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कंझावला हिट एंड रन मामले में कितनी कानूनी मदद संभव? जानें क्या कहना है दिल्ली के अधिवक्ताओं का

दिल्ली के कंझावला केस में कानूनी तौर पर क्या विकल्प बचे हैं? आखिर इस केस का मजबूत और कमजोर पक्ष क्या है? कैसे इस मामले में आरोपियों को कठोर सजा दी जा सकती है? इसी को लेकर ईटीवी भारत ने बात की दिल्ली के आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं से... (Opinion of expert advocates of Delhi criminal cases )

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Published : Jan 4, 2023, 7:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता जूही अरोड़ा

नई दिल्ली: कंझावला हिट एंड रन मामले में रोज नए-नए सीसीटीवी फुटेज सामने आ रहे हैं और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान मामले को नया मोड़ देता जा रहा है. वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हुआ है कि पीड़िता के साथ कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ है. ऐसे में इस वीभत्स घटना के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के क्या विकल्प पुलिस और अभियोजन पक्ष के पास होंगे! इस पर बात की दिल्ली के प्रमुख आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं से... (Opinion of expert advocates of Delhi criminal cases )

"सड़क दुर्घटना के मामले में लापरवाही से गाड़ी चलाने की धाराएं तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 304, जिसमें जानबूझकर ऐसा काम करने जिसमें किसी की जान जाने की आशंका हो की धाराएं लगाई जाती हैं. जबकि 304ए किसी ऐसे काम, जिसमें व्यक्ति को यह ना पता हो कि सामने वाले की जान की क्षति हो सकती है की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है. ऐसे कई मामलों में लापरवाही से गाड़ी चलाने के आरोपियों को कोर्ट से राहत मिल जाती है. हालांकि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानकर इस पर कोर्ट से अपील कर सकते हैं." -रवि दराल, अधिवक्ता, तीस हजारी कोर्ट

"कंझावला में हुआ हिट एंड रन मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस है. इस मामले में पुलिस ने धारा 304 भी जोड़ दी है, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सकती है. इस मामले में अधिकतम मृत्युदंड या आजीवन कारावास दिया जा सकता है. हालांकि मामले की शुरुआत में पुलिस ने केवल सड़क दुर्घटना के आधार पर लापरवाही के चलते किसी की मौत हो जाने की धारा 304ए लगाई थी, जो जमानती अपराध था. इस मामले में आरोपी जानबूझकर तेज रफ्तार और नशे में धुत होकर किसी की मृत्यु का कारण बने हैं. ऐसे में कोर्ट अभियोजन पक्ष द्वारा पूरी जांच और अन्य साक्ष्यों को प्रस्तुत किए जाने पर सख्त से सख्त सजा सुना सकता है." -जूही अरोड़ा, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

सड़क दुर्घटना में हुई मौत में आसानी से मिलती है राहतः सड़क दुर्घटनाओं में यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो ऐसे कई मामलों में कोर्ट द्वारा आसानी से आरोपियों को राहत मिल जाती है. ऐसा ही एक मामला तब सामने आया था जब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की एक सड़क दुर्घटना के दौरान कार की सीट में लड़ने से उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में आरोपी को कोर्ट द्वारा उसी दिन जमानत दे दी गई थी. हालांकि इसके बाद केंद्र सरकार ने चार पहिया वाहनों में बैक सीट पर भी एयर बैग्स कंपलसरी किए जाने का नियम लागू किया था. इसके अलावा भी दक्षिण दिल्ली में कई 1 मामलों में आरोपियों को पुलिस थाने से ही राहत दे दी गई.

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता जूही अरोड़ा

नई दिल्ली: कंझावला हिट एंड रन मामले में रोज नए-नए सीसीटीवी फुटेज सामने आ रहे हैं और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान मामले को नया मोड़ देता जा रहा है. वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हुआ है कि पीड़िता के साथ कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ है. ऐसे में इस वीभत्स घटना के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के क्या विकल्प पुलिस और अभियोजन पक्ष के पास होंगे! इस पर बात की दिल्ली के प्रमुख आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं से... (Opinion of expert advocates of Delhi criminal cases )

"सड़क दुर्घटना के मामले में लापरवाही से गाड़ी चलाने की धाराएं तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 304, जिसमें जानबूझकर ऐसा काम करने जिसमें किसी की जान जाने की आशंका हो की धाराएं लगाई जाती हैं. जबकि 304ए किसी ऐसे काम, जिसमें व्यक्ति को यह ना पता हो कि सामने वाले की जान की क्षति हो सकती है की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है. ऐसे कई मामलों में लापरवाही से गाड़ी चलाने के आरोपियों को कोर्ट से राहत मिल जाती है. हालांकि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानकर इस पर कोर्ट से अपील कर सकते हैं." -रवि दराल, अधिवक्ता, तीस हजारी कोर्ट

"कंझावला में हुआ हिट एंड रन मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस है. इस मामले में पुलिस ने धारा 304 भी जोड़ दी है, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सकती है. इस मामले में अधिकतम मृत्युदंड या आजीवन कारावास दिया जा सकता है. हालांकि मामले की शुरुआत में पुलिस ने केवल सड़क दुर्घटना के आधार पर लापरवाही के चलते किसी की मौत हो जाने की धारा 304ए लगाई थी, जो जमानती अपराध था. इस मामले में आरोपी जानबूझकर तेज रफ्तार और नशे में धुत होकर किसी की मृत्यु का कारण बने हैं. ऐसे में कोर्ट अभियोजन पक्ष द्वारा पूरी जांच और अन्य साक्ष्यों को प्रस्तुत किए जाने पर सख्त से सख्त सजा सुना सकता है." -जूही अरोड़ा, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

सड़क दुर्घटना में हुई मौत में आसानी से मिलती है राहतः सड़क दुर्घटनाओं में यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो ऐसे कई मामलों में कोर्ट द्वारा आसानी से आरोपियों को राहत मिल जाती है. ऐसा ही एक मामला तब सामने आया था जब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की एक सड़क दुर्घटना के दौरान कार की सीट में लड़ने से उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में आरोपी को कोर्ट द्वारा उसी दिन जमानत दे दी गई थी. हालांकि इसके बाद केंद्र सरकार ने चार पहिया वाहनों में बैक सीट पर भी एयर बैग्स कंपलसरी किए जाने का नियम लागू किया था. इसके अलावा भी दक्षिण दिल्ली में कई 1 मामलों में आरोपियों को पुलिस थाने से ही राहत दे दी गई.

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