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Nursery Admission: ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी में दाखिले के लिए पड़ोस के नियम पर जोर नहीं दे सकते स्कूल: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि राजधानी के स्कूल ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी में दाखिले के लिए पड़ोस के नियम पर जोर नहीं दे सकते हैं. अदालत ने कहा कि अगर स्कूलों में ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत सीटों को केवल इस आधार पर बेकार जाने दिया जाता है तो इन कैटगरीज के तहत सीटों के आरक्षण का पूरा उद्देश्य व्यर्थ चला जाएगा.

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Published : Jun 2, 2023, 11:20 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल ईडब्ल्यूएस या डीजी कैटेगरी के तहत प्रवेश के मामलों में पड़ोस के मानदंडों का कड़ाई से पालन करने पर जोर नहीं दे सकते हैं. शिक्षा निदेशालय (डीओई) के लिए ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी में सीटों का आवंटन करते समय इस तरह के मानदंडों का पालन करना संभव नहीं हो सकता है.

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान सामाजिक परिवेश में ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत आवंटन के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या की तुलना में ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश की मांग बहुत अधिक है. इसलिए, यदि किसी विशेष स्कूल में ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत सीटें उपलब्ध हैं तो डीओई को ऐसे स्कूलों को उन आवेदकों को आवंटित करने की आवश्यकता है, जिन्होंने उक्त श्रेणी के तहत प्रवेश के लिए आवेदन किया है.

न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा कि अगर स्कूलों में ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत सीटों को केवल इस आधार पर बेकार जाने दिया जाता है कि जिन आवेदकों को सीटें आवंटित की गई हैं, वे पड़ोस के मानदंडों को सख्ती से पूरा नहीं करते हैं, तो उक्त श्रेणी के तहत सीटों के आरक्षण का पूरा उद्देश्य व्यर्थ चला जाएगा. ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत सीटों के आरक्षण एक महान उद्देश्य से मानदंड विकसित किए हैं, जिनसे अदालत अनजान नहीं हो सकती है.

ये भी पढ़ें: Delhi government school: 10वीं में कम अंक, फिर भी 11वीं में मनपसंद स्ट्रीम में ले सकते हैं दाखिला, जानिए कैसे

ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत सीटों के आरक्षण के सामाजिक उद्देश्य को खोने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, अगर आवेदकों के पड़ोस के मानदंडों को पूरा नहीं करने के संबंध में ऐसी आपत्तियों पर विचार किया जाता है, खासकर तब जब ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश शामिल हो. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए पारित किया जा रहा है कि समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा के समान अवसर दिए जाएं ताकि वे समाज की मुख्यधारा में आ सकें.

हालांकि डीओई जहां तक संभव हो उन स्कूलों को आवंटित करने का प्रयास करे जो संबंधित छात्रों के आवास के सबसे नजदीक हैं. दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा आयोजित ड्रा के तहत हैप्पी आवर्स स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा बच्चों को प्रवेश से वंचित कर दिया गया.

कोर्ट ने कक्षा एक में ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश देने के लिए स्कूल से नियम की जानकारी मांगी. स्कूल ने स्टैंड लिया कि आवेदकों का निवास स्कूल से लगभग चार किमी दूर था. इस प्रकार वे पड़ोस के मानदंडों को पूरा नहीं करते थे और उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा सकता था. उक्त विवाद को खारिज करते हुए अदालत ने स्कूल को ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत कक्षा एक में दो याचिकाकर्ताओं को तत्काल प्रवेश देने का निर्देश दिया.

चूंकि यह प्रतिवादी स्कूल की ओर से मामला है कि स्कूल उस क्षेत्र में कोई परिवहन प्रदान नहीं करता है जहां याचिकाकर्ता निवास करते हैं, याचिकाकर्ता अपने निवास से स्कूल तक यात्रा के लिए अपनी व्यवस्था स्वयं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि वे स्कूल पर परिवहन प्रदान करने के लिए जोर न दें.

ये भी पढ़ेंः RG On Opposition Unity : विपक्षी एकता पर बोले राहुल- पार्टियां एकजुट हैं, चुनावी 'लेन-देन' पर चल रही है बातचीत

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल ईडब्ल्यूएस या डीजी कैटेगरी के तहत प्रवेश के मामलों में पड़ोस के मानदंडों का कड़ाई से पालन करने पर जोर नहीं दे सकते हैं. शिक्षा निदेशालय (डीओई) के लिए ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी में सीटों का आवंटन करते समय इस तरह के मानदंडों का पालन करना संभव नहीं हो सकता है.

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान सामाजिक परिवेश में ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत आवंटन के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या की तुलना में ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश की मांग बहुत अधिक है. इसलिए, यदि किसी विशेष स्कूल में ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत सीटें उपलब्ध हैं तो डीओई को ऐसे स्कूलों को उन आवेदकों को आवंटित करने की आवश्यकता है, जिन्होंने उक्त श्रेणी के तहत प्रवेश के लिए आवेदन किया है.

न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा कि अगर स्कूलों में ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत सीटों को केवल इस आधार पर बेकार जाने दिया जाता है कि जिन आवेदकों को सीटें आवंटित की गई हैं, वे पड़ोस के मानदंडों को सख्ती से पूरा नहीं करते हैं, तो उक्त श्रेणी के तहत सीटों के आरक्षण का पूरा उद्देश्य व्यर्थ चला जाएगा. ईडब्ल्यूएस-डीजी श्रेणी के तहत सीटों के आरक्षण एक महान उद्देश्य से मानदंड विकसित किए हैं, जिनसे अदालत अनजान नहीं हो सकती है.

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ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत सीटों के आरक्षण के सामाजिक उद्देश्य को खोने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, अगर आवेदकों के पड़ोस के मानदंडों को पूरा नहीं करने के संबंध में ऐसी आपत्तियों पर विचार किया जाता है, खासकर तब जब ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश शामिल हो. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए पारित किया जा रहा है कि समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा के समान अवसर दिए जाएं ताकि वे समाज की मुख्यधारा में आ सकें.

हालांकि डीओई जहां तक संभव हो उन स्कूलों को आवंटित करने का प्रयास करे जो संबंधित छात्रों के आवास के सबसे नजदीक हैं. दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा आयोजित ड्रा के तहत हैप्पी आवर्स स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा बच्चों को प्रवेश से वंचित कर दिया गया.

कोर्ट ने कक्षा एक में ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश देने के लिए स्कूल से नियम की जानकारी मांगी. स्कूल ने स्टैंड लिया कि आवेदकों का निवास स्कूल से लगभग चार किमी दूर था. इस प्रकार वे पड़ोस के मानदंडों को पूरा नहीं करते थे और उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा सकता था. उक्त विवाद को खारिज करते हुए अदालत ने स्कूल को ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत कक्षा एक में दो याचिकाकर्ताओं को तत्काल प्रवेश देने का निर्देश दिया.

चूंकि यह प्रतिवादी स्कूल की ओर से मामला है कि स्कूल उस क्षेत्र में कोई परिवहन प्रदान नहीं करता है जहां याचिकाकर्ता निवास करते हैं, याचिकाकर्ता अपने निवास से स्कूल तक यात्रा के लिए अपनी व्यवस्था स्वयं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि वे स्कूल पर परिवहन प्रदान करने के लिए जोर न दें.

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