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लॉकडाउन के दौरान फोन-इंटरनेट के बिल नहीं वसूलने के लिए याचिका दायर - इंटरनेट सर्विस प्रदाता

लॉकडाउन के मद्देनजर हाईकोर्ट में डाली गई याचिका में कहा गया है कि अनिवार्य रूप से बंद हो चुके व्यवसाय चलाने वालों से कोई भी चार्ज नहीं वसूला जाए. यह याचिका टेलीफोन ऑपरेटर्स और इंटरनेट सर्विस प्रदाता को लेकर डाली गई है.

Petition filed for not recovering phone and internet bills lockdown
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Apr 30, 2020, 8:56 PM IST

नई दिल्लीः कोरोना की वजह से घोषित लॉकडाउन के बाद टेलीफोन ऑपरेटर्स और इंटरनेट सर्विस प्रदाता को लकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि अनिवार्य रूप से बंद हो चुके व्यवसाय चलाने वालों से कोई भी चार्ज नहीं वसूला जाए.

याचिकाकर्ता ने वकील अमित साहनी के जरिए दायर याचिका में कहा है कि लॉकडाउन की वजह से कई व्यवसाय बंद हो चुके हैं. लॉकडाउन के दौरान इन व्यवसायियों ने फोन और इंटरनेट का उपयोग भी नहीं किया है.

याचिका में मांग की गई है कि इन व्यवसायियों से फोन और इंटरनेट के लिए कोई राशि नहीं लेने के लिए इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं को दिशा-निर्देश जारी किया जाए. याचिका में कहा गया है कि उस राशि का उपयोग कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से गठित सहायता कोष में ट्रांसफर किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि कोरोना की वजह से हर व्यक्ति पर असर पड़ा है. खासकर उन लोगों पर जो संगठित क्षेत्र में काम नहीं कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि ऐसे हजारों लोग हैं जिन्हें पूरी सैलरी नहीं मिल रही है और कई ऐसे हैं जिनकी नौकरी चली गई है. याचिकाकर्ता ने पिछले 19 अप्रैल को टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनियों से अपनी बात रखी थी.

याचिका में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय को ये निर्देश दिया जाए कि वो फोन और इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनियों से लॉकडाउन के दौरान जीएसटी नहीं वसूलें. याचिका में कहा गया है कि देश का हर नागरिक सीधे या परोक्ष रूप से कोरोना से लड़ने में सहयोग देना चाहता है.

नई दिल्लीः कोरोना की वजह से घोषित लॉकडाउन के बाद टेलीफोन ऑपरेटर्स और इंटरनेट सर्विस प्रदाता को लकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि अनिवार्य रूप से बंद हो चुके व्यवसाय चलाने वालों से कोई भी चार्ज नहीं वसूला जाए.

याचिकाकर्ता ने वकील अमित साहनी के जरिए दायर याचिका में कहा है कि लॉकडाउन की वजह से कई व्यवसाय बंद हो चुके हैं. लॉकडाउन के दौरान इन व्यवसायियों ने फोन और इंटरनेट का उपयोग भी नहीं किया है.

याचिका में मांग की गई है कि इन व्यवसायियों से फोन और इंटरनेट के लिए कोई राशि नहीं लेने के लिए इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं को दिशा-निर्देश जारी किया जाए. याचिका में कहा गया है कि उस राशि का उपयोग कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से गठित सहायता कोष में ट्रांसफर किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि कोरोना की वजह से हर व्यक्ति पर असर पड़ा है. खासकर उन लोगों पर जो संगठित क्षेत्र में काम नहीं कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि ऐसे हजारों लोग हैं जिन्हें पूरी सैलरी नहीं मिल रही है और कई ऐसे हैं जिनकी नौकरी चली गई है. याचिकाकर्ता ने पिछले 19 अप्रैल को टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनियों से अपनी बात रखी थी.

याचिका में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय को ये निर्देश दिया जाए कि वो फोन और इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनियों से लॉकडाउन के दौरान जीएसटी नहीं वसूलें. याचिका में कहा गया है कि देश का हर नागरिक सीधे या परोक्ष रूप से कोरोना से लड़ने में सहयोग देना चाहता है.

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