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गंभीर बीमारियों वाले कैदियों को रिहा करने की अनुशंसा - कैदियों की होगी रिहाई

कोर्ट ने कहा था कि कमेटी ये विचार करे कि क्या सात साल से कम की सज़ा वाले अपराधों में बंद सज़ायाफ्ता या विचाराधीन कैदियों को 6 हफ्ते के पेरोल पर रिहा किया जा सकता है.

delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Apr 21, 2020, 10:16 AM IST

Updated : May 26, 2020, 5:20 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब ऐसे कैदी भी जेल से जमानत पर रिहा होंगे. जो एचआईवी, टीबी या किडनी की बीमारियों से ग्रस्त हैं. ये फैसला जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली हाई पावर्ड कमेटी ने लिया है.


सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

दरअसल पिछले 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते खतरे की आशंका के मद्देनजर जेल में कैदियों की भीड़ को कम करने पर विचार करने के लिए सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करें. कोर्ट ने कहा था कि कमेटी ये विचार करे कि क्या सात साल से कम की सज़ा वाले अपराधों में बंद सज़ायाफ्ता या विचाराधीन कैदियों को 6 हफ्ते के पेरोल पर रिहा किया जा सकता है.


हाई पावर कमेटी ने की थी अनुशंसा

हाई पावर कमेटी की अनुशंसा पर पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि वर्तमान परिस्थिति में जमानत मिल चुके कैदियों को निजी मुचलके पर ही रिहा किया जाए. जस्टिस राजीव सहाय एंड लॉ ने कहा था कि निजी मुचलका जेल अधीक्षक तय करेंगे. जस्टिस हीमा कोहली के नेतृत्व में बनी हाई पावर कमेटी की नई अनुशंसाओं में भी निजी मुचलकों की अनुशंसा की गई थी. हाई पावर कमेटी ने कहा था लॉकडाउन की स्थिति में कैदियों को रिहाई के लिए जमानती ढूंढ़ना काफी कठिन काम है. अगर उन्हें निजी मुचलकों पर रिहा करने का आदेश नहीं मिलेगा तो उन्हें कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी जेल में ही रहना होगा क्योंकि उन्हें छुड़ाने के लिए कोई जमानती उपलब्ध नहीं हो पाएगा.

पहले भी कर चुकी है अनुशंसा

हाई पावर्ड कमेटी इसके पहले भी अपनी अनुशंसा दिल्ली के जेल महानिदेशक को भेज चुकी है. अनुशंसाओं के मुताबिक उन कैदियों को रिहा किया जाए, जिनकी उम्र साठ वर्ष या उससे ऊपर की हो गई है और वे छह महीने या उससे ज्यादा समय से जेल में हैं और उनके खिलाफ वैसे मामलों का ट्रायल चल रहा है जिसमें अधिकतम दस साल की सजा हो सकती है.


इन कैदियों को रिहा नहीं करने का आदेश

हाई पावर कमेटी ने अपनी अनुशंसाओं में कहा है कि उन कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा, जो विदेशी नागरिक हों. कमेटी ने कहा है कि जो भ्रष्टाचार निरोधक कानून और मनी लाउंड्रिंग एक्ट, सीबीआई, ईडी, एनआईए, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, क्राईम ब्रांच, एसएफआईओ, आतंकी गतिविधियों, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के तहत हिरासत में हों. हाई पावर कमेटी ने अपनी अनुशंसाओं में कहा है कि उन कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा जिनके खिलाफ नारकोटिक्स एक्ट के तहत मामले चल रहे हों. कमेटी ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और धारा 6 के तहत हिरासत वाले विचाराधीन कैदियों, भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376ई और एसिड अटैक से जुड़े मामलों के विचाराधीन कैदियों को रिहा नहीं किया जाए.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब ऐसे कैदी भी जेल से जमानत पर रिहा होंगे. जो एचआईवी, टीबी या किडनी की बीमारियों से ग्रस्त हैं. ये फैसला जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली हाई पावर्ड कमेटी ने लिया है.


सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

दरअसल पिछले 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते खतरे की आशंका के मद्देनजर जेल में कैदियों की भीड़ को कम करने पर विचार करने के लिए सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करें. कोर्ट ने कहा था कि कमेटी ये विचार करे कि क्या सात साल से कम की सज़ा वाले अपराधों में बंद सज़ायाफ्ता या विचाराधीन कैदियों को 6 हफ्ते के पेरोल पर रिहा किया जा सकता है.


हाई पावर कमेटी ने की थी अनुशंसा

हाई पावर कमेटी की अनुशंसा पर पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि वर्तमान परिस्थिति में जमानत मिल चुके कैदियों को निजी मुचलके पर ही रिहा किया जाए. जस्टिस राजीव सहाय एंड लॉ ने कहा था कि निजी मुचलका जेल अधीक्षक तय करेंगे. जस्टिस हीमा कोहली के नेतृत्व में बनी हाई पावर कमेटी की नई अनुशंसाओं में भी निजी मुचलकों की अनुशंसा की गई थी. हाई पावर कमेटी ने कहा था लॉकडाउन की स्थिति में कैदियों को रिहाई के लिए जमानती ढूंढ़ना काफी कठिन काम है. अगर उन्हें निजी मुचलकों पर रिहा करने का आदेश नहीं मिलेगा तो उन्हें कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी जेल में ही रहना होगा क्योंकि उन्हें छुड़ाने के लिए कोई जमानती उपलब्ध नहीं हो पाएगा.

पहले भी कर चुकी है अनुशंसा

हाई पावर्ड कमेटी इसके पहले भी अपनी अनुशंसा दिल्ली के जेल महानिदेशक को भेज चुकी है. अनुशंसाओं के मुताबिक उन कैदियों को रिहा किया जाए, जिनकी उम्र साठ वर्ष या उससे ऊपर की हो गई है और वे छह महीने या उससे ज्यादा समय से जेल में हैं और उनके खिलाफ वैसे मामलों का ट्रायल चल रहा है जिसमें अधिकतम दस साल की सजा हो सकती है.


इन कैदियों को रिहा नहीं करने का आदेश

हाई पावर कमेटी ने अपनी अनुशंसाओं में कहा है कि उन कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा, जो विदेशी नागरिक हों. कमेटी ने कहा है कि जो भ्रष्टाचार निरोधक कानून और मनी लाउंड्रिंग एक्ट, सीबीआई, ईडी, एनआईए, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, क्राईम ब्रांच, एसएफआईओ, आतंकी गतिविधियों, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के तहत हिरासत में हों. हाई पावर कमेटी ने अपनी अनुशंसाओं में कहा है कि उन कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा जिनके खिलाफ नारकोटिक्स एक्ट के तहत मामले चल रहे हों. कमेटी ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और धारा 6 के तहत हिरासत वाले विचाराधीन कैदियों, भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376ई और एसिड अटैक से जुड़े मामलों के विचाराधीन कैदियों को रिहा नहीं किया जाए.

Last Updated : May 26, 2020, 5:20 PM IST
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