नई दिल्ली: साहित्य अकादमी में मशहूर उर्दू शायर आनंद नारायण मुल्ला के व्यक्तित्व और साहित्य पर एक परिसंवाद का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में साहित्यकार मुल्ला की पोती डॉ. अमिता मुल्ला वाटल ने शिरकत की.
लेखकों और सहित्यकारों ने की शिरकत
इसके अलावा प्रतिष्ठित उर्दू आलोचक और साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. गोपीचंद नारंग, मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. सैयदा सैयदैन हमीद, साहित्य अकादमी के उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक उर्दू शायर शीन काफ निजाम, इसके साथ ही इस साल साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उर्दू लेखक प्रो. शाफ़े किदवई समेत कई बड़े उर्दू लेखक इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
राजनीति में भी रहे सक्रिय
आनंद नारायण मुल्ला भारत के प्रसिद्ध उर्दू, शायर, कवि, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे. इसके अलावा वह एक प्रमुख वकील भी थे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच में न्यायाधीश पद पर भी कार्यरत रहे. साथ ही लखनऊ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए भी निर्वाचित हुए थे. और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में 1972 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किए गए थे.
कार्यक्रम में शामिल हुई मुल्ला जी की पोती
इस दौरान आनंद नारायण मुल्ला जी की पोती ने कहा की उनके लिए ये गर्व की बात है कि उनकी विरासत को एक बात पर साहित्य अकादमी द्वारा याद किया जा रहा है. और उस पर बड़े-बड़े विद्वानों के जरिये विचार विमर्श हो रहा है. इस दौरान उन्होंने आनंद नारायण मुल्ला से संबंधित कई संस्मरण भी प्रस्तुत किए.