नई दिल्ली: राजधानी के यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में मंगलवार को वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाया गया. इस दौरान बायोडायवर्सिटी पार्क में ही एक ओपन सेमिनार का भी आयोजन किया गया, जिसमें कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञों ने वेटलैंड को बचाए रखने और लुप्त होती हुई नदियों को पुनः जीवित करने को लेकर अपने विचार रखे. सभी ने कहा कि लगातार कम हो रहे वेटलैंड के मामले में गंभीरता से सोचते हुए जमीनी तौर पर काम किया जाए अन्यथा पर्यावरण पर तो इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा ही साथ ही साथ जीव जंतुओं पर भी इसका असर पड़ेगा.
विश्व वेटलैंड दिवस के मौके पर मंगलवार को जगतपुर स्थित यमुना बायोडाइवर्सिटी पार्क में आयोजित सेमिनार में दिल्ली विश्विद्यालय के वाइस चांसलर व प्रसिद्ध पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ सी आर बाबू ने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे स्थित वेटलैंड पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद जरूरी है. यह पयार्वरण सन्तुलन के लिहाज से भी बेहद आवश्यक है, लेकिन दुखद है कि लगातार भूजल का प्रयोग करने व उसमें डाले जा रहे अवशिष्ट पदार्थों के कारण आज वेटलैंड का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है. जिसके चलते जीव जंतुओं को अनुकूलित पर्यवास पर भी संकट खड़ा होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें वेटलैंड को बचाने के लिए मिलकर जमीनी स्तर पर काम करना होगा.
बोरवेल्स को रोकना जरूरी
वहीं मुख्य अतिथि के रूप में डीडीए के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजीव कुमार तिवारी ने कहा कि महानगरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भूजल के दोहन व पानी की बर्बादी होने लगी है, जिससे वेटलैंड समाप्त होते जा रहे हैं. हमें इस पर रोक लगाने की जरूरत है. यानी लगातार बढ़ रहे बोरवेल्स के इस्तेमाल पर पूरी तरीके से रोक लगाने की जरूरत पर भी चर्चा की गई. सेमिनार में डॉ अजय सरकार, असगर नवाब सहित कई विशेषज्ञ ने भी विचार व्यक्त किए. सभी ने लगातार कम हो रहे भूजल और वेटलैंड पर अपनी चिंता जताई.