नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'आई लव मनीष सिसोदिया' अभियान के अंतर्गत बच्चों के चिट्ठी लिखने के मामले में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की शिकायत के बाद एनसीपीसीआर ने दिल्ली पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं. अब इस बात को लेकर आम आदमी पार्टी ने जवाब दिया है. आप प्रवक्ता व ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि सांसद मनोज तिवारी जब 'बेबी बियर पी के नाचे छम छम' गीत गाते हैं, तो बाल आयोग को यह दिखाई नहीं देता कि भाजपा के सांसद बच्चों को बियर पीकर नाचने की सलाह दे रहे हैं. क्या इससे बच्चों के मानसिक विकास पर असर नहीं पड़ता है.
उन्होंने कहा कि भाजपा, बाल आयोग, महिला आयोग आदि का राजनीतिक इस्तेमाल करती है और गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात में नकली क्लास में बच्चों की क्लास ली थी. उन्होंने कहा कि, चुनाव आयोग के अध्यक्ष की तरह ही बाल आयोग और महिला आयोग के अध्यक्ष पद के लिए व्यक्ति भी प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश द्वारा ही तय किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि सांसद मनोज तिवारी की शिकायत पर नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज कर जांच करने के निर्देश दिए हैं. एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा है कि स्कूली बच्चों का उपयोग एक आरोपी को बचाने में किया जा रहा है, जिससे बच्चों के कोमल मन में अपराधियों के महिमामंडन का गलत प्रभाव पड़ेगा. एनसीपीसीआर ने कहा है कि एजुकेशन टास्क फोर्स के सदस्य शैलेष, राहुल तिवारी, वैभव श्रीवास्तव, तारिशी शर्मा और दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मिन शाह ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए स्कूलों के प्रिंसिपल और शिक्षकों से यह अभियान चलवाया. प्रियांक कानूनगो ने निर्देश दिया है कि इनके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए.
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दरअसल, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बाहर काउंटर बनाकर उसपर 'आई लव मनीष सिसोदिया' के पोस्टर लगाए गए हैं. आप नेताओं का कहना है कि यह पोस्टर, दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने खुद से बनाकर स्कूलों के बाहर लगाए हैं. वहीं भाजपा का आरोप है कि शराब घोटाले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया का महिमामंडन करने और उनके पक्ष में सहानुभूति जताने के लिए स्कूल के बच्चों को मोहरा बनाया जा रहा है. इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा. भाजपा नेताओं का आरोप है कि बच्चों के अभिभावकों पर या दबाव बनाया जा रहा है कि यदि वे अपने बच्चों को इस अभियान में नहीं भेजेंगे तो उन्हें परीक्षा में फेल कर दिया जाएगा.