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चलती ट्रेन में 'थ्री इडियट्स' के रैंचो की तरह लैब टेक्नीशियन ने कराई डिलीवरी - लैब टेक्नीशियन सुनील प्रजापति सागर ने कराई डिलीवरी

फिल्म थ्री इडियट्स में आपने वीडियो कॉलिंग की मदद लेकर भी सफल डिलीवरी होती हुई देखी होगी, लेकिन असल जिंदगी में ऐसा ही एक दिव्यांग लैब टेक्निशन सुनील प्रजापति ने कर दिखाया है. सुनील ने एक महिला और उसके बच्चे की जिंदगी बचाई. वे दिव्यांग हैं, लेकिन जज्बा अच्छे-अच्छे को पछाड़ सकता है. आप भी जानिए आखिरकार कैसे सुनील बने रियल लाइफ हिरो.

physically challenged lab technician help pregnant lady to give birth
ऐसे रियल लाइफ हीरो बने सुनील
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Published : Jan 18, 2021, 5:07 PM IST

नई दिल्ली: यूं तो डॉक्टरों को धरती का ‘भगवान’ कहा जाता है, लेकिन दिल्ली मंडल के रेलवे अस्पताल में कार्यरत एक दिव्यांग लैब टेक्निशन भी उस समय भगवान बन गया, जब उसने चलती ट्रेन में एक महिला की सफल डिलीवरी कराई. थोड़ी सूझबूझ और समझदारी दिखाकर इस व्यक्ति ने न सिर्फ दो जिंदगियां बचाई, बल्कि रेलवे का नाम भी ऊंचा किया. वीडियो कॉलिंग की मदद से ये कारनामा करने वाले इस लैब टेक्निशन का अब सब गुणगान कर रहे हैं.

चलती ट्रेन में लैब टेक्नीशियन ने कराई डिलीवरी.

असल जिंदगी में बने हीरो

अब तक हमने फिल्मों में ही देखा था कि वीडियो कॉलिंग की मदद लेकर भी सफल डिलीवरी होती है. इस शख्स ने हूबहू वैसा ही कर दिखाया, जैसा फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान ने किया था. असल जिंदगी में आज ये सुनील प्रजापति ने करके दिखाया. दिव्यांग होने के चलते सुनील के लिए ये चुनौती और बड़ी थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. नतीजतन, महिला और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं.

ऐसे कर दिखाया कमाल

घटना शनिवार की है, जब मध्यप्रदेश संपर्क क्रांति अपने तय समय के मुताबिक ही फरीदाबाद स्टेशन से निकली थी. गाड़ी के B3 कोच में सुनील अपने घर जाने के लिए सफर कर रहे थे. उसी गाड़ी में सुनील की सीट के सामने एक महिला अपनी बच्ची और छोटे भाई के साथ सफ़र कर रही थी. महिला दर्द से कराह रही थी, तो सुनील से रहा न गया और वो महिला के भाई से पूछ बैठा कि आखिर क्या समस्या है. पता चला कि महिला गर्भवती है. अब तक सब कुछ सामान्य सा था. गाड़ी तेज गति से चल रही थी कि तभी महिला दर्द से चिल्लाने लगी. कोच में और लोगों ने भी ये आवाज सुनी, तो सभी एकत्रित हो गए.



सुनील ने ऐसे की मदद

आनन-फानन में कंट्रोल रूम को सूचना दी गई. गाड़ी को मथुरा स्टेशन पर पहुंचने में अभी वक्त था. महिला का दर्द बढ़ता ही जा रहा था. ऐसे में सुनील ने अपने अस्पताल की एक बड़ी डॉ. सेन से संपर्क किया. हालत को देखकर डॉक्टर को ये भांपने में समय नहीं लगा कि ये डिलीवरी का दर्द ही है. समय बढ़ता जा रहा था, लेकिन गाड़ी को मथुरा पहुंचने में अभी वक्त था. ऐसे में सुनील ने ये फैसला किया कि वो खुद ही दर्द से कराह रही महिला की मदद करेगा. कोच में एक नए ब्लेड और कंबल के टैग जैसी चीजों को लेकर आखिर बच्चे की सफल डिलीवरी हुई. यहां तक कि बच्चे का नाल भी सुनील ने ही काटा.

और कुछ इस तरह रेल कर्मचारी ने एक महिला और उसके बच्चे की जिंदगी बचाई. बताया जाता है कि महिला को इससे पहले तीन बार मिसकैरेज हो चुका है. अंदाजा लगाया जा सकता है ये कितना बड़ा चुनौती का काम था. मौजूदा समय में महिला और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं और अस्पताल से भी घर चले गए हैं.

नई दिल्ली: यूं तो डॉक्टरों को धरती का ‘भगवान’ कहा जाता है, लेकिन दिल्ली मंडल के रेलवे अस्पताल में कार्यरत एक दिव्यांग लैब टेक्निशन भी उस समय भगवान बन गया, जब उसने चलती ट्रेन में एक महिला की सफल डिलीवरी कराई. थोड़ी सूझबूझ और समझदारी दिखाकर इस व्यक्ति ने न सिर्फ दो जिंदगियां बचाई, बल्कि रेलवे का नाम भी ऊंचा किया. वीडियो कॉलिंग की मदद से ये कारनामा करने वाले इस लैब टेक्निशन का अब सब गुणगान कर रहे हैं.

चलती ट्रेन में लैब टेक्नीशियन ने कराई डिलीवरी.

असल जिंदगी में बने हीरो

अब तक हमने फिल्मों में ही देखा था कि वीडियो कॉलिंग की मदद लेकर भी सफल डिलीवरी होती है. इस शख्स ने हूबहू वैसा ही कर दिखाया, जैसा फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान ने किया था. असल जिंदगी में आज ये सुनील प्रजापति ने करके दिखाया. दिव्यांग होने के चलते सुनील के लिए ये चुनौती और बड़ी थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. नतीजतन, महिला और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं.

ऐसे कर दिखाया कमाल

घटना शनिवार की है, जब मध्यप्रदेश संपर्क क्रांति अपने तय समय के मुताबिक ही फरीदाबाद स्टेशन से निकली थी. गाड़ी के B3 कोच में सुनील अपने घर जाने के लिए सफर कर रहे थे. उसी गाड़ी में सुनील की सीट के सामने एक महिला अपनी बच्ची और छोटे भाई के साथ सफ़र कर रही थी. महिला दर्द से कराह रही थी, तो सुनील से रहा न गया और वो महिला के भाई से पूछ बैठा कि आखिर क्या समस्या है. पता चला कि महिला गर्भवती है. अब तक सब कुछ सामान्य सा था. गाड़ी तेज गति से चल रही थी कि तभी महिला दर्द से चिल्लाने लगी. कोच में और लोगों ने भी ये आवाज सुनी, तो सभी एकत्रित हो गए.



सुनील ने ऐसे की मदद

आनन-फानन में कंट्रोल रूम को सूचना दी गई. गाड़ी को मथुरा स्टेशन पर पहुंचने में अभी वक्त था. महिला का दर्द बढ़ता ही जा रहा था. ऐसे में सुनील ने अपने अस्पताल की एक बड़ी डॉ. सेन से संपर्क किया. हालत को देखकर डॉक्टर को ये भांपने में समय नहीं लगा कि ये डिलीवरी का दर्द ही है. समय बढ़ता जा रहा था, लेकिन गाड़ी को मथुरा पहुंचने में अभी वक्त था. ऐसे में सुनील ने ये फैसला किया कि वो खुद ही दर्द से कराह रही महिला की मदद करेगा. कोच में एक नए ब्लेड और कंबल के टैग जैसी चीजों को लेकर आखिर बच्चे की सफल डिलीवरी हुई. यहां तक कि बच्चे का नाल भी सुनील ने ही काटा.

और कुछ इस तरह रेल कर्मचारी ने एक महिला और उसके बच्चे की जिंदगी बचाई. बताया जाता है कि महिला को इससे पहले तीन बार मिसकैरेज हो चुका है. अंदाजा लगाया जा सकता है ये कितना बड़ा चुनौती का काम था. मौजूदा समय में महिला और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं और अस्पताल से भी घर चले गए हैं.

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