नई दिल्ली: फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स की ओर से आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस की शुरुआत शुक्रवार को हुई. उद्धाटन केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने किया. इस वर्ष सम्मेलन की थीम "2047 में भारत: राष्ट्र निर्माण में प्रकाशन की भूमिका" है. सम्मेलन देश के भविष्य को तैयार करने में प्रकाशन की महत्वपूर्ण भूमिका का पता लगाने के लिए उद्योग जगत के लीडर्स, इनोवेटर्स और हितधारकों के साथ मंच सांझा करता है.
किताबों को पढ़ने के महत्व पर चर्चा: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने डिजिटल युग में पढ़ने की आदतों के विकास पर चर्चा की. उन्होंने पारंपरिक पुस्तक पढ़ने से ई-पुस्तकों में संक्रमण की चुनौती को स्वीकार किया. साथ ही फिजिकल कॉपियों से पढ़ने पर जोड़ दिया. स्थानीय भाषाओं में पुस्तकों को डिजिटल बनाने और युवा पीढ़ी के बीच पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने पर सबका ध्यान केंद्रित किया. ईरानी ने पाठकों और प्रकाशकों के बीच सहयोग की आवश्यकता के साथ-साथ व्यक्तिगत विकास में पढ़ने की आवश्यक भूमिका पर भी चर्चा की. किताबों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्रकाशन उद्योग को समर्थन देने की सरकार की प्रतिबद्धता पर भी बात की.
ये भी पढ़ें: Delhi government schools: सरकारी स्कूलों में 75 फीसदी से कम हाजिरी वाले स्टूडेंट्स नहीं दे पाएंगे परीक्षा
अभी भी हार्डकॉपी से किताबें पढ़ना पसंद: भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय प्रकाशन उद्योग पिछले 9 वर्षों में उल्लेखनीय रूप से विकसित हुआ है. 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी प्राथमिक पहल राष्ट्रीय समर्थन में उनकी केंद्रीय भूमिका को दिखाती हैं. भारत में महाकाव्यों और वेदों का एक समृद्ध प्राचीन इतिहास है. हमारे गुरु और ऋषि भारतीय प्रकाशन क्षेत्र के पहले प्रकाशक थे, जो हमें पीढ़ियों से विरासत में मिला है. किसी भी डिजिटल मोड की तुलना में हार्डकॉपी में किताबें पढ़ने के शौकीन अभी भी अधिक हैं. उन्होंने कहा कि वह खुद भारत में प्रकाशन की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक प्रभाव में डूबे हैं.
ये भी पढ़ें: Exclusive Interview: अबू धाबी में IIT दिल्ली का होगा कैंपस, 2024 से होगी सभी स्तर की पढ़ाई, पढ़ें पूरी कार्य योजना