के लिए आवाज़ उठाएं.

बसपा सुप्रीमो मायावती जो सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है, उनका क्या कहना है? आज़म खान सरेआम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और मायावती जी चुप. आजम खान ने कितनी गंदी और भद्दी बात कही है, जिसे हम कह भी नहीं सकते. जिसका जिक्र नहीं कर सकते. अगर यही बात भाजपा के किसी नेता ने समाजवादी और बसपा के किसी महिला नेता के लिए कहा होता तो सोच कर देखिए कि तब क्या होता.

आजम खान की जुबान फिसली हुई है. खाकी शब्द का इस्तेमाल आजम खान ने जिस तरह बेहूदा संदर्भ में किया है, इसे एक सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है. उन्होंने एक महिला का इतना ज्यादा अपमान कर दिया है कि कोई भी शरीफ इंसान इस बात का जिक्र नहीं कर सकता.

शाजिया इल्मी से यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव आयोग से की मांग करेंगी कि ऐसे बिगड़े बोल वाले प्रत्याशियों का अयोग्य करार दे दिया जाए? उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से. राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें नोटिस भेज दिया है और वे सभी वर्ग के लोगों से आज़म खान को बहिष्कार करने की मांग करती हैं. उन्हें इस बात की हैरानी है कि आजम खान के इस बेहूदा बयान पर उनकी पार्टी सपा, बसपा या अजीत सिंह व महागठबंधन के अन्य दलों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई है. ना ही कांग्रेस ने और ना ही आम आदमी पार्टी की मुखिया अरविंद केजरीवाल जो गाहे-बगाहे ट्वीट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं आजम खान के इस बिगड़े बोल पर चुप्पी साधे हुए हैं.

समाप्त, आशुतोष झा


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