नई दिल्ली: मौजूदा हालात में चलाई जा रही ऑनलाइन क्लासेस के बीच स्कूल की तरफ से मांगी जा रही फीस का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है. यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, जिसको लेकर अब उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर अभिभावक फीस नहीं जमा कर रहे हैं, तो उन्हें स्कूल के सामने अपनी आर्थिक समस्या सिद्ध करनी होगी. अन्यथा निजी स्कूल बच्चे को ऑनलाइन क्लास से वंचित कर सकते हैं.
'क्या आर्थिक तंगी स्कूल को बताएं'
कोर्ट की टिप्पणी को लेकर ईटीवी भारत ने अभिभावकों से बात की, जिसको लेकर अभिभावक गजेंद्र सिंह ने बताया कि उनका एक बच्चा 11वीं की ऑनलाइन क्लास ले रहा है और हमारे पास लगातार स्कूल की तरफ से मैसेज और कॉल फीस जमा करने के लिए आ रहे हैं. लेकिन जब मौजूदा हालात ऐसे हैं कि किसी का काम नहीं चल रहा है. लोगों के पास सैलरी नहीं है, घर का खर्चा तक चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में क्या आर्थिक तंगी स्कूल को बताई जाए और कैसे फीस जमा की जाए.
ऑनलाइन क्लास से बढ़ गए खर्चे
अभिभावक भूपेंद्र कुमार ने बताया कि एक रेहड़ी वाला अपने तीन बच्चों के लिए कहां से स्मार्टफोन या लैपटॉप लेकर आए. इसके अलावा अपने घर का खर्च चलाए या फिर वह बच्चों की फीस दे. ऐसी परिस्थिति में स्कूल वालों को कैसे समझाया जाए. उनका कहना है कि इस महामारी के दौर में खर्चे कम नहीं हुए हैं, बल्कि बढ़े हैं. ऑनलाइन क्लासेस के कारण भी खर्चे काफी बढ़ गए हैं. जिसमें इंटरनेट मोबाइल फोन का खर्चा निकाल पाना बहुत मुश्किल हो रहा है.
फीस में छूट दिए जाने की मांग
अभिभावक मनोज शर्मा ने बताया कि कई बार ऑनलाइन क्लास में बच्चों को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है. क्या पढ़ाया जा रहा है और उसे कैसे समझें. इसके अलावा बच्चे भी ये समझ पा रहे हैं कि हमारे माता-पिता फीस नहीं दे पा रहे हैं. जिसके लिए बच्चे भी परेशान हो रहे हैं. उन्हें भी बार-बार स्कूल की तरफ से फीस जमा करने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में अभिभावकों का यही कहना है कि हम सिर्फ मौजूदा समय में सरकार और स्कूलों से यही चाहते हैं कि फीस में कुछ छूट दी जाए या फिर फीस भरने के लिए हमें थोड़ा समय दिया जाए.