नई दिल्ली: दिल्ली के कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है. उन पर ED ने कई आरोप लगाए हैं. वैसे इससे पहले भी सिंह का जीवन उथल-पुथल भरा रहा है. UP के एक छोटे से गांव में जन्मे सिंह का झुकाव शुरू से समाजसेवा की तरफ ही रहा है. माइनिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छी खासी नौकरी मिली थी, जिसे उन्होंने कुछ सालों में ही छोड़ दिया. आइए जानते हैं उनके इंजीनियरिंग से आंदोलन और संसद से जेल तक के सफर को...
यूपी के छोटे से जिले सुल्तानपुर में जन्मे और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले संजय सिंह का जन्म 22 मार्च 1972 को हुआ था. पिता का नाम दिनेश सिंह और मां राधिका सिंह हैं. संसद सदस्य बनने के बाद अपने सरकारी आवास में ही वह माता-पिता को साथ रखने लगे. सुल्तानपुर में ही शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने 1993 में माइनिंग इंजीनियरिंग की. ओड़िसा के स्कूल आफ माइनिंग इंजीनियरिंग से डिप्लोमा लेने के बाद धनबाद में नौकरी की शुरुआत की. लेकिन कुछ समय बाद ही नौकरी छोड़ दी. उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया.
बिना किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता बनेः शुरुआत में बिना किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य बने संजय सिंह ने राजनीति गतिविधियों में भी सक्रियता दिखाई. सड़क के किनारे दुकान लगाने वालों के हितों की लड़ाई लड़ी. उनके अधिकारों और हितों से जुड़े मुद्दों को उठाया. राजनीति में आने से पहले संजय सिंह सोशलिस्ट पार्टी के रघु ठाकुर के साथ भी कुछ दिनों तक जुड़े और उनके आंदोलन का हिस्सा बने.
2011 में अन्ना आंदोलन से जुड़े संजय सिंह: 2011 में दिल्ली में हुए अन्ना आंदोलन से जुड़ने के बाद संजय सिंह की प्रसिद्धी बढ़ गई. दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों के अनशन के दौरान संजय सिंह ने सक्रिय भूमिका निभाई. वह एक सेवादार के रूप में अन्ना हजारे और अन्य आंदोलनकारियों के साथ रहे. अन्ना आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, किरण बेदी की तरह संजय सिंह का नाम भी सुर्खियों में रहा.
AAP का गठन होने के बाद नहीं लड़े विधानसभा का चुनावः 26 नवंबर 2012 को जब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी का गठन किया गया तो संजय सिंह भी इसके संस्थापक सदस्य बने. पार्टी की कई प्रमुख कमेटियों के सदस्य के रूप में उन्होंने पार्टी की नीतियों का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी ने जब पहला विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया तब संजय सिंह ने चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं जताई.
उन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए अपना समर्पण दिखाया. वह चुनाव से दूर रहे. 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 28 सीटें जीती और साल 2015 में जब दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए तब आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिली. इसी दरम्यान जब दिल्ली के कोटे से तीन राज्यसभा सदस्यों को नामित करने का अवसर मिला तो आम आदमी पार्टी के पहले पसंदीदा नेता बने संजय सिंह.
दो अन्य सदस्य के रूप में सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा का सदस्य बनाया. तब से लेकर हुए संसद में पार्टी की तरफ से मुखर होकर अपनी बात रखते आए हैं.
फिलहाल संसद से हैं निलंबितः संसद के बीते मानसून सत्र में संजय सिंह को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. जिसको लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ था. मानसून सत्र के दौरान मणिपुर के मुद्दे पर संजय सिंह चर्चा की मांग कर रहे थे. संजय सिंह मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर वेल में पहुंच गए थे. उन्होंने आसन की ओर इशारा किया था.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संजय सिंह को उनके अनियंत्रित व्यवहार के लिए आगाह किया. बाद में सदन के नेता पीयूष गोयल ने सदन में संजय सिंह को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा है. जिसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया और वह अभी संसद से निलंबित ही हैं. बुधवार को शराब घोटाले में ईडी ने उनके घर पर छापेमारी की और उनसे पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
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